-आईजीआई एमएस में कुल 138 पेशेंट का ऑपरेशन किया गया

PATNA: कोरोना की दूसरी लहर में जब कोरोना के मामले कम होने लगे तो दूसरी ओर इसके दुष्प्रभाव से कमजोर इम्युनिटी वाले पेशेंट ब्लैक फंगस के शिकार होने लगे। बिहार में इससे पीडि़त पेशेंट के ऑपरेशन की सुविधा फिलहाल केवल पटना में ही है। यहां कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल भी ऑपरेशन कर रहे हैं। लेकिन आईजीआईएमएस और एम्स में इसके करीब 300 से ज्यादा पेशेंट को इलाज के बाद जीवनदान मिला। ऐसे पेशेंट को डॉक्टर्स द्वारा ऑपरेशन के बाद भी ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसकी पड़ताल की।

टीम वर्क से मिली सफलता

आईजीआईएमएस में म्यूकर माइकोसिस यानि ब्लैक फंगस के पेशेंट के बेहतर ट्रीटमेंट के लिए इससे संबंधित डॉक्टरों की देखरेख में किया जा रहा है। इसके त्वरित व्यवस्था करते हुए यहां म्यूकर ओपीडी चलाई जा रही है। इसमें ईएनटी, आई डिपार्टमेंट, सर्जरी डिपार्टमेंट और एनीस्थीसिया के डॉक्टर्स की टीम मिलकर पेशेंट को देखते है। इसमें केस के मुताबिक उन्हें संबंधित डॉक्टर ऑपरेट करते हैं। प्राय: नाक से ही इसके इनफेक्शन को हटाने के लिए ईएनटी सर्जन की मदद ली जाती है। अब इसमें डेंटल डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स भी शामिल हैं। इसी प्रकार, एम्स में भी ईएनटी, सर्जरी, आई और एनीस्थिसिया डिपार्टमेंट की टीम मिलकर काम कर रही है।

114 की जान बची

आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के संक्रमण से अब तक 114 लोगों की जान बचाई गई है। मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि यहां कुल 138 पेशेंट का ऑपरेशन किया गया। इसमें चार की डेथ ऑपरेशन के दौरान और 20 की डेथ ऑपरेशन करने से पहले ही हो गई। खास बात यह कि यहां 12 जून को जमुई के 60 वर्षीय अनिल कुमार का ऑपरेशन कर उनकी जान बचाने में सफलता मिली। वह मिर्गी के पेशेंट थे और लगभग ब्रेन तक इसका इनफेक्शन हो गया था। लेकिन न्यूरो सर्जन डॉ ब्रजेश कुमार और उनकी टीम ने इस बेहद कठिन ऑपरेशन कर उनकी जान बचा ली। बताया गया कि जीवनदान मिलने वालों में कुल 114 में ये भी शामिल हैं।

22 मई को हुई महामारी घोषित

पटना में 16 मई से ही ब्लैक फंगस के मामले मिलने शुरू हो गए थे। इसके बाद राज्य सरकार 22 मई को कोरोना की भांति ब्लैक फंगस को महामारी में शामिल कर लिया गया। इसके बाद से जिला स्तर पर अन्य अस्पतालों में भी इसके इलाज और ऑपरेशन की सुविधा को दुरुस्त करने का निर्णय स्वास्थ्य विभाग ने लिया। लेकिन इसमें अब तक कोई कोई विशेष प्रगति नहीं है। पटना में अभी भी मुख्य रूप से इसके ऑपरेशन एम्स और आईजीआईएमएस में ही हो रहा है। दोनों हॉस्पिटल नोडल हॉस्पिटल बनाए गए हैं।

जब तक ब्लैक फंगस का इनफेक्शन ब्रेन तक नहीं पहुंचा होता है, सर्जरी कर जान बचाने का जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है। लेकिन जब यह ब्रेन तक पहुंच जाता है, तो जान बचने की संभावना 95 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

-डॉ मनीष मंडल, मेडिकल सुपरिटेंडेंट आईजीआईएमएस पटना

Posted By: Inextlive