बिहार दिवस पर रवींद्र भवन परिसर में सजी कविताओं की शाम पद्मिनी शर्मा शंभु शिखर समेत अन्य कवियों ने अपनी रचनाओं को पेश कर तालियां बटोरी


पटना (ब्यूरो)। बिहार दिवस को यादगार बनाने के लिए शहर के विभिन्न जगहों पर साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुतियों पर लोगों ने खूब तालियां बजाई। रेणु, दिनकर की धरती पर बुधवार को रवीेंद्र भवन सभागार में नामचीन कवियों का जमावड़ा लगा था। हास्य-व्यंग्य और वीर रस से भरे कवि सम्मेलन में कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाओं को पेश कर पटना वासियों को पूरा मनोरंजन कराया। पटना के युवा कवि चंदन द्विवेदी ने दिल का बेड़ा पार हुआ है पटना में, पहला-पहला प्यार हुआ है पटना में पेश कर खूब तालियां बटोरी। वहीं, हास्य व्यंग्य के कवि शंभु शिखर ने अपनी रचनाओं से दर्शकों को लोटपोट किया। उन्होंने बिहार की विरासत को कविता में पेश कर तालियां खूब बटोरी। उन्होंने दुनिया पूजे उगता सूरज, हम डूबते के भी पुजारी हैं, हम धरती पुत्र बिहारी है कविता को पेश कर बिहार की गौरवशाली परंपरा को याद किया। वहीं इसके बाद प्रेम से भरी रचनाओं को कवयित्री पद्मिनी शर्मा ने नजर-नजर से मिली और कमाल होने लगा, बयान आंखों से सब दिल का हाल होने लगा। अब इससे बढ़ के मुहब्बत का क्या असर होगा, तेरे ख्याल से चेहरा गुलाल होने लगा पेश कर तालियां खूब बटोरी। जैसे-जैसे कार्यक्रम अपने परवान पर था मंच पर आसीन कवियों की रचनाएं दर्शकों में जोश भर रही थी। ओज कवि कमल आग्नेय ने भारती की आरती उतारने के लिए आज, विश्व की समस्त प्रभुताई रूक जाती है, भारत का जयगान होने लगता है वहीं, जहां भी हमारी तरुणाई रुक जाती है पेश किया। वहीं प्रियांशु गजेंद्र ने जैसे-तैसे उमर बीता ली मैंने तेरे प्यार में, रात-रात भर तुझको गाया सुबह छपे अखबार में लक्ष्य पर हम सधे थे, सधे रह गए पेश कर वाहवाही लूटी। पेश कर लोगों की तालियां बटोरी। मंच पर आसीन कवियों को शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

Posted By: Inextlive