साल 202021 में सर्वाधिक पटना जिले में हुई पकड़ुआ विवाह स्टेटस दिखाने के लिए नौकरी वाले लड़कों पर रहती थी नजरशिक्षित वर्ग मानते हैं इसमें दोनों पक्ष को नुकसान

पटना (ब्यूरो)। पकड़ुआ विवाह में शादी योग्य लड़के का जबरन अपहरण करके उसकी शादी करवाई जाती है। यह पूर्वांचल और बिहार कुछ जिले जैसे जहानाबाद, बेगूसराय, लक्खीसराय, पटना, छपरा , मधुबनी, दरभंगा में पकड़ुआ विवाह का प्रचलन काफी दिनों से चलता आ रहा है। वहीं
इस टॉपिक पर बॉलीवुड में फिल्म जबरिया जोड़ी रिलीज हो चुकी है। इसके अलावा भाग्यविधाता नाम से एक टीवी सीरियल भी प्रसारित हो चुका है। इन दोनों में पकड़ुआ विवाह की सच्चाई को दिखाने की कोशिश की गई है

अगवा कर शादी रचाने का चलन
पकड़ुआ विवाह की शुरुआत कहां से हुई इसकी कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं है। पकड़ुआ विवाह में गांव या परिवार के दबंग लोग इलाके के किसी पढ़े-लिखे और धन-संपदा से संपन्न शादी योग्य युवक का अपहरण कर लेते हैं। इसके बाद जबरन उसकी शादी किसी लड़की से करा दी जाती है। विरोध करने पर युवक की पिटाई भी की जाती है। कई बार हथियार वगैरह दिखाकर युवक को डराया धमकाया भी जाता है।

पहले की तुलना में आई गिरावट
पुलिस मुख्यालय के अनुसार इन मामलों में पहले की तुलना में काफी गिरावट आई है। साल 2020 की बात करें तो पूरे बिहार में कुल 33 पकड़ुआ विवाह हेतु अपहरण के मामले दर्ज हुए थे। वहीं, साल 2021 में पकड़ुआ विवाह के लिए अपहरण के 14 मामले दर्ज हुए थे और साल 2022 के शुरुआत के 3 महीने जनवरी, फरवरी और मार्च में अब तक महज तीन ही मामले ऐसे दर्ज हुए हैं। साल 2020 में सर्वाधिक पटना जिले में 11, मधेपुरा जिले में 5, लखीसराय जिले में 4 और वर्ष 2021 में सर्वाधिक के पटना जिला में 3, नालंदा में 2 और साल 2022 में औरंगाबाद, सारण और अररिया में 1-1 मामले दर्ज हुए हैं।

नौकरी वाले लड़कों पर रहती है नजर
शादी कराने वाले दबंग दूल्हे और उसके परिजनों को इतना डरा धमका देते हैं कि वह जबरिया विवाह को स्वीकार कर लेते हैं। आमतौर पर दबंग पहला बच्चा होने तक दूल्हा और उसके परिजनों पर नजर रखते हैं। माना जाता है कि 1970 से 1990 के दशक में किसी युवक की अगर अच्छी नौकरी लगती है तो घर वाले सबसे पहले उसका घर से निकलना बंद कर देते हैं। 1970 के दशक में बेगूसराय के मटिहानी एरिया में सबसे ज्यादा इस प्रकार की शादी का रिवाज था।

दूल्हा दुल्हन दोनों को नुकसान
पकड़ुआ विवाह जैसे सामाजिक बुराई से सबसे ज्यादा लड़का लड़की को नुकसान उठाना पड़ता है। लड़की के पिता तो कम पैसे खर्च करने के चक्कर में बेटी की शादी अच्छी नौकरी या धन-संपदा से संपन्न युवक से करा देते हैं। सामाजिक दबाव में लड़के के परिवार वाले लड़की को अपना भी लेते हैं, लेकिन जीवनचर्या में उन्हें कितने ताने मारे जाते हैं इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, कई बार तो लड़की को पूरे जीवन काल में पति का ठीक से प्यार नसीब नहीं हो पाता है। वहीं लड़का भी ऐसी शादी के बाद मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। ।

