-कई घाटों पर नाले के पानी में ही लोग स्नान करने को मजबूर

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PATNA: गंगा किनारे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा स्वच्छ करने के सारे वादे सिर्फ कागजों में हैं। इस कारण पटना में गंगा रोज मैली हो रही है। दीघा घाट हो या कलेक्ट्रेट, नाले का गंदा पानी गंगा में ही जाता है। रिवर फ्रंट एरिया छोड़ दें तो दीघा से कलेक्ट्रेट तक वर्षो से गंगा की स्थिति जस-की-तस है। कई घाटों पर नाले के पानी में ही लोग स्नान करने को मजबूर हैं।

निर्मल जल में मिल रहा काला, हरा और नीला पानी

गंगा के मूल पानी की बात करें तो गंगा बरसात को छोड़कर हर मौसम में पटना से दूर ही रहती है। घाटों के किनारे कुछ रहता है तो सिर्फ नाले का काला, हरा और नीला बदबूदार पानी। वहीं बरसात में वाटर लेवल बढ़ने पर गंगा इसी गंदे पानी में पूरी तरह मिक्स हो जाती है और कई घाटों पर भी पानी आ जाता है।

घाट पर पड़ी रहती है मशीन

गंगा की पूरी सफाई और गंगा घाटों की स्वच्छता की बात करें तो महज छठ के दौरान ही ये नजर आती है। नमामि गंगे की ओर से गंगा नदी से कूड़ा- कचरा अलग करने के लिए मशीन भी लगाई गई थी, लेकिन ये मशीन भी आम दिनों में एनआईटी घाट पर यूं ही लगी रहती है। आम दिनों में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। छठ में ही सफाई और घाटों की वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है।

दो एसटीपी से भी लाभ नहीं

नमामि गंगे की ओर से शहर में दो एसटीपी का उद्धाटन किया गया है सितंबर 2020 में 74.29 करोड़ की लागत से बेऊर एसटीपी बनकर तैयार हुआ तो 83.97 करोड़ से भी ज्यादा की लागत से करमलीचक एसटीपी तैयार हुआ है, लेकिन इन दोनों एसटीपी का लाभ गंगा को नहीं, पुनपुन को जरूर पहुंचेगा। नमामि गंगे प्रोजेक्ट की सुस्त चाल के कारण ही गंगा को निर्मल करने की योजना अब भी अपने लक्ष्य से काफी दूर है।

Posted By: Inextlive