World Population Day : हर साल बढ़ रहे एक लाख पटनाइट्स
नहीं होता कांडोम का यूजबढ़ती आबादी का प्रेशर शहर पर बढ़ता जा रहा है। लिहाजा रोड से लेकर रेसिडेंशियल एरिया तक में प्रॉब्लम हो रही है। वाटर क्राइसिस, ट्रैफिक डिस्टर्बेंस, पॉल्यूशन, रेसिडेंस को लेकर किच-किच ये सब बढ़ते पॉपुलेशन के साइड इफेक्ट हैं। यूं कहें कि इससे पटनाइट्स त्राहिमाम कर रहे हैं।रहने को नहीं मिल रही जगह
वल्र्ड पॉपुलेशन डे को लेकर एक बार फिर लंबे-लंबे भाषण दिए जाएंगे। लेकिन रिजल्ट जीरो। क्योंकि 2001 व 2011 के बीच 10 वर्षों में पटना की पॉपुलेशन 4718592 से बढ़कर 5772804 हो गई है। यह सरकारी रिपोर्ट है, जबकि स्टडी व जॉब के नाम पर भी पटना में काफी लोग बस जा रहे हैं। इतने लोगों को जगह देने के लिए धड़ल्ले से पेड़ काटे जा रहे हैं। धड़ाधड़ अपार्टमेंट बनाए जा रहे हैं। शहर में जगह नहीं है, तो वह अब दानापुर और हाजीपुर की ओर बढऩे लगा है।
अवेयरनेस तो आया है, पर
हेल्थ कंट्रोल सोसायटी के तमाम दावे फेल हो रहे हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि कंडोम को लेकर लोगों में अवेयरनेस तो आया है, लेकिन पॉपुलेशन कंट्रोल को लेकर नहीं। एचआईवी के डर से लोग कंडोम का यूज अधिक कर रहे हैं। यही कारण है कि डेली शहर में करोड़ों के कंडोम की बिक्री होने के बाद भी पॉपुलेशन की रफ्तार वही है।Description 2011 2001 Actual Population 57,72,804 47,18,592 Male 30,51,117 25,19,942 Female 27,21,687 21,98,650 Area Sq। Km 3,202 3,202 Density/km 21,803 1,474 Proportion to Bihar Population 5.56% 5.69%फीमेल छह, तो मेल पांच लाख दस वर्षों के पॉपुलेशन में एक ही पॉजिटिव चीज देखने को मिली है। वह है फीमेल की संख्या का मेल से अधिक बढऩा। दस वर्षों में फीमेल की संख्या में जहां छह लाख की वृद्धि हुई है, वहीं मेल पांच लाख बढ़े हैं। यानी गल्र्स को लेकर यह गुड साइन है। डेली आते एक लाख नए लोगसरकारी आंकड़े बताते हैं कि हर दिन किसी न किसी काम से एक लाख नए लोग पटना आते हैं। इनमें मैक्सिमम लोग स्कूल-कॉलेजों व हॉस्पीटल के काम से आते हैं। इसका मेन कॉज पटना जहां एजुकेशन का हब माना जाता है, वहीं पीएमसीएच, एनएमसीएच जैसे हॉस्पीटल्स यहां हैं। वहीं सेंसस की रिपोर्ट को लेकर भी भी तरह-तरह की चर्चा होती रहती है। इस मामले में समाजशास्त्री का मानना है कि इसकी रिपोर्ट कम करके दिखाई जाती है, जबकि एक्चुअल पॉपुलेशन इससे कहीं अधिक है। इसमें ऐसे लोगों को नहीं जोड़ा गया है, जो अपने शहरों को छोड़ यहां रह रहे हैं।
एक हो गया पटना-दानापुर2001 में जहां प्रति किलोमीटर 1474 की आबादी थी। वहीं अब यह बढ़कर 21,803 हो गई है। यह जबर्दस्त बढ़ोत्तरी 10 सालों में हुई है। पॉपुलेशन तो बढ़ता जा रहा है, वहीं जगह उतनी की उतनी ही है। ऐसे में शहर अब दानापुर और हाजीपुर की ओर बढ़ रहा है। खासकर पटना और दानापुर तो लगभग एक हो गया है। जबकि फिजिशियन डॉ। आरके सक्सेना ने बताया कि कांडोम का यूज अमूमन लोग बीमारी से बचने के लिए करते हैं, जबकि आबादी को कंट्रोल करने के लिए इसका यूज नहीं के बराबर होता है। लड़कों के इंतजार में आज भी लड़कियों की संख्या बढ़ती जा रही है।