बिहार मिड डे मील हादसे में एचआरडी मिनिस्‍ट्री ने प्रशासन को लापरवाह पाया है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्‍चों को टाइम पर हॉस्पिटल पहुंचाया जाता तो उनकी जान बच सकती थी. उधर एक वकील की याचिका पर सीजेएम कोर्ट ने बिहार के सीएम और डीएम सहित कई के खिलाफ एफआईआर रजिस्‍टर करने के ऑर्डर दिए हैं. याचिका में कहा गया है कि किसी भी सक्षम अधिकारी ने अपनी जिम्‍मेदारी ठीक से नहीं निभाई जिससे हादसे के बाद बच्‍चों की जान बच सके.


एचआरडी रिपोर्ट ने खोली प्रशासन की पोलमानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बिहार में हुई मिड डे मील की घटना में यदि बच्चों को समय पर अस्पताल ले जाया जाता और उचित इलाज होता तो कई बच्चों की जान बच सकती थी। मंत्रालय ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका को दोषी ठहराते हुए कहा कि उसने मिड डे मील को लेकर छात्रों की शिकायत को अनसुना कर दिया। अपर सचिव द्वारा रविवार को मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया कि आरोपी प्रधानाध्यापिका के फरार होने के कारण अब तक मामले से पर्दा नहीं उठ सका है। सूत्रों ने बताया कि नई गुणवत्ता निगरानी समिति को लेकर मानव संसाधन एवं विकास मंत्री एमएम पल्लम राजू जल्द निर्णय करेंगे।सीजेएम कोर्ट ने दिया एफआईआर के ऑर्डर
बिहार के सारण जिले के छपरा के एक स्कूल में मिड डे मील से हुई 23 बच्चों की मौत के मामले में छपरा की सीजेएम अदालत ने मशरक थाने में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, सारण जिलाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी व मशरक बीईओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अनिल कुमार झा की अदालत ने प्राथमिकी को मशरक थाने में मिड डे मील मामले को लेकर पूर्व में दर्ज प्राथमिकी के साथ जोडऩे का आदेश दिया है। मामले को लेकर छपरा के एक वकील ने सोमवार को परिवाद दायर किया था। वकील ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपने दायित्वों का सही तरह से निर्वाह नहीं करने का आरोप लगाया है।Courtsy: Dainik Jagran

Posted By: Inextlive