नीतीश कुमार ने बीजेपी से संबंध तोड़ मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा तेजस्वी के साथ बुधवार को लेंगे शपथ शेष मंत्री बाद में लेंगे शपथ


पटना (ब्यूरो)। बिहार में एक बार फिर नीतीशे सरकार बनने जा रही है। दरअसल, मंगलवार को बीजेपी से गठबंधन तोड़ नीतीश कुमार ने फिर महागठबंधन से जुड़ गए हैं। एनडीए सरकार के सीएम पद से त्यागपत्र देकर 5 वर्ष बाद फिर से महागठबंधन के साथ नई सरकार बनाने की तैयारी में हैं। बुधवार को दोपहर दो बजे सीएम के रूप में नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव शपथ ग्रहण करेंगे। शेष मंत्री बाद में शपथ लेंगे। सब मिलकर करेंगे विकास


नीतीश ने कहा है कि 7 दलों की सरकार बनाने जा रही है। सब मिलकर अब बिहार का विकास करेंगे। इससे पहले राजद, कांग्रेस एवं वामदलों के साथ संयुक्त बैठक कर नीतीश कुमार ने नई सरकार बनाने के लिए राज्यपाल फागू चौहान को 164 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा, जिसपर स्वीकृति मिल गई। बिहार में गठबंधन बदलकर नई सरकार के गठन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने नीतीश कुमार एवं तेजस्वी यादव को बधाई दी है।

महागठबंधन के नेता चुने गए नीतीश


राजभवन से निकलकर नीतीश कुमार सीधे राबड़ी देवी के आवास पहुंचे, जहां उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से मुलाकात कर आगे की रणनीति पर चर्चा की। महागठबंधन के विधायकों ने भी उनके नेतृत्व में भरोसा जताया। इसके बाद तेजस्वी यादव, विजय कुमार चौधरी, ललन ङ्क्षसह, कांग्रेस के अजीत शर्मा एवं वामदलों के विधायकों के साथ नीतीश कुमार दोबारा राजभवन पहुंचकर 164 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपकर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसके पहले नीतीश कुमार के आवास पर जिस वक्त जदयू की बैठक चल रही थी, लगभग उसी समय राबड़ी देवी के आवास पर राजद, कांग्रेस और वामदलों के विधायक-सांसद भी नई रणनीति पर विमर्श कर रहे थे। सबने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विश्वास जताया और निर्णय का अधिकार उन्हें सौंप दिया। इस तरह दोनों से महागठबंधन सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।जदयू के सभी नेता चाहते थे अलग होना

राज्यपाल को त्यागपत्र सौंपने के बाद राजभवन के बाहर मीडिया से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू के सभी नेता एनडीए से बाहर होना चाहते थे। इसलिए एनडीए के मुख्यमंत्री का पद छोडऩा जरूरी था। नीतीश ने भाजपा को छोडऩे का कारण बताते हुए कहा कि एनडीए में उन्हें अपमानित होना पड़ रहा था। षड्यंत्र रचकर जदयू का कद छोटा करने का प्रयास किया जा रहा था। अगर अभी भी सतर्क नहीं हुए तो पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा। इसपर जदयू के सभी नेताओं ने निर्णय का अधिकार नीतीश पर छोड़ दिया।

Posted By: Inextlive