इरादा मजबूत हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. पथरीले रास्ते पर भी चलने में मजा आने लगता है. इतना करने के बाद जब सक्सेस मिलती है तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता. ऐसा ही एक्सपीरिएंस रहा है ओम रवि का.

उन्हें फॉर्मूला 800 रेस में पार्टिसिपेट करने का शौक था। या यूं कह लीजिए जुनून था। पेशे से इंजीनियर ओम ने इसके लिए खुद ही फॉर्मूला 800 कार बनाई। सुप्रा एसएई इंडिया 2011 फॉर्मूला 800 रेस चेन्नई में ओम ने चैम्पियनशिप अपनी झोली में डाल ली। यह इंडिया की पहली फार्मूला 800 रेस थी। पहली ही रेस में बिहार के इस जांबाज ने अपना झंडा लहरा दिया। ओम इससे पहले ऑल टेरेन व्हीकल रेस बाजा 2009 और 2010 में भी जीत हासिल कर चुके हैं।

ओम रवि पटना के अशोकपुरी, खाजपुरा के रहने वाले हैं। उन्हें फॉर्मूला 800 रेस में पार्टिसिपेट करने का शौक था। या यूं कह लीजिए जुनून था। पेशे से इंजीनियर ओम ने इसके लिए खुद ही फॉर्मूला 800 कार बनाई। सुप्रा एसएई इंडिया 2011 फॉर्मूला 800 रेस चेन्नई में ओम ने चैम्पियनशिप अपनी झोली में डाल ली।

बचपन से ही शुरू हो गया था सफर
फॉर्मूला 800 रेस का सफर ओम ने बचपन में शुरू कर दिया था। जब वे बच्चे थे ट्वॉय कार मॉडल बनाते थे। उम्र बढ़ी, सेंट कैरेंस से पढ़ाई करने के बाद इंजीनियरिंग के लिए पुणे चले गए। वहीं से इंजीनियरिंग की, फिर फॉर्मूला 800 रेस में पार्टिसिपेट किया।
सबसे पहले ओम के सामने चुनौती थी कार बनाने की। ओम को मारूति सुजुकी से इंजन मिल गई। उसके बाद डिस्क ब्रेक से लेकर एक्सल तक ओम व उसकी टीम ने खुद बनाया। रेस में पार्टिसिपेट करने के लिए ओम कार को छोटा और हल्का बनाया। स्प्रींग, सस्पेंशन इस तरह से बनाया कि रेस में कार बैलेंस्ड रहे। कार के स्टियरिंग पर भी स्पेशल वर्क किया गया। इस वर्क का असर यह हुआ कि कार 3/4 पर घूम जाती थी।
इससे रेस के दौरान ड्राइवर को कार मोडऩे में असानी हुई। इसके लिए ओम व उनकी टीम तीन साल से कड़ी मेहनत कर रहे थे। इतनी मेहनत के बाद उन्हें भरोसा था कि उनकी टीम रेस जीत लेगी। चैन्नई में मारूति ने यह रेस आयोजित की, जिसमें ओम रवि ने जीत दर्ज की। इसमें उन्होंने चार लाख रुपए प्राइज मनी भी जीती। ओम बताते हैं कि इस जीत में उनकी टीम का पूरा सहयोग रहा। यहां तक कि ड्राइवर ओसन कोठारिया भी पूरे उत्साह से रेस में पार्टिसिपेट किया। उसे चैम्पियनशिप में बेस्ट ड्राइवर का अवार्ड दिया गया।

एक साल में तैयार होगी
ओम सिर्फ रेस पर ही अपना ध्यान नहीं लगा रहे हैं, बल्कि सीएनजी बाइक के लिए वर्क कर रहे हैं। वे बताते हैं कि एक साल में सीएनजी का मॉडल बनकर तैयार हो जाएगा। इसके तैयार होने के बाद बाइक में फ्यूल एक्पेंडीचर व पॉल्युशन खत्म हो जाएगा। ओम अभी वोल्स वागन मोटर्स के साथ काम कर रहा है। यहां वह मैग्नेटिक इंजन पर भी वर्क कर रहा है। यह इंजन तैयार होने के बाद कार के लिए फ्यूल की जरूरत नहीं रह जाएगी।
इंजन को इलेक्ट्रो मैग्नेटिक बेस पर तैयार किया जा रहा है। यह बैट्री से स्वत: एनर्जी बनाएगी। हालांकि उन्होंने इसके बारे में डीपली बताने से इंकार किया, लेकिन इतना बताया कि जल्द ही यह मार्केट में उपलब्ध होगा। इसके आने के बाद हर आदमी के पास अपना कार होगा। ओम अपने जीत का क्रेडिट कैप्टन आदित्य दंडवते व टीम मेंबर्स प्रशांत, हर सिमरन और ड्राइवर ओसन कोठारिया को भी दिया। ओम ने रेसिंग में ही दिमाग नहीं लगाया, बल्कि फूड में भी अपनी सर्विस दी। उसके ईमानदार कोशिश का ही नतीजा है कि पुणे बेस्ड ऑर्गेनिक फूड फर्म नॉरिशिंग फूड का वह फाउंडर हैं। यह कंपनी आज की डेट में छह करोड़ की कंपनी है।

 

Posted By: Inextlive