कब तक बनते रहेंगे development fool?
बीते दिनों की बात रह जाएगीगवर्नमेंट की तरफ से विभिन्न ड्रीम प्रोजेक्ट की अनाउंसमेंट की झड़ी लगी है। पटनाइट्स भी डे-टू-डे की प्रॉब्लम्स जैसे सड़क जाम, रोड पर लगी गंदगी, इनक्रोचमेंट और पॉल्यूशन देखकर यह सोच रहे हैं कि बस कुछ ही समय बाद ये मुसीबतें बीते दिनों की बात रह जाएगी। आइए जानते हैं कौन-कौन सा प्रोजेक्ट अभी तक फाइलों में ही डेवलप कर रहा है। Metro rail project
मेट्रो रेल प्रोजक्ट को 14 सितम्बर 2011 को ही प्लानिंग कमीशन का अप्रूवल मिल चुका है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बदहाली से परेशान पटनाइट्स ने इस प्रोजेक्ट की अनाउंसमेंट से राहत की सांस ली। हालांकि अब तक इस प्रोजेक्ट का बेसिक होमवर्क भी तैयार नहीं होने से लोगों को ताज्जुब लग रहा है। 9000 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के फस्र्ट फेज में डाक बंगला चौराहा से सुगना मोड़ और दानापुर से पटना जंक्शन तक मेट्रो रेल बनाने की स्कीम थी, पर स्टेट गवर्नमेंट सेंट्रल को अब तक डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिर्पोट भी नहीं भेज पाई है। हालांकि अब इसके फिजिब्लिटी रिपोर्ट के लिए आनेवाले 2-3 महीने में टेंडर करने की बात जरूर की जा रही है। फिजिब्लिटी रिपोर्ट के आठ महीने में तैयार होने के बाद जून 2014 से आगे के प्रोसेस पूरी करने का हवाई किला बनना है। Report by Sumia Jaiswal
Patna Haatस्टेट के आर्ट को प्रमोट करने के लिए फेमस दिल्ली हाट की तर्ज पर ही पटना हाट बनाया जाना था, जो गवर्नमेंट अनाउंसमेंट के अकॉर्डिंग मार्च 2013 में पूरा हो जाना था। इस हाट को डेवलप करने की अनाउंसमेंट फरवरी 2012 में की गई थी, जिसके लिए जगह भी म्यूजियम के पीछे बुद्ध मार्ग पर सेलेक्ट की गई थी। पर, इस प्रोजेक्ट पर अब तक ना ही कोई काम शुरू हुआ है ना ही रिलेटेड ऑफिसर को भी इसके स्टेटस के बारे में कोई जानकारी है। Amusement parkदिल्ली के अप्पू घर और मुम्बई के एसेल वल्र्ड की तरह करीब 150 करोड़ रुपए की लागत से पटना के हार्डिंग पार्क के जगह अमुयज्मेंट पार्क बनना था। यह पार्क कागज से निकलकर कब हकीकत बनेगा, इसकी लोगों को कोई जानकारी नहीं है।Riverfront development
गंगा के बीस किलोमीटर एरिया में करीब बीस गंगा घाटों का फेस लिफ्ट होना था। कोलकाता के सुंदर रिवर फ्रंट की तरह यहां ग्रीन पैच, लैंड स्केपिंग और फुड कोर्ट बनाए जाने की स्कीम थी। प्लान हालांकि कछुए की चाल से चल रही थी, पर अच्छी बात यह कि काम रुका नहीं। सारे कागजी घोड़े दौड़ाने के बाद जब इसे जमीन पर उतारने की बारी आई, तो पता चला कि उक्त स्कीम से डिस्प्लेस होनेवालों के लिए योजना में कोई रिहैब पॉलिसी ही नहीं बनी है, सो यह स्कीम चलकर फिर रुक गई। डिपार्टमेंटल ऑफिशियल होप कर रहे हैं कि यह छोटी सी बाधा भी जल्द ही हटा ली जाएगी और काम रफ्तार पकड़ लेगी। जेनरूम सिटी बनाने का सपनासेंट्रल गवर्नमेंट फंडेड जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जेनरूम) स्कीम के तहत पटना में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, पूरे वीक चौबीस घंटे वाटर सप्लाई, सीवरेज नेटवर्क, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, पीसीसी सड़क सह नाला निर्माण और पार्कों का निर्माण शामिल था। यह योजना निर्धारित समय से ऑलरेडी लेट चल रही है। वैसे इसके लिए डीपीआर तैयार करने में देर होने की वजह से अब तो सेंट्रल अनुदान के भी लाले पडेंग़े। लो फ्लोर बसों का इंतजार कब तक?
पटना को अन्य स्टेट्स के कैपिटल से कंपेयर करें तो सिटी को इंफ्रास्ट्रक्चर वाइज पूरी तरह से डेवलप होने में और डेवलप्ड सिटी की कैटेगरी में आने के लिए अभी वक्त लग सकता है। सिटी के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को ही लीजिए, यहां की बसों और ऑटो में डेली टू एंड फ्रो करना किसी बुरे सपने से कम नहीं होता। उस पर भी ये बसें या ऑटो सभी रूट के लिए नहीं मिलती। इसलिए दिल्ली की तरह ही पटना में भी पब्लिक को बेहतर ट्रांसपोर्ट फैसिलिटीज अवेलेबल कराने के लिए लो फ्लोर बस चलाने की स्कीम बनी.जब इस स्कीम को हकीकत बनाने का वक्त आया, तो गवर्नमेंट को दिन में तारे नजर आने लगे। इस स्कीम को मेजर ब्लो तब लगा, जब पब्लिक प्राइवेट पार्टिसिपेशन मोड के तहत जारी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट में किसी भी ट्रांसपोर्ट एजेंसी ने इंटरेस्ट नहीं लिया। हद तो यह है कि इसके लिए दो साल पहले तक दो बार टेंडर किए गए, पर कोई बीडर टर्नअप नहीं हो सका। इस स्कीम के लिए नोडल एजेंसी को करीब 1995 लाख रुपए का फंड रिलीज किया जा चुका था। पीपीपी मोड में लो फ्लोर बस ऑपरेट करने के लिए अब काफी अट्रैक्टिव स्कीम फ्लोट करने की प्लानिंग है। गवर्नमेंट केवल बस फेयर तय करे, रूट तय करने की आजादी ट्रांसपोट्र्स को दी जाए। उन्हें बस ऑपरेट करने के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे स्पेशल बस डिपो दिया जाए। अभी इस सब्जेक्ट में फाइनल डिसीजन के बाद जल्द ही फिर से टेंडर किया जाएगा। इस बार स्कीम के सक्सेसफुल होने की उम्मीद है। जय सिंह, ज्वाइंट सेक्रेटरी कम डायरेक्टर, अर्बन डेवलपमेंट एंड हाउसिंग डिपार्टमेंट।