एनएमसी निरीक्षण की माक ड्रिल के दूसरे दिन डॉक्टरों ने टीम को बताईं खामियां जांच नहीं होने दलालों के शिकंजे व छोटे उपकरणों के अभाव जैसे मुद्दों से घिरा प्रबंधन

पटना (ब्यूरो)। पीएमसीएच (पटना मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल) में एमबीबीएस की सीटें 200 से बढ़ाकर 250 करने और अगले सत्र के नामांकन की मान्यता बरकरार रखने के लिए दूसरे दिन बुधवार को भी एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) मॉक ड्रिल चली। दूसरे दिन अस्पताल में मरीजों की सुविधाओं की जांच के क्रम में स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त ने पीएमसीएच की दुखती रगों पर हाथ रखा। स्त्री एवं प्रसूति रोग की डाक्टरों ने जब टीम को बताया कि प्रसूति कक्ष का एसी लंबे समय से खराब है और पसीना पेट में जाने से संक्रमण का खतरा रहता है तो टीम भौचक रह गई। इसी प्रकार विभिन्न विभागों में छोटे-छोटे उपकरणों के अभाव में इलाज बाधित होने की बात भी सामने आई। हालांकि, टीम में शामिल गुजरात के डॉक्टर और पीएमसीएच के पूर्व प्राचार्य डॉ। अजीत कुमार वर्मा ने अधीक्षक से इस बारे में पड़ताल की तो उन्होंने जवाब दिया कि पीएमसीएच अपने स्तर से कोई खरीदारी नहीं करता है। बीएमएसआइसीएल को इस बाबत पत्र लिखा गया था लेकिन उन्होंने इसका संज्ञान नहीं लिया। बताते चलें कि टीम अपनी अनुशंसा स्वास्थ्य विभाग को सौंपेगा और सरकार उसी के आधार पर कमियां दूर करने की पहल करेगी।

पूर्व प्राचार्य ने जांच व दलालों पर उठाए सवाल :

मॉक ड्रिल टीम में शामिल पीएमसीएच के पूर्व प्राचार्य डॉ। अजीत कुमार वर्मा ने अधीक्षक से अस्पताल में नाममात्र की जांचों की सुविधा होने और अधिकतर जांच बाहर कराने के अलावा दलालों द्वारा मरीजों को निजी अस्पताल पहुंचाने जैसे सवाल कर प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दिया। वहीं कोरोना काल में कम प्रसव होने, अधिकतर प्रसव सिजेरियन से होने की बाबत भी सवाल किए। इस पर प्राचार्य डॉ। विद्यापति चौधरी ने बताया कि अधिकतर गंभीर मरीज यहां प्रसव कराने आते हैं, ऐसे में सिजेरियन करना पड़ता है। पीएमसीएच में मरीजों की संख्या कम करने के लिए छोटे अस्पतालों में इलाज व्यवस्था सु²ढ़ करने की जरूरत भी टीम बताई। टीम ने हर विभाग के अध्यक्ष या डॉक्टरों से बातकर एनएमसी मानक के विपरीत कमियों को नोट किया। प्राचार्य ने कहा कि टीम की अनुशंसा के अनुरूप व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा।

Posted By: Inextlive