Varanasi: भगवान श्रीकृष्ण के विरह में गोपियों के मुंह से निकले सुर ने कब बिरहा का रुप ले लिया इसका कोई प्रमाणिक इतिहास उपलब्ध नहीं है. फिर भी भगवान के विरह में गाया जाने वाला बिरहा धीरे धीरे फोक म्यूजिक बन गया.


इसकी व्यापकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बनारस के हर गली मोहल्ले में यह आज भी जिंदा है। शहर के किसी भी मंदिर का श्रृंगार बगैर बिरहा के पूरा नहीं होता। यहां का बच्चा बच्चा इस फोक आर्ट से परिचित है। मोहल्लों में होने वाले एनुअल फंक्शन्स, दुर्गापूजा के आयोजनों से लेकर इलेक्शन तक में बिरहा की गूंज है। माडर्न व कंप्यूटराइज्ड गीत संगीत के बीच बिरहा का क्रेज आज भी बरकरार है। मॉरीशस तक पहुंचा बिरहादेशी बिरहा तो अब इंटरनेशनल हो गया है। मॉरीशस में भारतीय मूल के लोग इसे बड़े चाव से सुनते हैं। पूर्वांचल के तमाम बिरहा गायक अक्सर मॉरीशस में अपना कार्यक्रम देने जाते हैं। मॉरीशस में प्रोग्राम पेश कर चुके बिरहा गायक डॉ। मन्नू यादव के मुताबिक मॉरीशस के घर घर में बिरहा की पहुंच हो गयी है। इसको सुनने के लिए बड़े बड़े आयोजन होने लगे हैं।



बिरहा गाने वालों की कमी नहीं

वैसे बिरहा गाने वालों की लंबी लिस्ट है। लगभग पूर्वांचल के हर एरिया में बिरहा गाने वाले मिल जाएंगे। बनारस में भी बिरहा गाने वालों की संख्या कम नहीं है। इनमें कई नाम हैं। बुलानाला निवासी बिहारी गुरु ने जहां इसको मजबूती प्रदान की वहीं हीरा लाल यादव, बुल्लू यादव, मंगल यादव व खरपत्तू ने इसको आगे बढ़ाया। वर्तमान पीढ़ी इसको नयी ऊंचाई देने में जुटी हुई है। इसमें कई पढ़े लिखे लोगों का भी नाम शामिल है।लेडिज भी बिरहा गायकबिरहा गायक हीरालाल यादव का कहना है कि कभी जेंट्स तक सीमित रही गायकी की इस शैली में आज लेडिज का भी दखल है। इनकी संख्या एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों में है। बनारस से लेकर बिहार तक इनका बोलबाला है। बड़े बड़े आयोजनों में ये बढ़ चढक़र हिस्सा ले रहीं हैं। समय के साथ विरह के गीत का रुप भी चेंज हो गया है। आज बिरहा में सोशल इश्यू हावी हैं। दहेज, बाल विवाह, महिलाओं का शोषण, प्रशासनिक गड़बडिय़ां, पुलिसिया उत्पीडऩ, सामाजिक कुरीतियां व राजनीतिक मुद्दे खास होते हैं। हाल फिलहाल की घटनाओं को गायकी के थ्रू उपस्थित लोगों को मैसेज दिए जाते हैं।

Posted By: Inextlive