देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में जानी जाने वाली इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी का आज जन्‍मदिन है। 19 नवम्बर 1917 को जन्‍मीं इंदिरा गांधी देश में आज भी आयरन लेडी के रूप में पहचानी जाती हैं। आज इस दुनिया में न होते हुए भी वह दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में शामिल हैं। उन्‍होंने देशहित में बिना घबराए कई बड़े फैसले लिए। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने 1980 में पाकिस्तान की परमाणु हथियार क्षमता कम करने के लिए उसके परमाणु प्रतिष्ठानों पर सैन्य हमले पर विचार किया था। ऐसे में आइए जानें इस विशेष दिन पर इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़ी खास बातें....


परवरिश राजनीतिक माहौल मेंतेज तर्रार और बहुमुखी प्रतिभी की धनी इंदिरा गांधी का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। वह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इकलौती बेटी थीं। इनके दादा का नाम मोतीलाल नेहरू था। नेहरू ख़ानदान में जन्म लेने वाली इंदिरा की परवरिश राजनीतिक माहौल में हुई थी। शिक्षा के बेहतर इंतजामएक शानदार महल और बड़े खानदान में जन्म लेने वाली इंदिरा का जीवन काफी उतार चढ़ाव वाला रहा। उनकी शिक्षा काफी कठिन माहौल में हुई। घर पर दिन रात राजनीतिक हस्ितयों का आना जाना बना रहता था, लेकिन बाद में घर पर उनकी रुचि को देखते हुए शिक्षा के बेहतर इंतजाम हुए। राजनीति में पूरी तरह उतरीं


इंदिरा भी राजनीति में काफी रूचि लेती थी। इस दौरान उन्होंने 1942 में अपनी जिंदगी को लेकर बड़े फैसले लिए। उन्होंने पारसी युवक फ़ीरोज़ गांधी से विवाह रचाया। इंदिरा को संजय गांधी और राजीव गांधी के रूप में दो बेटे हुए। ऐसे में पति की असमायिक मृत्यु के बाद उन्हें राजनीति में पूरी तरह से उतरना पड़ाशीषर्क के दस्तावेज में

हाल ही में सीआईए ने दावा किया है कि 8 सितंबर 1981 के ‘पाकिस्तान में परमाणु विकास पर भारत की प्रतिक्रिया’ शीषर्क के दस्तावेज में यह बात सामने आई है कि इंदिरा पाक की परमाणु क्षमता को कम करने के प्रयास में थीं। जब अमेरिका पाक को लड़ाकू विमान एफ 16 बेचने के अंतिम चरण में था।खुलासे से लोग चौकेंयह भी दावा किया कि मई में भारत ने 40 किलोटन परमाणु परीक्षण के लिए तैयारियां पूरी कर ली थीं। भारत को पाकिस्तान के संभावित परीक्षण के करीब एक सप्ताह बाद डिवाइस में विस्फोट करना था। सीआईए के इन खुलासे एक आयरन लेडी को लेकर पूरी दुनिया चौक गई।गोली मारकर हत्या 1984 में स्वर्ण मन्दिर पर हमला हुआ था। ऐसे सिख समुदाय में गुस्से की आग धधक रही थी। जिसके चलते करीब 5 महीने बाद 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिक्ख अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

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Posted By: Shweta Mishra