PATNA: मैं वीरचंद पटेल पथ. मुझे भी इंतजार है 8 नवंबर का. मैं बताता हूं आपको चुनाव प्रचार के दरम्यान कई रातें जागकर कटी कई नेताओं की. कइयों को लेनी पड़ी नींद की दवा. लेकिन ये रात कुछ खास थी. 7 नवंबर की रात. नेताओं की रात खुद को मनाते मन्नतें मांगते और घड़ी की टिक-टिक देखते बीती . अपनों से घिरे रहे नेताजी. दोनों तरफ खुशी. दोनों तरफ से दिए गए फूलों के आर्डर. पटाखे छोडऩे की तैयारी दोनों तरफ से है. अभी ठंड उतनी नहीं हुई है कि रजाई निकल जाए. चादर से काम चल रहा है अभी. हां पंखे बंद हो गए हैं कई घरों में. लेकिन बिहार की हवा गर्म है. सर्द रात को भी गप-शप ने गर्म बनाए रखा. सब के अपने-अपने दावे अपने-अपने तर्क. विभीषणों ने कहीं खेल तो नहीं बिगाड़ दिया? इस चिंता में भी रहे नेता. जनता को जितना रिझाना था रिझा लिया बयानों से जितना फायदा लेना था ले लिया. रैलियों की भीड़ भी देख ली. ये भीड़ ये बयान वोट में बदलेंगे कि नहीं इसी चिंता में कटी रात. तेरी-मेरी दोस्ती का कैसा रिजल्ट जनता ने दिया है ये सोचते कटी रात.


दोस्ती, दुश्मनी मेंं बदल गई
सीएम हाउस, राबड़ी आवास, जीतन राम मांजी आवास सुशील मोदी आवास, यहां से दूर है लेकिन सब की फीलिंग मुझसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता। मुझे याद है जब बीजीपी कोटे के मंत्रियों को बर्खास्त किया गया था तब कैसे बीजेपी और जेडीयू के बीच लाठियां चली थीं। खून गिरा था। वर्षों की दोस्ती कैसे दुश्मनी में बदल गई थी। वह समय भी मुझे याद है जब लालू- नीतीश की की दोस्ती, दुश्मनी मेंं बदल गई थी और ये समय भी  देख रहा हूं जब दोनों गले मिले हुए हैं। लाठी में तेल पिलाने वाला जमाना भी देखा और ब्रह्मïेश्वर मुखिया की हत्या के बाद मेरी छाती पर जीप जलायी गई थी कैसे वह भी देखा है। मुझसे पूछो मेरी आस पास किस पार्टी पर टिकट बेचने का आरोप नहीं लगा? पार्टी दफ्तरों से ज्यादा महत्वपूर्ण राबड़ी, नीतीश और सुशील मोदी के आवास कैसे हो गए मुझसे पूछो.  इनकम टैक्स की तरफ से होते हुए विधान सभा की ओर जाएं तो मेरे दाहिनी तरफ जेडीयू ऑफिस है और मेरे बायें तरफ बीजेपी और उससे आगे आरजेडी ऑफिस है। महागबंधन ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा तो एनडीए ने नरेन्द्र मोदी को आगे करके। लड्डू किधर बंटते हैं। कई सत्ता संग्राम का गवाह रहा मैं और मुझे यकीन है बिहार की जनता जो जवाब देगी वह धमाकेदार होगा देश भर के लिए।-प्रणय प्रियंवद

Posted By: Inextlive