कंडक्टर लोकल यात्रियों का नहीं काटते टिकट

पटना (ब्यूरो)। पटना से विभिन्न रूटों पर चलने वाली बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की बसों में इन दिनों बस ड्राइवर व कंडक्टर की मिली भगत से सरकार के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है.दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट के रिपोर्टर ने पटना से दानापुर तक का सफर हकीकत जानने के लिए किया तो इसका खुलासा हुआ .इस दौरान रिपोर्टर ने खुलासा हुआ कि सीट फूल होने के बाद भी कंडक्टर यात्रियों को बस में ठूस-ठूस कर बैठाते हैं और उन्हें टिकट ना देकर उनसे वैसे ही पैसा लेकर उन्हें उनके मंजिल तक पहुँचाते हैं।

बसों में ओवरलोडिंग बड़ी समस्या
पटना से बिहटा, पटना से दानापुर जाने वाली बस में क्षमता से अधिक सवारी बिठाए जाते हैं। इससे उन्हें बैठने के लिए भी जगह नहीं मिलती है। जितनी सीट है, उससे कहीं ज्यादा सवारियों के चढ़ जाने से दूसरे सवारियों को भी परेशानी होती है। इसी का फायदा चोर उचक्के भी उठा लेते हैं। भीड़ ज्यादा होने के कारण आसानी से चोर उचक्के यात्रियों के पॉकेट मार लेते हैं। वहीं ओवरलोडिंग के कारण खड़े-खड़े ही बस में सफर करना पड़ता है। पटना से दानापुर जाने वाली 111 नंबर की एसी बस के कंडक्टर से ओवरलोडिंग के सवाल पर जब हमारे रिपोर्टर ने उनसे सवाल पूछा तो वह उलझ गया उसने कहा कि लोग खुद खड़े रहते हैं हम पकड़-पकड़ कर बिठाये क्या.सभी लोकल सवारी रहते हैं उनसे कौन उलझेगा। बस कंडक्टर ने बताया कि पटना से बिहटा के लिए 2 एसी बस है जबकि पटना से दानापुर के लिए 12 बस है। एक बार मे 45 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है.वही एसी बस का किराया पटना से दानापुर का जहां 35 रुपया है वही ननएसी का 25 रुपया किराया है.एक दिन में 2 बार आना और 2 बार जाना होता है।

कंडक्टर यात्रियों को नहीं देते टिकट
बस कंडक्टर सवारियों से 5 रुपये 10 रुपये ले लेते हैं जबकि उन्हें टिकट भी नहीं देते। वे पांच से दस रुपए लेते हैं। इससे ओवरलोडिंग में ज्यादा मुनाफा होता है। एक्स्ट्रा कमाई का कोई रिकार्ड नहीं होता.इसमें बस ड्राइवर, कंडक्टर का भी हिस्सा होता है। यही नहीं चिन्हित जगहों पर बस स्टॉप बनने के बाद भी के बस ड्राइवर कहीं से भी सवारी बिठाना और उतारना इनकी आदतों में शुमार है.बस ड्राइवर के ऐसा करने से दूसरे लोगों को परेशानी होती है।

Posted By: Inextlive