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JAMSHEDPUR: अगर आप भी महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) हॉस्पिटल में इलाज के लिए जा रहे हैं, तो जरा सावधान रहें। कोल्हान के सबसे बड़े गवर्नमेंट हॉस्पिटल कैंपस में खुलेआम बायोमेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है। एमजीएम हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड से महज ख्0 मीटर की दूरी पर स्थित मरकरी के पास फेंके गए कूड़े-कचरे साथ बायो मेडिकल वेस्ट बिखरा पड़ा है। मैनेजमेंट की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह इसके निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है। उधर, एमजीएम डिप्टी सुपरिंटेंडेंट यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि हॉस्पिटल कैंपस में बायो मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है। एमजीएम हॉस्पिटल में पिछले पांच साल से इंसीनरेटर मशीन खराब है।

ये जानलेवा है

हॉस्पिटल कैंस के आस-पास फेंके गये बायो वेस्ट में कई तरह की बायो बेस्ट शामिल होते हैं, इसमें पेशेंट्स को चढ़ाये जाने वाले बल्ड के डिस्चार्ज पैकेट, डिस्चार्ज निडिल के अलावा कई तरह के खून से सने बायो वेस्ट, इनमें एचआईवी एड्स पॉजिटिव, हेपेटाईटिस सहित अन्य कई तरह के संक्रमित पेशेंट्स के इस्तेमाल में लाए जाने वाले बायो मेडिकल बेस्ट शामिल हैं। डिस्चार्ज निडिल समेत कई तरह के अन्य बायो मेडिकल वेस्ट संक्रमित होने के साथ-साथ जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। संक्रमित पेशेंट्स के इस्तेमाल किये गये निडिल के संपर्क में आने से हॉस्पिटल पहुंचने वाले पेशेंट्स के साथ साथ उनके परिजन भी कई तरह की संक्रमित बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं। ये पूरी तरह जानलेवा साबित हो सकता है, लेकिन एमजीएम में बायो मेडिकल बेस्ट का निष्पादन ऊपरवाले के भरोसे है।

बच्चे चुनते हैं वेस्ट

एमजीएम हॉस्पिटल कैंपस में फेंके जाने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का आस-पास के बस्तियों में रहने वाले बच्चें बेसब्री से इंतजार करते है। इस जानलेवा कचरा से अनभिज्ञ ये बच्चे बायो मेडिकल वेस्ट में से यूरिन पाइप को खोजते हैं। एक बच्चे से पूछने पर उसने बताया कि वे यूरिन पाइप से गुलेल बनाने हैं और उससे शिकार करते हैं।

बेधड़क घुसते हैं

एमजीएम हॉस्पिटल के चारदीवारी टूटे होने के कारण शरारती तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। हालांकि, इसके लिए गार्डो की तैनाती की गई है, फिर भी वे बाज नहीं आते। यूरिन पाइन चुनने वाले बालक भी इसी रास्ते से प्रवेश करते है। रास्ते न तो कोई गार्ड तैनात रहता है और न ही कर्मचारी। जिसके कारण ये हॉस्पिटल कैंपस में बेधड़क घुस आते हैं।

ऐसे होता है निष्पादन

-हॉस्पिटल मैनेजमेंट को हॉस्पिटल से निकलने वाले बायो मेडिकल बेस्ट को तीन हिस्सों में विभाजित करना होता है।

-ब्लड, मांस के टुकडे इत्यादि चीजों को रेड कलर के डिब्बे में डालना होता है।

-कॉटन, सिरिंज, मेडिसियन इत्यादि पीले कलर के डिब्बे में डालने का प्रावधान है।

-पेशेंट्स के खाने के बाद बची वस्तुओं को ग्रीन कलर के डिब्बे में डालने का प्रावधान हैं।

-इन तीनों कलर के डिब्बे के पॉलीथिन बैग के आधा भर जाने के बाद इसे पैक करके पेशेंट्स के पहुंच से कोसों दूर रखा जाना चाहिए।

बायो मेडिकल वेस्ट से नुकसान

-वेक्टर्स (मक्खी, मच्छर सहित अन्य कीड़े मकोड़े) के जरिए अस्पताल आने वाले तथा आस-पास के लोगों में गंभीर इंफेक्शन वाली बीमारी फैलने का खतरा।

-संक्रमित बीमारियों वाले मरीज के इस्तेमाल में लायी गयी निडिल, ब्लेड से इंज्यूरी होने तथा उसके संपर्क में आने से जानलेवा बीमारी का खतरा।

-हाइोडर्मिक निडिल्स, ट्यूब्स, ब्लेड बॉल्टस जैसी वस्तुओं से इंफेक्शन का खतरा।

-डिस्कार्डेड मेडिसिंस के इस्तेमाल से रिएक्शन का खतरा।

-कई केमिकल और फार्मास्यूटिकल ड्रग्स भी घातक होता है।

भ् साल तक की हो सकती है जेल

बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल में लापरवाही बरतने पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है। एन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट-क्98म् के अनुसार आरोपियों पर पांच साल तक का कैद और एक लाख रुपये फाइन या फिर दोनों सजा एक साथ देने का प्रावधान है।

हॉस्पिटल में इमरजेंसी के पास की खून से सने रूई, नीडिल आदि फेंक दिया जा रहा है। इस कारण हॉस्पिटल आने वाले पेशेंट्स के साथ ही उनके अटेंडर में भी जानलेवा इंफेक्शन फैलने का खतरा बना हुआ है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट की इस प्रकार की लापरवाही शोभा नहीं देती।

-सौम्य रंजन, साकची

एमजीएम हॉस्पिटल की हालात देखकर यहां आने से भी डर लगता है। गंदगी तो गंदगी यहां हॉस्पिटल कैंपस में ही बायो मेडिकल वेस्ट को फेंका जा रहा है। ये किसी के लिए भी जानलेवा हो सकता है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट को इस ओर ध्यान देने की आवश्यक्ता है।

-पवन कुमार झा, बिरसानगर

हॉस्पिटल में इस तरह से बायो मेडिकल वेस्ट फेंका जाना पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाने के साथ ही लोगों की जान से खिलवाड़ करने से कम नहीं है। इसके लिए मैनेजमेंट पर स्वास्थ विभाग के द्वारा सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

-सुनील गुप्ता, बागबेड़ा

मानने को तैयार नहीं डिप्टी सुपरिंटेंड

एमजीएन हॉस्पिटल के डिप्टी सुपरिंटेंड से भारतेंदु भूषण से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से सीधी बात

सवाल : हॉस्पिटल कैंपस में ही बायो मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है?

जवाब : फेंका नहीं जाता है उसे कैंपस में एक जगह स्टोर किया जाता है। इसके बाद उसे उठाकर हॉस्पिटल के बाहर डंप किया जाता है।

सवाल : हॉस्पिटल कैंपस में ही बायो मेडिकल वेस्ट के जमा होने के बाद उसे जला दिया जाता है?

जवाब : ऐसा नहीं हैं मैंने खुद देखा हैं जलाने से पहले बायो मेडिकल वेस्ट के मेजर पार्ट को उठा लिया जाता है। इसके बाद बचे हुए प्लास्टिक व कागज को जलाया जाता है।

सवाल : हॉस्पिटल आने वाले किसी भी पेशेंट को इंफेक्शन हो सकता है?

जवाब : इंफेक्शन होना हो तो फिर कहीं भी हो सकता है। भगवान जब तक नहीं चाहेंगे कुछ नहीं होगा।

Posted By: Inextlive