- शिक्षक दिवस समारोह में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी की घोषणा

- अगले साल से शिक्षक पुरस्कार राशि होगी दोगुनी

-18 शिक्षकों को राजकीय व दो शिक्षकों को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

PATNA :

शिक्षा मंत्री ने रविवार को शिक्षा विभाग में शिक्षक दिवस समारोह पर 18 शिक्षकों को राजकीय पुरस्कार और दो शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। राजकीय पुरस्कार पाने वाले प्रत्येक शिक्षक को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न और 15 हजार रुपए का चेक प्रदान किया गया। राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले कैमूर के शिक्षक हरिदास शर्मा और मधुबनी के राजनगर की शिक्षिका चंदना दत्त को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न व 50 हजार रुपए दिए गए।

शिक्षा मंत्री ने की घोषणा

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने घोषणा करते हुए कहा कि शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए न्यायिक बाधाओं को दूर कर पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां चल रही हैं। बिहार में स्कूली शिक्षकों के खाली पद जल्द भरे जाएंगे। सभी विद्यालयों में बेहतर प्रशासन व प्रबंधन के लिए प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक का नया संवर्ग बनाया गया है। इन पदों के लिए बिहार लोक सेवा आयोग से होने वाली परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले शिक्षक बहाल होंगे। वहीं शिक्षकों के सम्मान में अगले साल से पुरस्कार की राशि दोगुनी करने पर विधिसम्मत फैसला लिया जाएगा।

शिक्षित व विकसित बिहार का सपना होगा साकार

शिक्षा मंत्री ने सभी शिक्षकों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महान शिक्षाविद व पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का व्यक्तित्व और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलकर शिक्षकों को अपने आचरण और आदर्श से समाज में कीर्तिमान स्थापित करना चाहिए। आज का दिन सुयोग्य व प्रतिभावान शिक्षकों को सम्मानित करने का विशेष महत्व है। इससे दूसरे शिक्षक भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होते हैं। बिहार में योग्य शिक्षकों की कमी नहीं है, शिक्षकों पर हमें नाज है। ऐसे शिक्षकों के बूते ही शिक्षित एवं विकसित बिहार का सपना साकार होगा।

नवाचार का प्रयोग करें शिक्षक

शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों में दक्षता और योग्यता की कोई कमी नहीं है। शिक्षकों को अपने शिक्षण कार्य में नवाचार का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि सरकार नीतियां बनाती हैं, कार्यक्रम तय करती है, लेकिन शिक्षकों के शत-प्रतिशत योगदान के बिना हमारी नीतियां सफल नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते डेढ़ साल से तमाम विद्यालय बंद रहे। इससे बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई कैसे हो, यह सबसे बड़ी चुनौती है। शिक्षकों को ही बच्चों को अगली कक्षाओं के लिए तैयार करना होगा। बच्चों की गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई से न समझौता करेंगे, न किसी से भेदभाव होने देंगे।

Posted By: Inextlive