लावारिस बच्ची को एडॉप्ट करने की कोशिशें तेज
- बच्ची के चेस्ट में हुआ इंफेक्शन, सांस लेने में हो रही तकलीफ
-डॉक्टर्स और नर्सो की निगरानी में बच्ची निकू में है एडमिट -एडॉप्शन की प्रक्रिया संस्थाओं के साथ मिलकर करेगा पीएमसीएचPATNA: टाटा वार्ड में फ्0 जून की मार्निग लावारिस छोड़ी गई बच्ची की तबीयत फिलहाल खराब हो गई है। उसकी देखदेख में लगे डॉक्टर्स का कहना है कि उसे बुधवार की मार्निग सांस लेने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी। उसकी चेस्ट का एक्स-रे कराया गया था। इसमें इनफेक्शन का पता चला है। इस बाबत वह नीकू में चौबीसों घंटे डॉक्टर्स व नर्स की निगरानी में रखी गई है। उसे ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया है, साथ ही इनफेक्शन से लड़ने के लिए दवा भी दी जा रही है। अभी ब्8 घंटे उसके लिए क्रिटिकल है। हालांकि एक पक्ष यह है कि उसका वजय नार्मल से करीब आधा किलो कम है। इनफेक्शन के कारण उसे अन्य बच्चों से बिल्कुल अलग रखा गया है।
कैंपस में दिनभर लोग आते रहे लोगइस लावारिस बच्ची को गोद लेने के लिए पटना के विभिन्न जगहों से आने वाले लोगों का तांता लगा रहा। इसमें पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन की उपस्थिति में प्रयास भारती, पादरी की हवेली व अन्य संस्थाओं से लोग आते रहे। सूत्रों ने बताया कि एक महिला कोर्ट से आयी थी और उसे एडॉप्ट करने के लिए कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने की बात भी कही। हालांकि पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि संस्थाओं और जिला प्रशासन की मदद से एडॉप्शन की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। इसमें जो सबसे सुटेबल होगा, उसे बच्चा दिया जा सकता है।
नि:संतान को ही मिले बच्चा 'दिनभर बच्चा को गोद लेने वालों की भीड़ और उनकी दलीलें कि आखिर उन्हें यह बच्चा क्यों चाहिए' के बारे में सुनने के बाद भी पहले दिन कोई निर्णय नहीं लिया गया। हालांकि हर कोई अपनी-अपनी दावेदारी की दलील देता रहा। गहमा-गहमी के बीच सोशल वर्कर विजय कुमार ने कहा कि यहां कई लोग ऐसे आए जिन्हें पहले से लड़का है लेकिन उन्हें लड़की नहीं है। वे कहते हैं कि उन्हें बच्ची दी जाए। लेकिन मेरा मत है कि इसका लालन-पालन वहीं बेहतर कर पाएंगे जो कि नि: संतान हैं। उन्हें ही इसकी सबसे अधिक जरूरत होगी और उसका भविष्य भी अच्छा होगा। जब एक महिला ने पिलाया दूधयह विडंबडना ही है कि एक तरफ तो बच्ची के परिवार वाले दुधमुंही बच्ची को टाटा वार्ड में लावारिस छोड़ निकले। इसके बाद वह मां की कमी महसूस करने लगी, लेकिन अब इसका भी हल निकाल लिया गया है। पीडियाट्रिक वार्ड में एडमिट एक बच्ची की मां उसे दूध पिला रही है। वह दूध पीकर बहुत संतुष्ट है। यहां के डॉक्टर्स का कहना है कि छह माह से कम उम्र की बच्चे के लिए भोजन के लिए केवल मंा का दूध ही सर्वोतम है। बच्ची को दूध की कोई कमी नहीं है। उसे भोजन की समस्या पूरा हो गया है।