क्या कहते हैं जानकार
पकड़ुआ विवाह में ज्यादातर मामले में रिश्ते अच्छे से नहीं चल पाते हैं, क्योंकि इस विवाह को लड़के पक्ष वाले जबरदस्ती से मानते हैं और लड़का भी कहीं ना कहीं इस शादी को नहीं मानता है। जिस वजह से लड़की को जीवनभर दुख झेलना पड़ता है। अब इस चीजों को समाज के लोग समझना शुरू कर दिए हैं, जिस वजह से पहले की तुलना में इन मामलों में अब गिरावट आ रही है।

-पकड़ुआ विवाह के चर्चित केस
केस-1
पेशे से इंजीनियर विनोद कुमार की जबरन शादी का वीडियो साल 2017 के दिसंबर महीने में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। समाज और दबंगों के लाख डराने धमकाने के बाद भी विनोद ने इस शादी को मानने से इनकार कर दिया। विनोद ने पटना के परिवार न्यायालय में शादी की वैधता को चुनौती दी, जिस पर मई 2019 में प्रिंसिपल जज कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने फैसला देते हुए शादी को अमान्य ठहरा दिया।

केस-2
साल 2013 में शेखपुरा जिले के रवीन्द्र कुमार झा के 15 साल के बेटे की शादी जबरन 11 साल की बच्ची से करा दी गई थी। रवीन्द्र कुमार झा ने इस शादी को मानने से इनकार किया, तो लड़की वालों ने उनके परिवार के खिलाफ दहेज प्रताडऩा का केस कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने रवीन्द्र झा के परिवार को अग्रिम जमानत दे दी। लेकिन, तकनीकी दिक्कतों के चलते शादी को अमान्य करार देने से इनकार कर दिया।

केस-3
दरभंगा जिले की रहने वाली कमला के पिता ने उसका पकड़ुआ विवाह कराया था। सामाजिक दबाव में ससुराल वालों ने कमला को अपना तो लिया, लेकिन वह आज भी डरी सहमी रहती है। ससुराल की महिलाएं आए दिन ताने मार देती हैं। कमला मजबूरी में ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर है।

केस-4
सहरसा जिले के रहने वाले आलोक को मई 2012 में उसके दोस्त पार्टी का लालच देकर अपने साथ ले गए। फिर बंदूक के बल पर मंडप पर बैठाया और पकड़ुआ विवाह करा दिया था।

केस-5
साल 2021 के जून में बेगूसराय के तेघड़ा थाना क्षेत्र में शिवम कुमार को बिहट खेमकरणपुर पूर्वी टोला के रहने वाले यदुनंदन सिंह ने गांव के लोगों के साथ मिलकर अगवा कर लिया था। इसके बाद युदुनंदन अपनी बेटी प्रिया भारती से शिवम की जबरन शादी करवा रहे थे। मौके पर पहुंची पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय दोनों पक्षों को समझा बुझाकर दोनों की शादी करवा दी।

क्या कहते हैं अधिकारी
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने खुलासा किया कि नवंबर और दिसंबर 2020 के दो महीनों में शादी के लिए 25 से अधिक लोगों का अपहरण किया गया था। बिहार के कुछ क्षेत्रों में जबरन शादी एक आम बात थी, लेकिन दहेज से बचने के लिए विवाह के लिए योग्य कुंवारे लोगों का अपहरण करने वाले लोगों के खिलाफ द्वेष और पुलिस की कार्रवाई को रोकने के लिए सरकार की पहल के बाद इसमें गिरावट आई।

क्या कहता है रिकॉर्ड
राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चला है कि राज्य में जबरन विवाह के मामले तो बढे हैं लेकिन इस साल इसमें गिरावट दर्ज की गई है।
2020-6,517 मामले
2019-4,498 मामले
2018-4,301 मामले
2017-3,678 मामले
2016- 3,070 मामले
2015-3,000 मामले
2014-2,526 मामले

Posted By: Inextlive