नियम को ताक पर रख पाटिपुल घाट पर हो रहा है नावों का परिचालन. सवारी बैठाने से पहले लीकेज नाव से नाविक निकालते हैं पानी.

पटना (ब्यूरो)। लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से कई आदेश निर्देश जारी किए जाते हैं। इसका पालन करवाने के लिए पुलिस प्रशासन की टीम भी लगी रहती है, लेकिन इसके बाद भी कई स्तर पर नियम का पालन न कर खुद के साथ ही दूसरों की जान को खतरे में डालने वाले दिख ही जाते हैं। सड़क तो सड़क अब नदी में भी नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले बढ़ गए हैं। हाल ही में नदीं में नाव परिचालन को लेकर प्रशासन की ओर से नाविकों को कई निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन इसका पालन करने में अधिकांश नाविक रूचि नहीं ले रहे हैं। बता दें कि दो दिन बाद कार्तिक पुर्णिमा है। ऐसे में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगेगी। कई लोग नाव से एक घाट से दूसरे घाट पर जाएंगे। ऐसे में अगर नाविक नियमों का पालन नहीं करेंगे तो बड़ा हादसा हो सकता है।
ओवरलोड चल रही अनफिट नाव
राजधानी के पाटिपुल घाट पर नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से नाव का परिचालन जारी है। घाट पर चलने वाले अधिकतर नाव अनफिट है, और लगभग हर नाव ओवरलोड होकर चल रही है। ऐसे में किसी भी क्षण कोई भी अनहोनी हो सकती है। इतना ही नहीं इन घाटों पर सुरक्षा की दृष्टि से प्रशिक्षित नाविक की भी कमी देखी जा रही है। कार्तिक पुर्णिमा के अवसर पर पटना के विभिन्न घाटों पर भीड़ लगेगी। अगर इस तरह ओवरलोडेड नाव का परिचालन होता रहा तो जानमाल का भारी नुकसान भी हो सकता है।

नहीं करते रूल फॉलो
जिला प्रशासन के अधिकारी ने बताया कि नाव परिचालन के लिए अन्य मोटर वाहनों की तरह सवारी को चढ़ाने एवं माल ढोने के लिए क्षमता के अनुसार सवारी व माल लोड करने का प्रावधान है। इसके तहत नाव की लंबाई-चौड़ाई व उसकी क्षमता के अनुसार ही सवारी चढ़ाना एवं माल लोड करना है। परंतु नाव परिचालन करने वाले लोगों द्वारा इस बात का ख्याल नहीं रखा जाता है। कई नाविक एक नाव में 35 से 40 सवारी लोड कर लेते हैं जबकि उनके नाव की क्षमता 15 से 20 सवारी की है। नाव की तस्वीर देख कर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि नाव ओवरलोडेड है।

कागजों में फिट
पाटिपुल घाट पर पटना से दियरा नकटा और दियरा नकटा से पटना असुरक्षित ढंग से नाव का परिचालन किया जा रहा है। बताते चलें कि घाट पर चलने वाले 80 फीसदी नावों में लीकेज हैं। परिवहन विभाग के मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर गौतम कुमार ने बताया कि हर तीन साल पर नाव का रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल होता। रिपोर्टर द्वारा पूछने पर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर ने बताया कि हाल फिलहाल में कोई मामला लंबित नहीं है। नही किसी नाव का रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल कराया गया है। जबकि छठ पर्व के दौरान सुरक्षा में लगे 100 अधिक नावों का रजिस्ट्रेशन व फिटनेस जांच का आदेश जिला प्रशासन की ओर से दिया गया था। जबकि घाट पर नजारा ये दिखा कि नाविक नाव लीकेज नाव से पानी निकालकर सवारी बैठाता है। ऐसे में फिटनेस का प्रमाण देने की जांच प्रक्रिया पर ही सवाल उठ जाता है।

सामान की तरह ढो रहे सवारी को
पाटिपुल घाट पर स्थिति ये है कि नाविक सामान की तरह सवारी को इस पार से उस पार नाव से भेज रहे हैं। इन नाव पर सवारी के साथ मोटर साइकिल, मवेशी सहित कई भारी सामान मिल जाएंगे।

लाइफ जैकेट तक नहीं
एक्सपर्ट की मानें तो गंगा में नाव या मोटर बोट में बैठने से पहले लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य है। लाइफ जैकेट से अनहोनी के समय सहायता मिलती है। मगर पाटिपुल घाट पर लाइफ जैकेट तो दूर की बात है अप्रशिक्षित नाविक को लाइफ जैकेट के बारे में जानकारी तक नहीं है। रिपोर्टर द्वारा पूछने पर स्थानीय नाविकों ने बताया कि हम लोग इसी तरह सवारी को इस पार से उस पार करते हैं। कोई खतरा नहीं है।


अगर कोई ओवरलोडेड नाव का परिचालन कर रहा है तो ये गलत है। मैं इसे तत्काल चेक करवा लेता हूं। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
- नवीन कुमार, एसडीएम, पटना सदर

Posted By: Inextlive