दिसंबर के पहले हफ्ते से शुरू हुआ संक्रमण अब पडऩे लगा कमजोर.

पटना (ब्यूरो)। बिहार में कोरोना की तीसरी लहर का असर कमजोर दिख रहा है। यह पहली और दूसरी लहर की अवधि की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा है। दूसरी लहर में संक्रमण करीब 35 से 40 दिनों तक पीक पर था लेकिन जिस तरीके से तीसरी लहर में केस घट रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि इसका पीक आ चुका है। जिसमें करीब 20 दिन ही ज्यादा असरदार रहा, संक्रमण की दृष्टि से। अब इसका ग्राफ ढलान पर है। पटना की ही बात करें तो संक्रमण की दर में भारी कमी दर्ज की गई है। हालांकि विशेषज्ञों का अनुमान था कि यह फरवरी के पहले हफ्ते के बाद ही संक्रमण दर अपने पीक तक पहुंचेगा । लेकिन वर्तमान आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि पीक टाइम हो चुका है। क्योंकि नए केसेज के मामले में अब कमी आ रही है। बीते एक हफ्ते में बिहार के पाजिटिविटी रेट में 1.37 प्रतिशत और पटना में इसके रेट में 8.44 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

20 दिनों में मिले 29000 संक्रमित
पटना में जनवरी माह में 16 दिनों में 29000 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए है। एक जनवरी से 16 जनवरी तक 20 लोगों की मौत पटना में हुई है। जबकि 19 जनवरी तक एक्टिव मामलों की संख्या 9619 है। 19 जनवरी तक पटना में पाजिटिविटी रेट 10.81 जबकि प्रदेश का पाजिटिविटी रेट 2.30 है। यह एक हफ्ते पहले तक क्रमश: 19.25 और 3.67 रहा था। संक्रमण की रफ्तार कोरोना की दूसरी लहर से कहीं आगे है। लेकिन यह शुरू के करीब बीस दिनों यानि 26 दिसंबर से लेकर 15 जनवरी तक ही तेज रहा। इसके बाद से संक्रमण दर में तेजी से कमी दिख रही है। जहां 14 जनवरी को पटना में पाजिटिविटी रेट 19.25 प्रतिशत था और बिहार में 3.67 प्रतिशत वह 19 जनवरी को क्रमश: 10.81 और 2.30 हो गया है।
सिर्फ यही नहीं, स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की बात करें तो पटना में दूसरी लहर में एक दिन में सबसे अधिक एक्टिव मामले 32500 रही है जबकि तीसरी लहर में यह 14000 के पार नहीं पहुंचा है। सिर्फ यही नहीं, दूसरी लहर के दौरान 1 दिन में सर्वाधिक 32500 एक्टिव केस थे लेकिन तीसरी लहर में 1 दिन में सर्वाधिक एक्टिव केस मात्र 14000 ही रही है।

इसलिए भी तीसरी लहर कमजोर
दूसरी लहर में कोरोना टेस्टिंग के दौरान 1 दिन में सर्वाधिक पॉजिटिव मरीजों की संख्या 5500 थी लेकिन तीसरी लहर में 2000 से 2200 तक पॉजिटिव पेशेंट मिले हैं। दूसरी लहर में हॉस्पिटलाइजेशन की दर 7 प्रतिशत से 8 प्रतिशत थी जो तीसरी लहर में मात्र एक प्रतिशत के आस पास ही है। इसी प्रकार, दूसरी लहर में लोगों को बेड एवं ऑक्सीजन का भारी डिमांड थी लेकिन तीसरी लहर में अभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल को छोड़कर संक्रमितों की भीड़ कहीं नहीं है।

बरते पूरी सावधानी
कोरोना से बचाव के लिए अभी सावधानी बहुत जरूरी है। क्योंकि यह फिर से तेज भी हो सकता है। एनएमसीएच के नोडल आफिसर डॉ अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि यदि थोड़ा भी लक्षण भी आ जाए, तो तुरंत जाचं कराकर आइसोलेट हो जाएं। खास तौर पर गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोगों को सावधान रहना चाहिए। अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचना चाहिए। सोशल डिस्टेंस और मास्क के साथ साफ सफाई पर ध्यान दिया जाए।

Posted By: Inextlive