मोहर्रम की दसवीं तारीख को पैठानटोली और बाली मोड़ से निकाला जंजीरी मातम का जुलूस चैलीटाड़ के शाह बाकर का तकिया कर्बला में शाम ए गरीबा की मजलिस में कर्बला की दास्तान


पटना (ब्यूरो)। मोहर्रम की दस तारीख यानी मंगलवार की सुबह शिया समुदाय द्वारा आलमगंज के पैठान टोली मोड़ से जंजीरी मातम करते हुए जुलूस निकाला गया। सभी उम्र के लोग कर्बला के शहीदों की याद में अपने सीने को पीटते हुए खंजर से स्पर्श कर रहे थे। नौजवानों का सीना लहूलुहान था। रिसते खून पर गुलाब के पानी की फुहार बरसायी जा रही थी। काले और सफेद कपड़े में मातम करते लोगों के सीने से निकल रहा लहू का हर एक कतरा मानो या हुसैन, हाय हुसैन, या मौला पुकार रहा था। जुलूस में विभिन्न अंजुमनों से जुड़े लोग अलम के साथ नौहा व मर्सिया पढ़ते हुए चल रहे थे। अशोक राजपथ के रास्ते जंजीरी मातम करता हुआ यह जुलूस पत्थर की मस्जिद स्थित करनाल कलबे अली खान के इमामबाड़ा पहुंचा।

जुलूस चैलीटाड़ स्थित शाह बाकर का तकिया इमामबाड़ा पहुंचा
वहीं, बाली इमामाबाड़ा से शाम में शिया समुदाय ने जंजीरा मातम करते हुए जुलूस निकाला। अशोक राजपथ के रास्ते यह जुलूस चैलीटाड़ स्थित शाह बाकर का तकिया इमामबाड़ा पहुंचा। यहां रात में शाम ए गरीबा की मजलिस आयोजित की गयी। मौलाना ने अपनी तकरीर में कर्बला की जंग और हजरत इमाम हुसैन समेत शहीद हुए 72 लोगों की शहादत का शब्द चित्रण किया। जुलूस में बाली मसजिद के सैयद मुजफ्फर रजा, चमडोरिया इमामबाड़ा के सचिव सैयद शाह जौहर इमाम जानी, डा। सिकंदर अली, सैयद सरवर अली, सैयद हसन अली, तनवीरूल हसन तन्नू, संजर अली समेत अन्य अकीदतमंद थे। इससे पहले सुबह में नवाब बहादुर रोड से फूल व अलम के साथ निकला जुलूस नौजर कटरा इमामबाड़ा गया। यहां अंजुमन ए हैदरी द्वारा आयोजित शाम ए गरीबा की मजलिस में उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर से आये मौलाना शारिब अब्बास ने तकरीर की।

Posted By: Inextlive