पेरेंट्स काउंसिलिंग के लिए मनोचिकित्सक से कर रहे संपर्क.

पटना (ब्यूरो)। राजधानी में कोरोना संक्रमण के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। साथ ही कोविड पैनिक के मामले भी सामने आ रहे हैं। इसमें विशेष तौर पर बच्चों के बीच कोविड पैनिक के मामले शामिल हैं। कुछ बच्चों के कोरोना संक्रमित हो जाने से स्वस्थ बच्चे भी घबरा रहे हैं। खासकर टीनएजर्स ज्यादा पैनिक हो रहे हैं। साइकोलॉजिस्ट अपनी काउंसिलिंग में बच्चों और उनके पेरेंट्स से बात करके यह समझाने का प्रयास करते हैं कि पैनिक होने की जरूरत नहीं होना है। केवल सावधानी बरतनी है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसके विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों और लोगों से बात की।

बिना डोज वाले बच्चों में पैनिक
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट बच्चों की काउंसिलिंग करने वाले डॉक्टरों से बातचीत की। इसमें एक बात निकल कर सामने आई कि 10 से 15 साल के बच्चों में कोविड पैनिक के मामले सबसे अधिक हैं। इसका अर्थ है कि वैसे बच्चे जिन्हें वैक्सीन की डोज नहीं लग रही है, उनमें इसका डर ज्यादा दिख रहा है। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ। बिंदा सिंह ने बताया कि इस उम्र के बच्चों के पेरेंट्स से बातचीत करने पर पता चला कि बच्चों में इसे लेकर पैनिक का वातावरण है और वे स्ट्रेस में आ रहे हैं। उनके अंदर पैनिक एटीट्यूड डेवलप हो रहा है। अपने साथ खेलने- कूदने वाले बच्चों के बीच सामान्य बुखार होने पर भी उनके अंदर डर बैठ जाता है। ऐसी स्थिति में परिवार के सभी सदस्यों को डर की बात निकाल उन्हें मेंटली पूरा सपोर्ट करना चाहिए।

बच्चों पर कम प्रभाव
हालांकि, इस बार भी बच्चे कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। लेकिन उनकी इम्यूनिटी बुजुर्गों और बड़ों से बेहतर होती है। वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। एम्स पटना के मनोचिकित्सा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। राजीव रंजन ने बताया कि बच्चों को कोमोरबिडिटी वाले या पहले से गंभीर बीमारी वाले बुजुर्ग लोगों से दूर रखने की जरूरत है। हालांकि, बच्चों को एक टाइम लिमिट में फिजिकल एक्टिविटी या खेलकूद के लिए अनुमति दी जा सकती है। बच्चे यदि कोरोना संक्रमित हो भी जाए तो वह जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन उन्हें यह समझाना जरूरी है कि कोरोना को लेकर एप्रोप्रियेट बिहेवियर करना चाहिए। मास्क जरूर लगाना चाहिए।

बच्चों को समय पर काउंसिलिंग कराना चाहिए। बच्चे यदि स्वस्थ हैं और खेलने की जिद करें तो उन्हें मास्क लगाकर खेलने दिया जा सकता है। बहुत पैनिक होने की जरूरत नहीं है।
- डॉ। विनोद कुमार सिंह मेडिकल सुपरिटेंडेंट एनएमसीएच
बच्चों की मानसिक समझ बड़ों से भिन्न होती है और रूटीन डिस्टर्ब होने पर उन्हें पैनिक फील हो सकता है। पेरेंट्स को इस समस्या को दूर करना चाहिए। पैनिक न होने दें और सावधानी बरतें।
- डॉ। राजीव रंजन, असिस्टेंट प्रोफेसर, साइकेट्रिक डिपार्टमेंट, एम्स पटना

Posted By: Inextlive