'हमारा प्लानेट हमारा हेल्थ Ó थीम पर मनाया जा रहा है वल्र्ड हेल्थ डे

आज वल्र्ड हेल्थ डे है और इस बार का थीम है - 'आवर प्लानेट, आवर हेल्थÓ। इस थीम का मकसद है अपनी धरा को बेहतर बनाए रखें। प्रदूषण और पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाली चीजों से बचाव की जरूरत है। साथ ही यहां रहने वाले भी स्वस्थ्य रहें। इस लिहाज से पटना शहर में रहने वाले लोगों का हेल्थ काफी बिगड़ा है। आज के समय में बिना प्लानिंग के की जा रही शहरी विकास के कार्य और बेहद कम क्षेत्र में आबादी का बढ़ता बोझ खतरे की घंटी है। पर्यावरणविद् पहले से इस बात के लिए चेताते रहे हैं कि पटना में पर्यावरण के मौलिक स्वरूप में बहुत छेड़छाड़ की गई है और लगातार इसका स्तर गिरता गया है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस वर्ष के थीम -'आवर प्लानेट, आवर हेल्थÓ- को लेकर पर्यावरणविद् और डॉक्टरों से जानकारी ली। पेश है रिपोर्ट।

पटना में 60 प्रतिशत से ज्यादा घटे जलीय क्षेत्र
पटना शुरू से ही छोटे-बड़े जलक्षेत्र से घिरा रहा है और यहां की जलीय क्षेत्र में जैव विविधता देखने लायक थी। लेकिन बेतरतीब तरीके से शहरीकरण, आबादी का बोझ और औद्योगिक गतिविधियों के बढऩे के कारण यहां पर जलीय क्षेत्र घटने लगा है। खास तौर पर गंगा का प्रवाह अब हाजीपुर की ओर हो गया है। गर्मी के दिनों में पटना से सटे गंगा तट पर पानी की भीषण कमी साफ दिख रही है। इसके कारण अशोक राजपथ पर धूल उड़ रही है। इससे हवा तो प्रदूषित हो ही रही है इसके साथ धूल भरी हवा सांसों के लिए खतरा पैदा कर रहा है। जूलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई) के ज्वाइंट डायरेक्टर एवं वरिष्ट वैज्ञानिक डॉ गोपाल शर्मा ने बताया कि पटना में कम से कम 60 प्रतिशत से अधिक जलीय क्षेत्र घट चुके हैं। अब इनकी मूल जगह पर कंक्रीट के जंगल खड़े हो चुके हैं। बडे अपार्टमेंट और कमर्शियल एरिया डेवलप हो चुके हैं। पटना के दक्षिणी क्षेत्र में जल्ला क्षेत्र था वहां आज बड़ी -बडी बिल्डिंग बन चुका है।

पटना शहर का हाल बेहाल
डॉ गोपाल शर्मा ने बताया कि पटना शहर की बात करें तो यहां की हवा-पानी ही बेहद खराब हो रही है। यहां सड़क की खुदाई, सीवर लाइन का बनाया जाना और भीषण ट्रैफिक जाम के कारण देर तक वातावरण में ईंधन का जलने के कारण कार्बन गैसों का उत्सर्जन आदि भी बड़ी समस्या हो गई है। इस वजह से हवा में वाहनों से निकलने वाले कार्बन मोनो आक्साइड से सभी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। पटना के आहर-पोखर बहुत तेजी से खत्म हो चुके हैं। पटना में खुले प्राकृतिक क्षेत्र में अतिक्रमण होने और सरकारी उदासीनता के कारण बाधा उत्पन्न हो रही है। उन्होंने बताया कि गंगा चूंकि हाजीपुर की ओर मुड़ चुकी है तो इस स्थिति में अब पटना में गंगा में गंदा नाला का पानी बचा है। यह पानी भूमिगत जल को भी रीचार्ज कर रहा है। खतरे की बात यह है कि आने वाले कुछ वर्षों में पटना में पीने के पानी की स्थायी तौर पर समस्या खड़ी होने वाली है।

Posted By: Inextlive