पटना में 35 यूनिट प्लास्टिक उत्पादन से

पटना (ब्यूरो)। सरकार ने 19 प्लास्टिक आइटम को बैन किया है। इसके कई कारणों में से एक है प्लास्टिक के उत्पादन में हाई एनर्जी की खपत। एनर्जी एक्सपर्ट के मुताबिक जितनी एनर्जी एक कार के करीब एक किलोमीटर तक चलने में खपत होती है उतनी एनर्जी नौ प्लास्टिक कैरी बैग के उत्पादन में होती है। जबकि एक बार में हजारों की संख्या में कैरी बैग का उत्पादन एक मशीन से किया जाता है। इसलिए इसके उत्पादन में बिजली की बहुत अधिक बर्बादी है। जिसे सस्टेनेबल अप्रोच नहीं कहा जा सकता है। बिहार भले ही नेशनल लेवल पर प्लास्टिक आइटम के उत्पादन में पहला राज्य नहीं है लेकिन प्रति व्यक्ति खपत के हिसाब से बिहार भी अग्रणी राज्यों में शामिल है।

पटना में 35 यूनिट में उत्पादन
पटना में प्लास्टिक आइटम के उत्पादन के लिए 35 यूनिट का संचालन किया जा रहा है। जिसका उत्पादन दीघा और अन्य जगहों से हो रहा है। यह प्लास्टिक उद्योग के लिए भी चुनौती है कि उन्हें बहुत अधिक मात्रा में बिजली की खपत करनी पड़ती है। ये सभी कंज्यूमर एचटी कंज्यूमर की श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी प्लास्टिक उत्पादन को लेकर लगातार समस्या बनी रहती है।
इसलिए बिजली यूज कम की जरूरत
प्लास्टिक चूंकि कॉमन यूज की चीजें है और इसमें बिजली की खपत अन्य इंडस्ट्री से कहीं अधिक है। इसके उत्पादन में इस बात का रिस्क बना रहता है कि कहीं पावर सप्लाई कट न जाए। क्योंकि प्लास्टिक का रॉ मैटेरियल बिजली के अभाव में बहुत जल्दी खराब हो जाता है और इसका यूज फिर से नहीं किया जा सकता है। बिहार में जो बिजली का उत्पादन है वह कोयला आधारित ही है। इसलिए इससे यहां पर्यावरण को बहुत क्षति हो रही है। इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना कि मार्केट में काफी प्रतिस्पद्र्धा है इसलिए बिजली समेत तमाम सुविधाओं का होना जरूरी है।


कामोडिटी प्लास्टिक ज्यादा नुकसानदेह
प्लास्टिक इंडस्ट्री की वेराइटी और यूटिलिटी को देखते हुए प्लास्टिक का उत्पादन एक चैलेंज है। जिसमें पैकेजिंग प्लास्टिक से लेकर हाउसहोल्ड प्लास्टिक सभी शामिल हैं। हालांकि इसके मुख्य प्रकार को देखे तो यह दो प्रकार का है। इनमें एक कैटेगरी थर्मोसेट प्लास्टिक है तो दूसरा थर्मोप्लास्टिक। थर्मोसेट प्लास्टिक को मोड़ा नहीं जा सकता है और यह काफी सख्त होता है। यदि इसे हीट किया जाता तो यह जलने लगता है और केमिकल कंपोजीसन में चेंज आता है। इसका आम प्रयोग कम है। दूसरी ओर, थर्मोप्लास्टिक की बात करें तो यह दो प्रकार का है। जिसमें एक कामोडिटी प्लास्टिक और दूसरा इंजीनियरिंग प्लास्टिक में बांटा जाता है। कामोडिटी प्लास्टिक का यूज आम लोग सर्वाधिक करते हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक भी इसी कैटेगरी में शामिल है। चूंकि सिंगल यूज प्लास्टिक का यूज पर्यावरण के नुकसान की दृष्टि से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

ऐसे प्लास्टिक भी हैं कॉमन यूज में
कामोडिटी प्लास्टिक के अंतर्गत कुछ खास प्रोडक्ट शामिल हैं। इनमें शामिल हैं - बाल्टी, मग, खिलौने, मेडिकल कंपोनेंट, वाशिंग मशीन ड्रम, बैटरी केसेज, बोटल कैप आदि। इसी में लो डेनसिटी पॉलीथीन में शामिल हैं। मिल्क पैकेजिंग, इंजेक्शन मॉडलिंग वायर और केबल, प्लास्टिक बैग कम्प्यूटर कंपोनेंट आदि के लिए, लेबोरेटरी इक्यूपमेंट, ट्रे और जेनरल पपर्स कंटेनर, प्लास्टिक रैप, जूस और मिल्क कार्टून आदि।

Posted By: Inextlive