सड़क से सदन तक गूंजा बिहारियों व हिंदी पट्टी के स्टूडेंट्स को बेदखल करने का मामला

- इंग्लिश के सवाल दिमाग के ऊपर से पास हो रहे, तो हिन्दी भी समझना हो रहा मुश्किल

- एक्सप‌र्ट्स व स्टूडेंट्स ने लगाया हजारों बिहारियों को बेदखल करने की साजिश का आरोप

PATNA : यूपीएससी ने सी-सैट क्या लागू किया बिहार के साथ हिन्दी पट्टी के लाखों स्टूडेंट्स रेस से बाहर हो गए। एक तरफ हिन्दी के नाम पर राष्ट्रभाषा दिवस मनाने की बात और दूसरी तरफ हिन्दी के साथ ऐसा सलूक। ये सी-सैट का ही कमाल है कि हिन्दी मीडियम का पहला स्टूडेंट क्07वे रैंक पर रहा। ये समस्तीपुर के कैलाश कुमार राय हैं। पहले ये होता था कि शुरू के वन टू हंड्रेड में क्भ्-ख्0 स्टूडेंट्स हिन्दी मीडियम के होते थे। मतबल साफ है बड़ी संख्या में बिहार के स्टूडेंट्स को रेस से बाहर किया जा रहा है और इसके लिए इंग्लिश को धारदार हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने का आरोप यूपीएससी पर लग रहा है। इस मामले को लेकर स्टूडेंट्स व टीचर सड़क पर हैं, तो बिहार विधान परिषद् में भी सी सैट का मामला उठा।

सी सैट क्या है?

सी सैट यानी सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट। इसे ख्0क्क् में ही लागू किया गया। इसके तहत इंग्लिश को ज्यादा वेटेज दिया है यूपीएससी यानी यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन ने। इसी सेवा के एग्जाम पास करने के बाद स्टूडेंट्स डीएम, एसपी बनते हैं या फिर इंडियन रेवन्यू सर्विस और इंडियन इंडियन फॉरेन सर्विस के लिए सलेक्ट किए जाते हैं। और भी कई तरह की ए ग्रेड सर्विस यूपीएससी के अंतर्गत हैं। सी सैट के तहत अब स्टूडेंट्स को इंग्लिश का 8 पैसेज दिया जा रहा है। एक पैसेज ढाई मा‌र्क्स का है और टोटल ख्0 मा‌र्क्स का। खासतौर से हिन्दी मीडियम स्टूडेंट्स के लिए ये काफी टफ होता है। नतीजा ये कि ज्यादातर हिन्दी मीडियम स्टूडेंट्स पीटी में ही छंट जा रहे हैं। जो हिन्दी मीडियम स्टूडेंट्स पीटी निकाल भी ले रहे हैं, उनका मेंस में फंसना तय है। मेंस एग्जाम में फ्00 नंबर के इंग्लिश और फ्00 के ही हिन्दी के सवाल होते हैं। इसमें क्वालिफाई करना होता है। गजब कि बात ये कि हिन्दी के सवालों के जवाब देने और इंग्लिश के सवालों के जवाब देने दोनों में ही इंग्लिश मीडियम के स्टूडेंट्स को ही फायदा है। बिहार में भ्0 हजार स्टूडेंट्स यूपीएससी की तैयारी में लगे हैं। नतीजा ये कि स्टूडेंट्स अब निराश होकर दूसरे कांपटीशन की ओर जा रहे हैं। पेरेंट्स का भी दबाव है कि यूपीएससी की तैयारी करके क्या करोगे।

सी सैट का मकसद ही है हिन्दी मीडियम के स्टूडेंट्स को कंपीटिशन से बाहर करना। इसके बाद तो हिन्दी मीडियम के स्टूडेंट्स पीटी से ही बाहर हो जा रहा है। मेंस में क्या भिड़ेंगे। मेंस में आ भी गए, तो वहां से भी बाहर करने की पूरी तैयारी है। इसी नीति के खिलाफ मैंने कारगिल चौक पर अनशन भी किया था। इस बार सिर्फ ख्म् स्टूडेंट्स हिन्दी मीडियम के फाइनली सेलेक्ट हो पाए, जबकि पहले ब्00 हिन्दी मीडियम वाले स्टूडेंट्स पहले फाइनली पास करते थे। पहले ब्0 परसेंट बिहार के स्टूडेंट्स सेलेक्ट होते थे, जबकि अब ओवरऑल टू परसेंट हिन्दी मीडियम वाले नहीं हैं।

एम रहमान, टीचर, ऐम सिविल सर्विसेज

ख्0 नंबर का टफ इंग्लिश का पैसेज दिया जा रहा है बनाने को। ये हम जैसे हिन्दी मीडियम स्टूडेंट्स के लिए समझ में आना भी मुश्किल है।

श्वेता कुमारी, स्टूडेंट

इंग्लिश तो इंग्लिश हिन्दी का पैसेज भी काफी टफ होता है। बिल्कुल गूगल से ट्रांसलेट किया जैसा होता है ये। सी-सैट को इतना ईजी बनाया जाए कि हिन्दी मीडियम स्टूडेंट्स क्वालीफाई कर सकें।

प्रियंका कुमारी, स्टूडेंट

बिहार के सरकारी स्कूलों में इंग्लिश को ज्यादा तरजीह नहीं दिया जाता। इसलिए यहां के ज्यादातर स्टूडेंट्स की हिन्दी उतनी स्ट्रॉग नहीं हो पाती। या तो इन सबों को क्वालीफाइंग करना चाहिए या फिर हटा ही देना चाहिए।

विवेक तोमर, स्टूडेंट

हिंदी भाषियों के साथ सोची-समझी साजिश की जा रही है। लॉर्ड कर्जन की नीति अपना रहा है यूपीएससी। अब महज ख् परसेंट हिन्दी मीडियम स्टूडेंट्स सेलेक्ट हो पा रहे हैं। क्00 के अंदर कोई हिन्दी मीडियम स्टूडेंट आ ही नहीं रहा।

अमित सिंह, स्टूंडेट

विरोध में कैंडिल मार्च

यूपीएससी की ओर से हिंदी मीडियम के स्टूडेंट्स को सिविल सर्विसेज में जाने का मार्ग रोकने के विरोध में मंगलवार की शाम अदम्या अदिति गुरुकुल के सैकड़ों छात्र एम। रहमान के नेतृत्व में नया टोला गोपाल मार्केट से अशोक राजपथ होते हुए कारगिल चौक, गांधी मैदान पहुंचे। गांधी मैदान में विरोध सभा की गई। मौके पर रहमान ने कहा कि यूपीएससी की नींद नहीं टूटी, तो तीन दिन बाद आमरण अनशन किया जाएगा। ये बिहार के भ्0 हजार स्टूडेंट्स का सवाल है।

Posted By: Inextlive