टॉयलेट से लेकर वॉश बेसिन तक में फैली रहती है गंदगी.

पटना (ब्यूरो)। कभी कोरोना तो कभी प्लेटफॉर्म टिकट तो कभी डेवलपमेंट के नाम पर रेलवे ने ट्रेन का किराया बढ़ाया। लेकिन पैसेंजर की सुविधाओं को बढ़ाने के बजाय कम दिया। रेलवे की ओर से ट्रेन के कोच को साफ-सुथरा रखने का दावा किया जाता है। इसकी मॉनिटरिंग नहीं की जाती है। चलती ट्रेन में गंदगी होने या टॉयलेट से बदबू आने पर पैसेंजर शिकायत नहीं कर पा रहे हैं। किसी तरह रेलवे के हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत भी दर्ज हो जाती है तो इसका समाधान नहीं हो पाता है। इस तरह की शिकायत मिलने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने फतुआ से राजेन्द्र नगर टर्मिनल तक साउथ बिहार ट्रेन में सफर किया तो साफ-सफाई की हकीकत सामने आई।

टॉयलेट में आ रही बदबू
साफ-सफाई की पड़ताल करने के लिए हमारी टीम दुर्ग से आने वाली ट्रेन नंबर 13287 साउथ बिहार एक्सप्रेस में सुबह छह बजे फतुआ में सवार हुई। ट्रेन के खुलने के बाद पता चला कि एलएचबी कोच में भी कई असुविधा है। टॉयलेट से आ रही बदबू और कोच में गंदगी से यात्री परेशान हैं। ज्यादा किराया देने के बाद भी कोच में आ रही टॉयलेट की बदबू के बीच बैठकर पैसेंजर को सफर करना पड़ रहा है। एस टू में यात्रा करने वाले यात्री विनोद ने बताया कि टॉयलेट की स्थिति अत्यंत खराब है। ट्रेन रवाना होने के चंद मिनट बाद कोच के टायलेट से बदबू आने लगी। यह बदबू इतनी ज्यादा थी कि सीट पर बैठना भी मुश्किल हो रहा था। टॉयलेट की सही ढंग से सफाई नहीं की गई थी।

कोच में की सफाई नहीं
कोच के अंदर रेलवे की ओर से कितनी सफाई हो रही है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साउथ बिहार एक्सप्रेस के कई कोच में मकड़ का जाल लगा हुआ था। यात्रियों ने बताया कि मकड़े के जाल को अशुभ माना जाता है।

वाश बेसिन में गंदगी का अंबार
ट्रेन के अधिकांश कोच में वाश बेसिन में गंदगी भरी मिली। यात्रियों ने बताया कि अनारक्षित टिकट वाले यात्री आरक्षित कोच में आकर गंदगी फैला कर चले जाते हैं। इन्हें टोकने-रोकने वाला कोई नहीं है। अगर कोई हाथ भी धुलने के लिए जाता है तो वाश बेसिन में पानी भर जाता है।

करंट का खतरा
कोच संख्या एस थ्री में गेट के पास लगा इलेक्ट्रिक बोर्ड खुल हुआ था। टीटीई को दिखाने के बाद भी मेंटिनेंस वाले लोग नही आए। प्लाई बोर्ड बार-बार हवा के झोंके से टकरा रहे थे। यात्रियों ने बताया कि रेलवे की लापरवाही से करंट लगने का खतरा रहता है।

फायर सिलेंडर पुराने
साउथ बिहार एक्सप्रेस के विभिन्न कोचों में लगे फायर सेफ्टी सिलेंडर 23 जनवरी, 2022 को एक्सपायर हो रहे हैं और रेलवे की टेक्निकल टीम एक्सपायर होने का इंतजार कर रही है। बताते चलें कि फायर सेफ्टी सिलेंडर आग लगने की स्थिति में मददगार होते होते हैं।

क्लीन माय कोच भगवान भरोसे
रेलवे की सुविधाएं इन दिनों भगवान भरोसे पर चल रही हैं। खासतौर पर क्लीन माय कोच सेवा। दरअसल, रेलवे ने चलती ट्रेन में कोच और टॉयलेट से जुड़ी शिकायतों के लिए क्लीन माय कोच की सुविधा दी थी। लेकिन कोरोना के बाद से अधिकांश ट्रेनों में यह सुविधा बंद कर दी गई है। इस सुविधा में शिकायत करने वाले कोच में तैनात सफाई कर्मचारी तत्काल उनके पास पहुंचता है। उसकी शिकायत दूर कर उससे फीडबैक फार्म भरवाता और फिर यात्री के मोबाइल पर आए पिन को लेता है। यह पिन कर्मचारी अपने वरिष्ठ अधिकारी तक पहुंचा देता है, जिससे यह पता चल जाता है कि शिकायत दूर कर दी गई है।

क्या है क्लीन मॉय कोच
- यात्री अपने मोबाइल पर एसएमएस के जरिए पीएनआर दर्ज कर उसे 58888 पर भेज सकते हैं।
- यात्री को अपनी शिकायत दर्ज करनी होती है, जो ऑनबोर्ड स्टॉफ के पास चली जाती है।
- इसमें सफाई, पानी, ट्रेन की लाइट, एसी और कीट नियंत्रण की शिकायत दर्ज होती है।

Posted By: Inextlive