पटना में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने कमर कस ली है. कोशिश है कि पटनाइट्स को ज्यादा से ज्यादा मतदान केंद्रों तक पहुंचा कर पटना को ए ग्रेड की श्रेणी में लाया जाए. अभी तक मत प्रतिशत को लेकर पटना बी श्रेणी में आते रही है. लेकिन चुनाव आयोग के साथ पटनाइट्स के लिए बी श्रेणी को पार करने की चुनौती है.

पटना ब्‍यूरो। चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में जुटे चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव से पहले 21 राज्यों की करीब 266 लोकसभा सीटों पर इसे लेकर विशेष अभियान चलाने की योजना बनाई है। इन सीटों में करीब 215 सीटें ग्रामीण क्षेत्रों और 51 शहरी क्षेत्रों की हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर बाकी सीटों के मुकाबले कम मतदान हुआ था। इसमें पटना साहिब और पाटलीपुत्र की भी सीट शामिल रही थी।


कम मतदान वाले 50 लोस क्षेत्रों में 40 यूपी और बिहार के


आयोग ने राष्ट्रीय औसत से कम मतदान वाले जिन नौ राज्यों के 50 लोकसभा क्षेत्रों पर सबसे अधिक फोकस किया है, उनमें 40 लोकसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के 22 लोकसभा क्षेत्र हैं जबकि बिहार के 18 लोकसभा क्षेत्र हैं। बाकी सीटें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान व जम्मू-कश्मीर की हैं। इन 50 सीटों में 17 शहरी क्षेत्रों की हैं। जिनमें लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, नागपुर, मुंबई नार्थ-वेस्ट, मुंबई नार्थ सेंट्रल, ठाणे, बंगलुरु और पटना आदि शामिल हैं।


2014 के अपेक्षाकृत 2019 में मत प्रतिशत में गिराबट


ओवरऑल पटना की बात करें तो पिछले लोकसभा चुनाव में पटना का मत प्रतिशत महज 51 प्रतिशत पर आकर टीक गया था। वहीं इसके अपेक्षा अगर 2014 लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत की बात करें तो यह 56 प्रतिशत के करीब रहा था। तो इस लिहाज से मत प्रतिशत में पिछले लोकसभा में पांच प्रतिशत की गिरावट आई थी।

75 प्रतिशत मत वाले जिला को ए श्रेणी में रखा जाता है


चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार 75 प्रतिशत मत वाले सीटों को ए श्रेणी में रखा जाता है। वहीं इसके नीचे के मत प्रतिशत वाले सीटों को बी श्रेणी में रखा जाता है। वहीं अगर किसी सीट पर मत प्रतिशत अगर 50 से नीचे आ जाता है तब इसे सी श्रेणी में रखा जाता है। तो इस लिहाज से पटना के दो लोकसभा सीटों पर मत प्रतिशत बढ़ाने की बड़ी चुनौती है।

Posted By: Inextlive