अमोनियम मोलिटेड पोटेशियम आयोडाइड एडिटा सोल्यूशन और एससीफिक्स रिजेंट केमिकल हो गया बर्बाद


पटना (ब्यूरो)। पटना विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग (पीजी) की प्रयोगशाला जानलेवा हो गई है। यहां कभी भी बड़ी घटना घट सकती है। पिछले दिनों बारिश के दौरान लैब की छत का प्लास्टर यहां बोतल में रखे केमिकल पर गिर गया। इस वजह से केमिकल फर्श पर बिखर गया। यहां बैठे प्रयोगशाला वाहक किशोर कुमार बाल-बाल बच गए। उन्होंने बताया कि बोतल दाहिने तरफ गिरी होती तो उनका शरीर जल सकता था। इस घटना में यहां रखे अमोनियम मोलिटेड, पोटेशियम आयोडाइड, एडिटा सोल्यूशन और एससीफिक्स रिजेंट केमिकल बर्बाद हो गया। जानकारी के अनुसार, इस घटना में 30 हजार से अधिक कीमत के केमिकल का नुकसान हुआ है। यही नहीं, जब हल्की बारिश होती है तो प्रयोगशाला में पानी भर जाता है। छत से पानी टपकता है। बड़ी मुश्किल से छात्र यहां आकर रिसर्च करते हैं। भौतिकी विभाग में धूल फांक रही अंग्रेजों के जमाने की मशीन
पटना विश्वविद्यालय, भौतिकी विभाग (पीजी) के म्यूजियम में रखी अंग्रेजों के जमाने की मशीन धूल फांक रही है। यहां ऐसी-ऐसी मशीनें रखी हुई हैं, जो दुर्लभ हैं। इन मशीनों को एक बंद कमरे में म्यूजियम बनाकर रखा गया है। इनमें बरसात के दिनों में आकाश में चमकने वाली बिजली के तरंग को मापने वाला यंत्र, सूर्य या बिजली की रोशनी में कितने कलर निकलते हैं इसको देखने वाला यंत्र, बिना बिजली और बिना बैट्री के चलने वाला कैलकुलेटर, माइक्रोस्कोप जैसे आश्चर्यजनक यंत्र हैं। बताया जाता है ये मशीनें 1941 के पहले की हैं। कालेज की स्थापना का सौ साल पूरा हो चुका है। इसी से पता लगाया जा सकता है कि मशीनें कितनी पुरानी हैं। 2015-16 में सात करोड़ की लागत से भवन, विभाग, प्रयोगशाला और क्लास की मरम्मत कराई गई थी। इस घटना की जानकारी विश्वविद्यालय के कुलसचिव को दे दी गई है। समय रहते मरम्मत नहीं कराई गई तो इससे बड़ी घटना घट सकती है। इस घटना के बाद सभी दहशत में हैं। रिसर्च के लिए मशीनों की जरूरत म्यूजियम में रखी मशीनें आजादी के पहले की है। इसे संरक्षण की जरूरत है। विश्वविद्यालय प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। विभाग स्तर पर जितना हो सके इन मशीनों को सुरक्षित रखा गया है। वर्तमान में प्रयोगशाला की स्थिति ठीक है। रिसर्च के लिए कुछ और मशीनों की जरूरत है। इनमें विभाग को रिसर्च के लिए वर्क स्टेशन कंप्यूटर, मेटेरियल साइंस उपकरण और स्कैङ्क्षनग माइक्रो स्कोप उपकरण चाहिए, जिसकी कीमत 60 लाख रुपये से ऊपर की बताई जाती है।

Posted By: Inextlive