-पटना के अस्पतालों में हर मंथ 10 से 12 पेशेंट इलाज के लिए पहुंच रहे

पटना ब्‍यूरो। अगर आपके बॉडी के किसी अंग में लाल चकते, बल झडऩे व मुंह के घाव हो जाए तो सतर्क हो जाएं, ये ल्यूपस के लक्षण हो सकते हैं। दरअसल, ल्यूपस होने से शरीर के कई अंग डैमेज हो सकते हैं। पटना में हर मंथ 10 से 12 लोग इस बीमारी से पीडि़त होकर इलाज कराने के लिए विभिन्न मेडिकल कॉलेज पहुंच रहे हैं। सही समय पर इस डिजीज का पता लगाया जाए तो कुछ हद तक राहत मिल सकती है। पुरुषों की अपेक्षाा महिलाओं में ये बीमारी ज्यादा हो रही है। वल्र्ड ल्यूपस डे पर आज दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में पढि़ए ल्यूपस बीमारी के लक्षण व बचने के उपाय।

प्रतिमाह मिल रहे 10 से 12 पेशेंट
खतरनाक बीमारियों में से एक ल्यूपस से पीडि़त पेशेंट की संख्या पटना में तेजी से बढ़ रही है। सिर्फ पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के चर्म रोग विभाग में चार से पांच पेशेंट हर मंथ इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं आईजीआईएमएस में दो से तीन पेशेंट जबकि एम्स में एक से दो पेशेंट इस गंभीर बीमारी को लेकर ओपीडी में दिखाने के लिए पहुंचते हैं।

ल्यूपस लंबे समय तक चलने वाली ऑटोइम्यून बीमारी है
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के चर्म रोग विभाग में कार्यरत डॉ। विकास शंकर ने बताया कि ल्यूपस लंबे समय तक चलने वाली एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इस बीमारी से पीडि़त होने पर शरीर का इम्यून सिस्टम स्वस्थ्य अंगों पर हमला करना शुरू कर देता है। जिस वजह से शरीर के किडनी, फेफड़े, नर्वस सिस्टम, ब्लड की धमनियां और हार्ट पर असर पड़ता है। शुरुआती समय में स्कीन, पेट, मसल्स और बाल पर इसका असर देखने को मिलता है।

अनुवांशिकता प्रमुख कारण
डॉक्टरों ने बताया कि ल्यूपस ऑटोइम्यून डिजीज है। ये बीमारी क्यों होती है इसका सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। कई मामले में देखने को मिला है अनुवांशिकता की वजह से लोग इस बीमारी से पीडि़त हुए हैं। किसी के नाना इस बीमारी से पीडि़त थे तो किसी के दादा को ल्यूपस थी। इंफेक्शन और पॉल्यूशन की समस्या बढऩे पर बीमारी पनपती है जो बिकराल रूप धारण कर लेती है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ये बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है। डॉक्टरों ने बताया कि 15 से 45 उम्र के महिलाओं में ये बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है।

ल्यूपस का खतरा किसे है
-महिलाएं को ज्यादा।
-काले रंग के जो हैं।
-जिनकी उम्र 15 से 45 के बीच है।
-ल्यूपस का पारिवारिक इतिहास है।
-ऐसी दवाएं लें जो दवा-प्रेरित प्रणालीगत ल्यूपस से जुड़ी हों।

ल्यूपस के कारण क्या
-अधिकांश मामलों में ल्यूपस का कारण अभी तक अज्ञात है।
-कुछ संभावित ट्रिगर्स में शामिल है।
-सन लाइट के संपर्क में आने से संवेदनशील लोगों में प्रतिक्रिया उत्पन्न हो सकती है। त्वचा पर घाव दिखाई दे सकते हैं।
-हार्मोन पुरुष और महिला दोनों ही एस्ट्रोजन का उत्पादन करते हैं, जब एस्ट्रोजन का उत्पादन अधिक होता है ल्यूपस के लक्षणों का अनुभव होता है।

ल्यूपस के लक्षण
-थकान और बुखार।
-जोड़ों का दर्द, कठोरता और सूजन।
-चेहरे पर तितली के आकार के दाने जो गालों और नाक के पुल को ढकते हैं।
-त्वचा पर घाव जो सूर्य के संपर्क में आने के कारण होते हैं।
-ठंड के संपर्क में आने पर या तनावपूर्ण अवधि के दौरान उंगलियां और पैर की उंगलियां सफेद या नीली हो जाती हैं।
-सांस लेने में कठिनाई।
-छाती में दर्द।
सूखी आंखें।
-सिर दर्द।
-भ्रम।
-स्मरण शक्ति की क्षति।


बॉडी के किसी अंग में लाल चकते, बल झडऩे, मुंह के घाव, थकान व स्मरण शक्ति की कमी होने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें। पीएमसीएच के ओपीडी में अक्सर इस तरह के पेशेंट इलाज के लिए पहुंचते हैं।
- डॉ। विकास शंकर, चर्म रोग विभाग, पीएमसीएच

Posted By: Inextlive