मां सरस्वती के पूजनोत्सव से भक्तिमय माहौल की बुद्धि शुद्धि और संयमित वाणी की याचना

पटना (ब्यूरो)। शहर के स्कूल-कॉलेज समेत विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में बसंत पंचमी गुरुवार को बड़े धूमधाम से मनाई गई। इस दौरान विभिन्न संस्थानों में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की गई। साथ ही विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद छात्र-छात्राओं ने मां से आशीर्वाद मांगा। पूजा के बाद छात्र-छात्राओं ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर बधाई दी। गुरुवार को पूरा शहर पद्मासने संस्थितां वंदेता परमेश्वरी भगवती बुङ्क्षद्ध प्रदां शारदां के मंचोच्चार से गुंजायमान हो उठा। लोगों ने वैदिक रीति से मां शारदे की आराधना कर उनसे बुद्धि-शुद्धि तथा संयमित वाणी की याचना की। यहां बता दें कि मां हंसवाहिनी की पूजा के लिए लोगों ने विद्यालयों से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर उनकी प्रतिमाओं को अधिष्ठापित किए हुए था। जहां सबों ने अपने-अपने तरीके से पूजन कार्य संपादित किए।

फगुआ गायन से बसंत का स्वागत

शहर के गली व मोहल्लों में सर्वत्र विशेष कर बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था। गांवों व कस्बों में तो लोगों ने बसंत पंचमी का परंपरागत तरीके से फगुआ गायन से ऋतुराज बसंत का स्वागत किया। जहां, अबीर-गुलाल उड़ाकर रंगोत्सव का आगाज किए। मां सरस्वती की वंदन व पूजनोत्सव कार्यक्रम को लेकर युवा पिछले कई दिनों से ताना बाना बुन रहे थे। जो बुधवार की सारी रात मां शारदे की प्रतिमा स्थापित किए जाने और पूजा पंडाल आदि सजाने और बनाने में जुटे-भिड़े रहे।

बसंत पंचमी को क्यों होती है आराधना
धार्मिक कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा जी द्वारा इस संसार की रचना की गई है। जिन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु एवं मनुष्य बनाए। लेकिन उन्हें अहसास हुआ कि उनकी रचना में अभी कुछ शेष रह गया है। पंडित रामेश्वर नाथ बताते हैं कि तब उन्होंने अपने कमंडलु से जल छिड़का और चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हो गई। स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे ही वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज में स्वर आ गया। बहते पानी की धारा में आवाज, हवा में सरसराहट, जीव-जन्तु में स्वर और पक्षी भी चहचहाने लगे। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती का नाम दिया। बताते हैं कि वह दिन बसंत पंचमी का ही था।

Posted By: Inextlive