मधुबनी से गोपालगंज की सीमा तक की देवशिला यात्रा में चार स्थल जिनका प्रभु श्रीराम से जुड़ाव


पटना (ब्यूरो)। नेपाल की काली गंडकी से निकली देवशिला यात्रा अयोध्या जाने के क्रम में मंडे को भारत-नेपाल की जटही सीमा से मधुबनी में प्रवेश करेगी। यात्रा उन स्थलों से भी गुजरेगी, जहां कभी प्रभु श्रीराम और माता जानकी के कदम पड़े थे। मधुबनी से गोपालगंज की सीमा तक 217 किमी में मधुबनी, दरभंगा और पूर्वी चंपारण में चार स्थल हैं। ये प्रभु श्रीराम के अयोध्या से जनकपुर धाम जाने, मिथिला भ्रमण और माता जानकी से विवाह के बाद लौटने के प्रसंग से जुड़े हैं। 30 व 31 जनवरी को इन मार्गों से होकर गुजरने वाली देवशिला यात्रा को लेकर उक्त स्थलों के लोग उत्साहित और हर्षित हैं।

फुलहर में हुई थी पहली मुलाकात
यात्रा रूट में जटही सीमा से प्रवेश के बाद मधुबनी में फुलहर है। हरलाखी प्रखंड के फुलहर में मिथिला नरेश जनक की फुलवारी थी। माता सीता प्रतिदिन गिरिजा पूजन के लिए फूल लेने यहीं आती थीं। जनकपुरधाम जाने के दौरान मधुबनी के विशौल में ठहरे भगवान श्रीराम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के लिए फूल तोडऩे फुलहर गए थे, इसी दौरान भगवान राम और माता सीता की मुलाकात हुई थी। तुलसीकृत रामायण में भी इसकी चर्चा है। यहां माता गिरिजा स्थान के नाम से मंदिर भी है। अब यह बागतराग पुष्प वाटिका के रूप में जाना जाता है। इस स्थान को 2020 में बिहार सरकार द्वारा पर्यटन केंद्र के रूप में मान्यता दी गई है। यहीं के बिस्फी प्रखंड क्षेत्र में जगवन में याज्ञवल्क्य मुनि का आश्रम था। विश्वामित्र के साथ श्रीराम व लक्ष्मण मुनि से आशीर्वाद प्राप्त करने आश्रम पहुंचे थे। दरभंगा में स्थित है अहिल्यास्थानदेवशिला यात्रा के रूट में दरभंगा का कमतौल भी है। यहां से करीब पांच किमी की दूरी पर अहिल्यास्थान है। स्वयंवर के लिए अयोध्या से जनकपुरधाम जाने के दौरान प्रभु श्रीराम के कदम यहां पड़े थे। गौतम ऋषि के शाप से पत्थर बनीं अहिल्या का उद्धार प्रभु ने किया था। जाले प्रखंड के अहियारी स्थित इस मंदिर के पास अहिल्या स्थान कुंड है। रामनवमी के दिन कुंड में स्नान व पूजन का महत्व है। इस मंदिर में प्रधान पुजारी महिला होती है। यहां हर वर्ष अहिल्या-गौतम महोत्सव का आयोजन होता है। यहां के लोग कमतौल में देवशिला का दर्शन करेंगे।


गोपालगंज की सीमा में प्रवेश से पहले यह यात्रा पूर्वी चंपारण के चकिया प्रखंड के बेदीबन मधुबन स्थित सीताकुंड के करीब से गुजरेगी। यहां विवाह के बाद अयोध्या जाने के दौरान माता जानकी की चौठारी हुई थी। यहां के लोग चकिया के चाप चौक पर देवशिला का दर्शन कर सकेंगे।

Posted By: Inextlive