300 करोड़ से तैयार हुआ था पटना में रिवर फ्रंट एरिया. प्रशासन की अनदेखी से कलेक्ट्रेट घाट से महेन्द्रू घाट तक असामाजिक तत्वों का लगा रहता है जमावड़ा.

पटना (ब्यूरो)। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर राजधानी में भी 300 करोड़ की लागत से गंगा रिवर फ्रंट बनाया गया। जिसमें पटना के 20 घाट को शामिल किया गया। इनमें से 12 पर सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो चुका है और इसे लोगों के लिए खोला भी जा चुका है। मगर सरकार के उदासीन रवैये के चलते यहां पर्यटक नहीं पहुंच रहे हैं और यह असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। यहां सैर के लिए आने वाले लोगों की मानें तो रिवर फ्रंट एरिया सेफ नहीं लगता है। यहां दिनभर जुआरियों और नशेरियों का जमावड़ा लगा रहता है।

बढ़ रहे असामाजिक तत्व, डर रहे लोग
कलेक्ट्रेट घाट से लेकर महेन्द्रू घाट रिवर फ्रंट एरिया में सुबह से शाम तक दर्जनों असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। घाट पर सैर के लिए आने वाले लोग इनकी हरकतों से डर जाते हैं और इनसे दूर रहने की कोशिश करते हैं। ये असामाजिक तत्व पर्यटकों के बैठने के लिए बने स्थानों पर कब्जा जमाकर जुआ खेलते रहते हैं। रिपोर्टर द्वारा पूछने पर असमाजिक तत्वों ने बताया कि हम लोग टाइम पास के लिए तास खेल रहे हैं। जबकि वहां आने वाले पर्यटकों की मानें तो कागज पर पैसे का हिसाब लिख खेल शुरू होता है और इतना ही नहीं जुआ में कैश हारने पर आपस में गाली गलौज भी करने लगते हैं।

प्रशासन की अनदेखी
स्थानीय लोगों की मानें तो गंगा रिवर फ्रंट एरिया एक ऐसा एरिया है जहां रोक-टोक के लिए पर्व त्योहार को छोड़कर अन्य समय जिला प्रशासन के कोई अधिकारी या सिपाही नहीं आते हैं। जिसका फायदा नशेड़ी और जुआरी उठा रहे हैं। यहां आने वाले लोगों की मानें तो यहां प्रतिदिन जुआरियों का अड्डा लगता है। इस खेल में युवा वर्ग से लेकर उम्रदराज लोग भी शामिल होते हैं।

सुरक्षा की व्यवस्था नहीं
300 करोड़ की लागत से बने गंगा रीवर फ्रंट एरिया में न तो पर्यटन विभाग का कोई कर्मचारी मौजूद था और न ही वन विभाग के कर्मचारी ही दिखे। और तो और जिला प्रशासन का कोई सिपाही तक रीवर फ्रंट एरिया में नहीं दिखा। सफाई में लगे नगर निगम के कर्मचारी पर्यटकों के स्थान पर बैठ कर गप्पे मारते दिखे।

घट रही है पर्यटकों की संख्या
कोरोना काल से पहले कलेक्ट्रेट घाट से महेन्द्रू घाट तक का नजारा देखने के लिए पटना ही नहीं आसपास के जिलों से भी पर्यटक यहां आते थे। मगर असामाजिक तत्वों के डर और गंगा की धारा खिसकने की वजह से पर्यटकों की संख्या दिन प्रति दिन घटती जा रही है। अंटा घाट पर मौजूद पटना नगर निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि अब यहां कॉलेज के दो-चार स्टूडेंट्स ही टाइम पास करने के लिए आ जाते हैं। कभी-कभार शाम को थोड़ी चहल-पहल रहती है नहीं तो ज्यादातर स्थानीय लोग ही नजर आते हैं।

गंगा रिवर फ्रंट एरिया में जो भी समस्या है उसे दिखवा लेता हूं। सुरक्षा के इंतजाम की जांच करवाता हूं। असामाजिक तत्वों का अगर वहां जमावड़ा लग रहा है तो उनपर कार्रवाई की जाएगी।
- नीरज कुमार सिंह, मंत्री, पर्यावरण जलवायु एवं वन्य विभाग, बिहार सरकार

Posted By: Inextlive