सेंट्रल यूनिवर्सिटी से लेकर स्टेट यूनिवर्सिटी भी प्रभावित फील्ड विजिट नहीं होने से रुका है रिसर्च वर्क.

पटना (ब्यूरो)। कोरोना काल में साइंस की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है। खास तौर पर यूनिवर्सिटी और हायर एजुकेशन के बड़े संस्थानों में रिसर्च वर्क का काम ठंडे बस्ते में चला गया है। इसका बड़ा कारण फील्ड वर्क, डाटा कलेक्शन और बेसिक रिसर्च से जुड़े प्रोजेक्ट का बंद होना है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से भी कोरोना संक्रमण से बचाव आदि के लिए हायर एजुकेशन के संस्थानों में ऑफलाइन मोड में क्लास और प्रैक्टिकल बंद कर दिए गए हैं। इस वजह से इन संस्थानों में रिसर्च वर्क रुक गया है। बायो टेक्नोलॉजी, क्लाइमेटोलॉजी, जियोलॉजी, बॉटनी जैसे साइंस के सब्जेक्ट के स्टूडेंट प्रैक्टिकल नहीं कर पा रहे हैं।

न पढ़ाई न प्रैक्टिकल
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रमुख साइंस कॉलेजों में गिने जाने वाले एएन कॉलेज पटना में बायो टेक्नोलॉजी समेत तमाम साइंस सब्जेक्ट की पढ़ाई होती है। लेकिन अभी सब कुछ ठप है, कॉलेज बंद है। जहां एक और रूटीन क्लासेस किसी प्रकार से ऑनलाइन चल रहे हैं। वहीं, प्रैक्टिकल बिल्कुल बंद है। टीचर्स का भी कहना है कि साइंस की पढ़ाई कोविड काल में सबसे ज्यादा प्रभावित रहती है। क्योंकि स्टूडेंट्स प्रैक्टिकल नहीं कर पाते हैं। यह ऑनलाइन नहीं कराया जा सकता है। इसलिए जब कॉलेज पूरी तरह से ऑफलाइन खुल जाएगा तभी इसकी उम्मीद बनती है। एएन कॉलेज के बायो टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में शिक्षक मनीष कंठ ने बताया कि बीते वर्ष कोरोना काल के दौरान शिक्षण संस्थान बंद हुए थे और इस बार भी हालत लगभग वैसी ही है। फील्ड वर्क, डाटा कलेक्शन, प्रोजेक्ट डिसर्टेशन आदि बिल्कुल बंद है।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी प्रभावित
बिहार में क्लाइमेट चेंज और मौसम से संबंधित रिसर्च अग्रणी संस्थान सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के एनवायरमेंटल साइंस डिपार्टमेंट में भी रिसर्च वर्क ठप पड़ा है। यहां के प्रोफेसर डॉक्टर प्रधान पार्थसारथी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के गाइडलाइन के मुताबिक संस्थान बंद है। संस्थान खुलने पर ही रिसर्च और तमाम प्रकार के एकेडमिक एक्टिविटीज शुरू हो सकेगी।

Posted By: Inextlive