-यंग इंडिया के यूथ को जॉब से जोड़ना है सबसे बड़ी चुनौती

-जॉबलेस यूथ कंट्री के सामने खड़ी करेंगे कई चुनौती

-यशवंत सिन्हा को शॉल व मोमेंटो देकर किया गया सम्मानित

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PATNA: भारत जल्द सबसे ज्यादा युवाओं वाला देश बन जाएगा। इंडिया जहां यंग इडिया बन रहा है, वहीं व‌र्ल्ड के अन्य कंट्री लगातार ओल्ड हो रहे हैं। इस पर हमें खुश होने के बजाय सावधान होना होगा। यंग इंडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती जॉब उपलब्ध कराना होगा। इसके लिए प्लानिंग नहीं किया गया तो कंट्री के यूथ डिजास्टर इंडिया बन जायेंगे। ये बातें चीफ गेस्ट के रूप में उपस्थित इंडिया के एक्स फाइनेंस व एक्सटरनल अफेयर्स मिनिस्टर यशवंत सिन्हा ने कहीं। पटना कॉलेज में मंगलवार को यशवंत सिन्हा एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।

हैव द रूलर इंडिया फेल्ड इंडिया

पटना कॉलेज के स्टूडेंट व टीचर रहे सिविल सर्वेट रामास्वामी मनी मेमोरियल लेक्चर सीरीज का पहला सेमिनार 'हैव द रूलर इंडिया फेल्ड इंडिया' विषय पर आयोजित किया गया। प्रोग्राम की अध्यक्षता पटना यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ वाईसी सिम्हाद्री ने किया। मंच संचालन पटना कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ नवल किशोर चौधरी ने किया। इस अवसर पर यशवंत सिन्हा की पत्‍‌नी, साइंस डीन प्रो अमरेंद्र मिश्रा, प्रो वीसी डॉ आर के वर्मा, साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ यू के सिन्हा, रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर आईसी कुमार, अभिमन्यु सिंह, प्रो रंधीर सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे।

पहले इंडियन सेक्रेटरी जेनरल होते

यशवंत सिन्हा ने अपने बैचमेट रामास्वामी मनी को याद करते हुए कहा कि मामूली सी बात में यदि उन्हें फंसाया नहीं गया होता, तो वह यूएन के सेक्रेटरी जेनरल बनने वाले पहले भारतीय होते। तत्कालीन पटना के चीफ जस्टिस के पुत्र रामास्वामी मनी पटना कॉलेज के स्टूडेंट थे। उन्होंने हावर्ड से कई ग्लोबल इंस्टीच्यूट से पढ़ाई की। प्रशानिक अधिकारी के रूप में देश के लिए कई महत्वपूर्ण पदों पर देश-विदेशों में रहे। मामूली से बात में फंसाये जाने के बाद वे काफी डिपरेस्ड हो गये थे, बाद में कैंसर से उनकी मौत हो गई थी।

मैनर्स सीखें स्टूडेंट्स

समस्याएं तो हमारे समय में भी थीं, आज भी है और आगे भी रहेगी। हमारे समय में पटना कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए जॉब की समस्या नहीं थी। स्टूडेंट ग्लोबल लेवल पर तैयार किए जाते थे। आज ऐसा नहीं है। आज के बिहार-झारखंड स्टूडेंट्स के पास कम्यूनिकेशन स्किल नहीं है। जेनरल नॉलेज तो है ही नहीं और ना ही ड्रेस सेंस की समझ है। इस कारण यहां के यूथ को दूसरे स्टेट में जॉब लेने में काफी परेशानी होती है। हमें स्टूडेंट्स को सबसे पहले मैनर्स सीखाना होगा।

कंट्री में मल्टी लेवल पर रिफॉर्म जरूरी

कंट्री लेवल पर प्राय: पॉलिटिकल इलेक्शन कमीशन ने किया है। न कि पॉलिटिकल पार्टीज ने। आज के समय में रिफॉर्म के बिना डिलेवरी सिस्टम नहीं सुधरा जा सकता। रिफार्म पॉलिटीकल, ज्युडिशियल व एडमिनिस्ट्रेटिव में जरूरी है। आजादी के बाद से देश में गरीबी मिटाने का काफी प्रयास किया जा रहा है, जो अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है।

भारत में कौन है गरीब?

आप गरीब हैं कि नहीं, यह भारत में स्पष्ट नहीं है। भारत में बार-बार कमिटी बनी लेकिन आज भी इसके लिए कोई मानक तैयार नहीं किया गया। आप गरीब है या नहीं, इसके लिए तेंदुलकर कमिटी सहित कई अन्य कमेटियों से पूछना पड़ेगा। देश में सर्विस को अपनी पब्लिसिटी के लिए फ्री में सर्विस बांटने की परंपरा बदलना होगा।

रेवेन्यू जेनरेट करे स्टेट गवर्नमेंट

प्राय: स्टेट अपने डेवलपमेंट के लिए सेंटर के फंड पर आश्रित रहता है। यह धारना बदलनी होगी। हमें तामिलनाडु जैसे स्टेट से सीख लेना चाहिए।

The other side

यूथ के अविश्वास का नतीजा है रेड टेरर

लेफ्ट एक्सट्रीज्म झारखंड सहित देश के कई एरिया में है। यह यूथ में अविश्वास का नतीजा है। उन्हें इंडिया के डेमोक्रेसी में विश्वास नहीं है। यशवंत सिन्हा ने लोकल गवर्नेस को सीधे फंड व प्लानिंग की जिम्मेदारी देने की वकालत की। वे स्टेट व सेंट्रल एसेंबली के मेंबर्स को लोकल गवर्नेस को मजबूत नहीं होने देने के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। स्टेट व सेंट्रल एसेंबली के मेंबर डरे हुए हैं कि लोकल गवर्नेस मजबूत होने के बाद सोसायटी में उनका महत्व घट सकता है।

Posted By: Inextlive