गोल्डन बेबी लीग्स परियोजना फीफा के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट से सफल होगा मिशन

पटना (ब्यूरो)। देश में खेलों की मुहिम को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने का एक नया अभियान बिहार में शुरू हो चुका है। इसका नाम है- गोल्डन बेबी लीग्स प्रोजेक्ट। इस प्रोजेक्ट का मकसद है छह से 12 साल के बच्चे- बच्चियों के बीच फुटबॉल के प्रति रुचि जगाना। जो इस प्रोजेक्ट में बेहतर खेंलेंगे, उन्हें आगे इस फील्ड में करियर बनाने में काफी मदद मिलेगी। पटना में इस प्रोजेक्ट के तहत लीग मैच संपन्न हो चुके हैैं। अब बिहार के अन्य जिलों में भी इसकी अलख जगाई जा रही है। यह मुख्य रूप से फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय संस्था फीफा का प्रोजेक्ट है और इसे बिहार में जमीन पर उतारने में बिहार फुटबॉल एसोसिएशन अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। जानकारी हो कि विदेशों में इसी प्रोजेक्ट के आधार पर कम उम्र में ही बेहतर खिलाडिय़ों की पहचान करके उन्हें खेल प्रतिभा के तौर पर ससमय पहचान हो जाती है। यह अब बिहार में भी होगा।

ऐसे चल रही है परियोजना
बिहार फुटबॉल संघ के सचिव सैय्यद इम्तियाज हुसैन ने कहा कि पूरे बिहार में फीफा की योजना पर काम हो रहा है। अभी बिहार में पटना में यह कार्यक्रम हो चुका है। आरा और बेतिया में यंग टैलेंट के लिए गोल्डन बेबी लीग चल रहा है। इसके उपरांत जमुई और गया में इस कारवां आगे बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि चूंकि यह मात्र 6 से 12 वर्ष के बच्चों का मामला है। इसलिए इसमें सभी को खेलने का मौका दिया जाता है। यह सभी जिलों में किया जाएगा। फीफा ने भारत को पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लिया है। इसके तहत यहां के दो लाख स्कूलों को प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा।

नवोदय विद्यालय को नोडल सेंटर
इस परियोजना के तहत भारत में नवोदय विद्यालय को नोडल सेंटर के तौर पर चिन्हित किया गया है। इसके माध्यम से सभी लक्षित स्कूल के बच्चे-बच्चियों के लिए फुटबॉल मुहैया कराया जाएगा। पहले नवोदय विद्यालय को यह दिया जाएगा और इसके बाद अन्य सरकारी व निजी स्कूल के बच्चों को भी फुटबाल दिया जाएगा।

हर कोई आयोजन कर सकेगा
गोल्डन बेबी लीग भारतीय फुटबॉल के सभी हितधारकों के लिए लक्षित है जो इस आयु वर्ग के बच्चों के साथ जुड़े हुए हैं, चाहे वह क्लब, अकादमियां, स्कूल, गैर-सरकारी संगठन, माता-पिता, कोच, फुटबॉल प्रशंसक हों। हर कोई! कोई भी देश में कहीं भी एआईएफएफ गोल्डन बेबी लीग का आयोजन कर सकता है। लीग का उद्देश्य लिंग, धर्म, आर्थिक पृष्ठभूमि या जातीय मूल के बावजूद बच्चों के इलाके में फुटबॉल तक पहुंच प्रदान करना है।

परियोजना का उदेश्य
गोल्डन बेबी लीग्स परियोजना को फीफा के विकास कार्यक्रम - फीफा के साथ भारतीय सहयोग में लॉन्च किया गया था। इसके सूत्रधारों का मानना है कि 6-12 वर्ष की आयु युवा लड़कों और लड़कियों के लिए सीखने का स्वर्ण युग है। इस कच्ची उम्र मे ही टीम भावना विकसित करते हुए जीवन के लिए एक फुटबॉल खिलाड़ी के विकास में महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाना है। गोल्डन बेबी लीग्स प्रोजेक्ट एक दीर्घकालिक खिलाड़ी विकास पहल है जिसका उद्देश्य खिलाडिय़ों, लड़कों और लड़कियों की एक नई पीढ़ी को विकसित करना है, जो बहुत कम उम्र से फुटबॉल खेलना शुरू करते हैं।

Posted By: Inextlive