आखिर कैसे इतने 'बुरे' हो गए मांझी?
- सीएम मांझी कहते हैं, वे ऐसा मुर्गा नहीं जो गर्दन पकड़ने पर छटपटाए
- आठ मंत्रियों के बूते ही ताबड़तोड़ कर रहे कैबिनेट की मीटिंग PATNA: सीएम जीतन राम मांझी की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं, फिर भी वे खुद कह रहे हैं कि वे ऐसा मुर्गा नहीं हैं कि गर्दन पकड़ने पर वह छटपटाए। वे ताबड़तोड़ लुभावनी घोषणाएं भी कर रहे हैं। आठ मंत्रियों के बूते कैबिनेट की मीटिंग भी कर रहे हैं धड़ाधड़। जीतन राम मांझी के बारे में लोगों ने कई बातें नहीं सोची थी। यह किसी ने नहीं सोचा था? क्। जीतन राम मांझी ने भी नहीं सोचा था कि वे सीएम चुने जाएंगे। ख्। नीतीश कुमार ने सोचा था कि वे उनके यस मैन लगातार बने रहेंगे। वे विद्रोह कर करेंगे ये किसी ने नहीं सोचा था। सभी खड़ाऊं सीएम ही उन्हें मानते थे।फ्। मांझी बीजेपी के करीब चले जाएंगे, ये किसी ने नहीं सोचा था।
ब्। सम्राट चौधरी, नीतीश मिश्रा, वृशिण पटेल जैसे नेता नीतीश कुमार के खिलाफ चले जाएंगे, ये किसी ने नहीं सोचा था। भ्। नीतीश कुमार को राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक समर्थकों के साथ पैरेड करनी पड़ेगी, ये भी किसी ने नहीं सोचा था। मांझी क्यों सीएम बनाए गए?क्। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की राष्ट्रीय जीत और नरेन्द्र मोदी का पीएम बनना।
ख्। ये सिर्फ बीजेपी की जीत नहीं थी, बल्कि नीतीश कुमार की बड़ी हार थी और नीतीश कुमार ने नैतिकता का सवाल उठाया। पार्टी के अंदर नीतीश कुमार की साख को धक्का लगा था। वे अपनी छवि बचाने में लग गए। नैतिकता को आधार बना कर सीएम की कुर्सी छोड़ दी। फ्। नीतीश कुमार ने जब सीएम की कुर्सी छोड़ी, तब उन्हें यस मैन की तलाश थी, साथ ही वे दलित को कुर्सी इसलिए देना चाहते थे कि बीजेपी उसे बदनामी के डर से नहीं हटाएगी। ब्। दलित को कुर्सी देकर वे ये भी बताना चाहते थे कि एक दलित को उन्होंने कुर्सी दी। भ्। मांझी विवादित नेता नहीं थे ना उन पर कोई गंभीर आरोप था। मांझी को क्यों हटाना चाहते नीतीश क्। मांझी नीतीश कुमार के यस मैन नहीं रहे। ख्। जेडीयू के कई नेताओं ने मांझी के लिए पागल जैसे शब्द इस्तेमाल किए इससे उनका गुस्सा बढ़ता चला गया। उन्हें लगा कि नीतीश कुमार के इशारे पर उन्हें बेइज्जत किया जा रहा है। फ्। मांझी को लगा कि अब उनके पास खोने के लिए क्या है।ब्। मांझी ने समझा कि बयानों से ही राजनीति चलती है। उन्होंने पिछड़ा राजनीति से आगे दलित राजनीति को आगे बढ़ाया। बयानों पर खूब घिरे मांझी।
भ्। दोनों तरफ से तनातनी बढ़ी। नीतीश कुमार के चहेते ऑफिसर्स जैसे चंचल कुमार और आमिर सुबहानी का विभाग बदला। आगे ललन सिंह और पीके शाही को हटाया। लालू प्रसाद को जेल भिजवाने में ललन सिंह और पीके शाही की बड़ी भूमिका रही थी। बीजेपी की गोद में जाने का आरोप लगाया नीतीश कुमार ने। इन पांच की है संभावना क्। प्रेसीडेंट रूल लग सकता है बिहार में। ख्। मांझी भावनात्मक भाषण देकर इस्तीफा दे सकते हैं। फ्। मांझी नई पार्टी बना सकते हैं। ब्। बीजेपी एक कांटे से दूसरे कांटे को निकालना चाहती है और फिर दोनों कांटों को फेंक देना चाहती है। भ्। बीजेपी मांझी को सपोर्ट कर दलित के पक्ष में खुद को दिखा सकती है। चाहे मांझी बहुमत साबित करे या ना करे। बीजेपी नीतीश कुमार पर दलित विरोधी होने का आरोप भी मढ़ेगी। मांझी को ये हटाना चाहते हैं क्। नीतीश कुमार ख्। लालू प्रसाद फ्। मुलायम सिंह यादव ब्। ललन सिंह भ्। पीके शाही कर्पूरी ठाकुर को इन्होंने हटाया था क्। सत्येन्द्र नारायण सिंह ख्। रामानंद तिवारी फ्। बसावन सिंह ब्। कैलाशपति मिश्रभ्। रामसुंदर दास का कंधा इस्तेमाल किया गया
ब्। बीजेपी को मालूम है कि मांझी बीजेपी में नहीं आएंगे। ये बीजेपी भी नहीं चाहेगी। मांझी को आगे कर बीजेपी अगला विधानसभा भी नहीं लड़ना चाहती। बीजेपी बहुत नपे-तुले अंदाज में मांझी का यूज करना चाहती है। भ्। जेडीयू-आरजेडी को तोड़ मांझी नयी पार्टी बनाएं, ये बीजेपी भी चाहेगी। साथ ही लालू-नीतीश एक रहें, ताकि वह जंगलराज रिटर्न का प्रचार कर सके।ये समझना जरूरी है कि मांझी का कंधा इस्तेमाल करने वाले कौन लोग हैं।
क्। नरेन्द्र सिंह ख्। वृशिण पटेल फ्। शकुनी चौधरी या सम्राट चौधरी ब्। जगन्नाथ मिश्रा या नीतीश मिश्रा भ्। सुशील कुमार मोदी म्। पप्पू यादव और साधु यादव आरक्षण और बचाने-हटाने वाले जीतन राम मांझी भ्0 परसेंट रिजर्वेशन के बैरियर को खत्म करने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा भी कि तमिलनाडु की तरह बिहार में भी रिजर्वेशन की सीमा भ्0 परसेंट से ऊपर होगी। ठेकेदारी में एससीएसटी को रिजर्वेशन पहले ही वे कैबिनेट से पास करा चुके हैं। रिजर्वेशन के सवाल पर पहले भी काफी बवाल मच चुका है। सीएम जीतन राम मांझी को कुर्सी से हटाने में पूरी ताकत झोंकने वाली ताकतें कौन हैं और कर्पूरी ठाकुर को किन लोगों ने हटाया था? बीजेपी की पांच मजबूरियां क्। बीजेपी नहीं चाहती कि दलित सीएम को हटाने का काम कर वह अपनी किरकिरी करवाए। ख्। बीजेपी के टारगेट में नीतीश कुमार हैं। वह किसी भी तरह ये नहीं चाहती कि नीतीश मजबूत हों। फ्। बीजेपी मांझी सरकार को अब तक समर्थन भी दे देती, लेकिन वह चाहती है बाकी नंबर मांझी जुटा लें।