18 मार्च 1938 में कोलकाता में जन्‍में बॉलीवुड के वेटर्न एक्‍टर शशि कपूर आज अपना 78वां जन्‍मदिन मना रहे हैं। बॉलीवुड जगत में इनकी फिल्‍मों और अदाकारी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। चार दशकों तक इन्‍होंने अपनी अदाकारी का जमकर जादू चलाया। कभी दर्शकों को हंसाया तो कभी रुलाया तो कभी रोमांस से भर दिया। वैसे इस पांवदान तक पहुंचाना भी शशि कपूर के लिए कोई आसान काम नहीं था। उनके लिए ये एक संघर्ष भरी राह थी। ऐसा इसलिए क्‍योंकि इनके पिता चाहते थे कि वह बिना किसी मदद के अपनी मंजिल तक पहुंचें।

पिता ने दिखाई संघर्ष की राह
बचपन से ही शशि कपूर अभिनय को लेकर काफी गंभीर थे। वह खुद को एक अभिनेता के तौर पर स्थापित करना चाहते थे। इस क्रम में अगर इनके पिता पृथ्वीराज चौहान चाहते तो इनकी पूरी मदद कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया। पृथ्वीराज चाहते थे कि शशि कपूर खुद से संघर्ष करें और सफल अभिनेता बनें।
ऐसा बढ़ा सफर बचपन से युवावस्था की ओर
शशि कपूर का असली नाम बलबीर राजकपूर था। इन्होंने अपनी पढ़ाई मुंबई के डॉन बास्को स्कूल से पूरी की। बचपन से ही एक्टिंग का शौक होने के कारण स्कूल में ही वो नाटकों आदि में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे। इसके बाद एक्टिंग के मामले में ये असल मंजिल पर पहुंचे अपने पिता के 'पृथ्वी थिएटर्स' से।
नाट्य मंडली में किया अभिनय शुरू
इन सबके बाद शशि कपूर ने पिता की नाट्य मंडली से अभिनय करना शुरू कर दिया। अभिनय करियर की शुरुआत इन्होंने वर्ष 1944 में पृथ्वी थियेटर के नाटक 'शकुंतला' से की। वैसे अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत इन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में ही कर दी थी। एक बाल कलाकार के रूप में इन्होंन फिल्म 'आग' (1948) और 'आवारा' (1951) जैसी फिल्मों में काम किया। इन फिल्मों में इन्होंने अपने बड़े भाई राज कपूर के बचपन की भूमिका निभाई।

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Posted By: Ruchi D Sharma