-आईजीआईएमएस में स्थापित लैब में उच्च क्षमता की मशीनें लगीं, 1 माह में 1 हजार सैंपल की जांच

PATNA: अब पटना में भी कोरोना के वैरिएंट की पहचान होगी। जीनोम सिक्वेंसिंग के माध्यम से कोरोना वैरिएंट की पहचान होती है और आईजीआईएमएस पटना देश का 12वां लैब होगा। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई है। यहां कोरोना के किसी भी वैरिएंट के प्रकार और उसके प्रभाव आदि के बारे में लैब सहायक साबित होगा। भारत में दिल्ली, पुणे समेत कुल 11 लैब में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए मान्यता प्राप्त हैं। आईजीआईएमएस के लैब के संबंध में भी अधिकांशत औपचारिकताएं पूरी कर ली गई है। जल्द ही इसे केन्द्र सरकार की ओर से देश के 12वें लैब की मान्यता मिल जाएगी।

100 सैंपलों की हुई जांच

आईजीआईएमएस में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए हाईटेक लैब की स्थापना की गई है। यह देश के किसी भी अत्याधुनिक लैब के जैसा है। इस बारे में आईजीआईएमएस के माइक्रोबायलाजी डिपार्टमेंट के पूर्व हेड डॉ एसके शाही ने बताया कि इस वर्ष अप्रैल और मई माह में कोरोना पीक पर था। इसी दौरान ये सैंपल कलेक्ट किये गए थे। इसकी रिपोर्ट अब राज्य सरकार को भेज दी गई है। बिहार के जिलों से प्राप्त 100 सैंपल के रिजल्ट के बारे में डॉ एसके शाही ने खुलासा किया। उन्होंने बताया कि इसमें अधिकांश केसेज अधिकांश केस डेल्टा है। डेल्टा प्लस एक भी नहीं मिला है।

उच्च क्षमता का है लैब

आईजीआईएमएस में स्थापित इस लैब में उच्च क्षमता की मशीने

लगाई गई है। इसमें एक माह में एक हजार सैंपल की जांच की जा सकती है। हाल ही में भुवनेश्वर, ओडीसा में भी एक नए लैब की स्थापना की

गई है। उसकी क्षमता भी एक हजार सैंपल करने की है।

केन्द्र के फंड से स्थापित

पटना स्थित आईजीआईएमएस के इस लैब की स्थापना के लिए भारत सरकार से तीन करोड रुपये की राशि प्राप्त

हुई थी। यह राशि एमआरयू यानि मेडिकल रिसर्च यूनिट

के मद में दिया गया। इसके लिए शेष राशि बिहार

सरकार की ओर फंड किया गया है। देश में अन्य लैब की स्थापना भी इसी तरीके से की गई है।

माल्यूकुलर होगा विकसित

भविष्य की तैयारी करते हुए अभी से इस लैब को माल्युकूलर लैब के तौर पर विकसित करने की तैयारी की जा रही है। डॉ शाही ने बताया कि माल्युकूलर लैब का अर्थ है कि यहां केवल कोरोना वैरिएंट नहीं बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों जैसे एईएस की जांच आदि भी पूरी व्यवस्था होगी। इसके लिए सभी मानकों को पूरा किया जा रहा है। जानकारी हो कि बिहार सरकार ने इस लैब की स्थापना के राशि भी इसी शर्त पर दी है कि यहां कम से कम एईएस की जांच आदि की भी सुविधा विकसित की जाए। अन्य गंभीर बीमारियों की जांच भी यहां संभव होगी।

कोरोना के वैरिएंट

कोरोना के अलग अलग प्रकार या वैरिएंट के दो प्रकार के नाम हैं। इसमें सभी का साइंटिफिक नेम है और दूसरा डब्ल्यूएचओ की ओर से प्रचलित नाम है। इसमें डब्ल्यूएचओ की आरे से अल्फा, डेल्टा, डेल्टा प्लस, बीटा और गामा नाम दिया गया है। इसमें अल्फा यूके में, बीटा साउथ अफ्रीका, गामा ब्राजील और डेल्टा इंडिया में ज्यादा प्रचलित प्रकार रहा है। आईजीआईएमएस में 100 सैंपलों की जांच में अधिकांश मामले डेल्टा है और कुछ अल्फा के मामले हैं।

बस केन्द्र सरकार ने रिकोगनिशन मिलने की देर है। आईजीआईएमएस में अत्याधुनिक तकनीक से जिनोम सिक्वेंसिंग की व्यवस्था की गई है। यहां एक माह में एक हजार सैंपल की जांच की जा सकती है।

-डॉ एसके शाही, पूर्व एचओडी माइक्रोबायलाजी डिपार्टमेंट आईजीआईएमएस

Posted By: Inextlive