Patna : मेरी शादी के दो साल हुए हैं. इस दौरान पति ने मुझे इस कदर पीटा है कि मैं ठीक से चल नहीं पाती हूं. ससुराल में खाना मिले ना मिले पर मार जरूर पड़ती थी. एक दिन मैं छुपकर अपने थाना पालीगंज चली गई. थाना प्रभारी को एक अप्लीकेशन देकर जान बचाने की गुजारिश की पर उन्होंने यह कह कर मेरा अप्लीकेशन लेने से मना कर दिया कि ऐसे केसेज डेली आते हैं.

पुलिस ने भी खूब खिल्ली उड़ाई
फैमिली मैटर को फैमिली तक ही रहने दो। इसके बाद फिर मैंने पटना डीएम के पास आवेदन दिया, वहां से मुझे वीमेन हेल्पलाइन भेजा गया। मैं कुछ भी करूंगी, पर पति के साथ नहीं रहूंगी। यह कहना है पायल का। पायल का केस 194/12 वीमेन हेल्पलाइन में दर्ज है। पायल की शादी दिसंबर 2009 में हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद से ही पति का अत्याचार शुरू हो गया। पति ने तो साथ नहीं ही दिया, हमारी सोसायटी के प्रहरी कहे जाने वाले पुलिस प्रशासन ने भी खूब खिल्ली उड़ाई। ऐसा दर्द सह रही सिर्फ पायल ही नहीं है, महिला हेल्पलाइन में ऐसे कई केसेज आते हैं, जिसे थाने से कोई हेल्प नहीं मिलती. 

मुझे ही गुनाहगार समझने लगी पुलिस 
केस नंबर : 378/12 
वह मेरे पति का फ्रेंड है। मेरे घर बराबर उसका आना-जाना लगा रहता था। एक दिन घर में अकेले पाकर वह मुझसे जबदस्ती करने लगा। वह तो संयोग था कि मैं बच गई। मैंने यह बात अपने पति को बताई। उन्होंने उसे घर आने से मना कर दिया। पर, उसके बाद वह मुझे धमकी देने लगा। मोबाइल से ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी। इससे तंग आकर मैंने एक दिन अपने बच्चों के साथ सुसाइड करने की भी कोशिश की। हालंाकि लोगों के सजेशंस के बाद मैं बुद्धा कॉलोनी थाना गई। वहां थाना प्रभारी को सारी बातें भी बताईं, पर पुलिस साथ देने की बजाय मुझे ही गुनाहगार समझने लगी। ऐसे-ऐसे सवाल कर रही थी, जैसे मैंने ही कोई गलती की हो। मैंने मोबाइल पर दी गई धमकी की रिकार्डिंग भी पुलिस को सुनाई, तब भी मुझ पर विश्वास नहीं हो रहा था। अगर वीमेन हेल्पलाइन से हेल्प नहीं मिलती, तो मैं फ्रस्टेट हो गई होती. 

थाना ने अप्लीकेशन लेने से कर दिया इंकार  
केस नंबर : 529/12 
पटना सिटी स्थित सुल्तानगंज थाना क्षेत्र में हम किराये के मकान में रहते हैं। जब हमने घर लिया था, उसके कुछ दिनों बाद से ही मुझे फील हुआ कि मकान मालिक की नजर मुझ पर सही नहीं है। पति के ऑफिस जाने के बाद वह मुझे परेशान करने लगा। मैंने कई बार इसका विरोध भी किया, पर वह अपनी बुरी आदतों से मजबूर मुझे घर से लेकर मार्केट तक परेशान करता रहा, तब थक-हारकर मैं थाना गई। वहां जाकर जब मैंने थाना प्रभारी को सारी बातें बताईं, तो पहले तो उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा। फिर कहा कि ऐसे केस को हम दर्ज करने लगेंगे, तो फिर फाइल ही भर जाएगी। पुलिस ने मुझे इग्नोर करने की नसीहत देकर लौटा दिया। इसके बाद मैं वीमेन हेल्पलाइन गई। वहां मेरा केस चल रहा है। कई बार हेल्पलाइन वालों ने मकान मालिक को बुलाया भी।

बेटी मर गई, पर पुलिस मांगती रही सबूत
केस नंबर  -  140/12 
मैंने अपनी बेटी की शादी बड़ी धूमधाम मसौढ़ी थाना क्षेत्र में की थी। शादी के कुछ दिनों बाद ही मेरे दामाद ने दूसरी शादी कर ली। शादी के बाद मेरी बेटी को मायके जाने का जोर दिया, पर वह जाने को तैयार नहीं हुई, तो उसे घर में ही मार डाला। इसके बाद जब हम संबंधित थाना मसौढ़ी में एफआईआर दर्ज करवाने गए, तो थाने वालों ने सबूत मांगा। वहां कहा गया कि क्या सबूत है कि आपकी बेटी को उसके पति ने ही मारा है। थाना मुझे यह कह कर वापस कर दिया कि मैं जब बेटी के ससुराल में रहने और पति के मारे जाने का सबूत लाऊंगी, तब इस पर केस दर्ज होगा। इसके बाद हम वीमेन हेल्पलाइन गए, जहां हमारा केस चल रहा है।

Posted By: Inextlive