संपत्ति का बंटवारा और परिवार को छोडऩे को तैयार हो रहे बच्चे.

पटना (ब्यूरो)। मोबाइल के बढ़ते प्रचलन से कई सुविधाएं तो मिल रही थी लेकिन यह कई लोगों के लिए मुसीबत भी बनता जा रहा है। मोबाइल के रिश्ते की डोर कमजोर हो रही है। मोबाइल के ज्यादा प्रयोग करने से स्कूली बच्चे और टीन एजर कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। कई ऐसे केस भी सामने आ रहे हैं जिनमें मोबाइल का प्रयोग करने से मना करने पर बच्चे संपत्ति में बंटवारा चाह रहे हैं या फिर घर की संपत्ति के बारे में विजिलेंस को सूचना देने या फिर मां के जेवर में अपना हिस्सा होने की बात कह रहे हैं।

प्रोब्लेमेटिक इंटरनेट अब्यूज
मनोचिकित्सक डॉ। मनोज कुमार ने बताया कि आज का दौर ऐसा है कि बच्चे आसानी से प्रॉब्लेमेटिक इंटरनेट अब्यूज के शिकार हो रहे हैं। इस उम्र के बच्चों में सेल्फ आईडेंटिटी की इच्छा होती है और यह क्यूरियस होते हैं। बहुत कम वक्त पर ही वह खुद को दिखावे के आवरण में ढाल लेते हैं। इसलिए जो भी उनके मन की बात करते हैं, उसकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं। वह यह भी कहते हैं कि अभी मोबाइल से जुड़े जितने भी केस आ रहे हैं, वह सब आई फोन या फिर महंगे मोबाइल फोन से जुड़े आ रहे हैं।

लगातार आ रहे केस
चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की चेयरपर्सन संगीता कुमारी ने बताया कि मोबाइल फोन से जुड़े मामले हर रोज आ रहे हैं। अब बच्चों की सोच भी बदल गई है। वह अलग-अलग बातों पर घर से नाराज होकर भाग जा रहे हैं और उनको बहुत अलग तरीके से समझाना पड़ रहा है। जानकारी मिलने पर इनको विभागीय स्तर पर रेस्क्यू कराकर फैमिली काउंसिलिंग कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में ऐसे करीब 15 मामले सामने आए थे जबकि 2021 में बच्चों से जुड़े 30 मामले आ चुके हैं।

बच्चों को दे वक्त
संगीता कुमारी ने बताया कि बच्चों के मन में गांठ तभी बैठती है जब पेरेंट्स उन्हें वक्त नहीं दे पाते हैं। पेरेंट्स को उनके साथ फ्रेंडली व्यवहार करते हुए ट्रीट करने की जरूरत है। वहीं, डॉ। मनोज ने बताया कि आज के माहौल में बच्चों को वक्त देने एकदम अनिवार्य है नहीं तो बिना सोचे समझे बच्चे ऐसे कदम का उठा लेंगे। जिससे फैमिली को परेशानी होगी।

ऑनलाइन स्टडी का असर
डॉ। मनोज ने कहा कि पिछले दो वर्षों से स्कूल बंद हैं और बच्चे ज्यादातर स्कूली कार्य मोबाइल द्वारा ही कर रहे हैं। यह भी बच्चों के एडिक्शन का एक बड़ा कारण है। पैरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चों को समझा कर अपनी देखरेख में मोबाइल का इस्तेमाल करने की कोशिश करें।

इनका रखें ख्याल
- बच्चों को ज्यादा से ज्यादा वक्त दें।
- बच्चे मोबाइल में क्या सर्च कर रहे हैं, इसपर नजर रखें।
- जितनी देर मोबाइल पर कार्य कर रहे हो उतनी देर उनके साथ रहने की कोशिश करें।
- ज्यादा मोबाइल के प्रयोग से क्या दिक्कत हो सकती है, इस बारे में बच्चों को बताने की पहल करें।
- संभव हो तो बच्चों को पार्क में ले जाकर घुमाने की कोशिश करें।

Posted By: Inextlive