भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से भाजपा के संबंध बिगड़ते जा रहे हैं. जहां पहले आडवाणी और भाजपा में भोपाल को लेकर बहस चली तो वहीं अब पार्टी के एक और दिग्गज जसवंत सिंह की बाड़मेर को लेकर खींच-तान चल रही है.


पहली सूची में टिकट नहीं
भाजपा के दिग्गज नेता जसवंत सिंह को पार्टी प्रत्याशियों की पहली सूची में टिकट नहीं मिल पाया है. वे अपने पैतृक क्षेत्र बाड़मेर से चुनाव लड़ना चाहते है, लेकिन पार्टी ने अभी तक उनकी उम्मीदवारी की घोषणा नहीं की है. बाड़मेर से चुनाव लड़ने की इच्छा उन्होंने पार्टी आलाकमान को करीब एक साल पहले ही बता दी थी और वे क्षेत्र का दौरा भी कर रहे है. उन्होंने 24 मार्च को नामांकन पत्र दाखिल करने की घोषणा भी कर दी. जसवंत सिंह के विधायक बेटे मानवेन्द्र सिंह पिछले दो माह से बाड़मेर संसदीय क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर अपने पिता के लिए चुनावी आधार तैयार करने में जुटे है, लेकिन पहली सूची में जसवंत सिंह का नाम नहीं होने से उनके समर्थकों में निराशा है. आज दिन मे जसवंत सिंह समर्थक नेताओं ने बाडमेर में बैठक कर इस बात पर भी विचार किया कि यदि पार्टी टिकट नहीं देती है तो निर्दलिय चुनाव लड़ने पर क्या परिणाम रहेंगे. जसवंत सिंह ने टेलिफोन पर अपने समर्थकों से बात भी की है. सोनाराम को दिलवाना चाहते हैं टिकट


भाजपा ने काफी विचार-विमर्श के बाद 25 में से 21 सीटों पर प्रत्याशी बुधवार रात घोषित कर दिए. लेकिन इनमें बाड़मेर का नाम नहीं था. दरअसल बाड़मेर से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक और कुछ आरएसएस के पदाधिकारी तीन दिन पहले ही कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए विधायक और पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम को टिकट दिलवाना चाहते है. इनका तर्क यह है कि सोनाराम को टिकट दिए जाने से भाजपा को चार संसदीय सीटों पर फायदा होगा क्योंकि सोनाराम का जाट समाज में काफी प्रभाव है. जसवंत सिंह बाड़मेर से लंबे समय तक सांसद रहे, लेकिन पिछले चुनाव में उन्होंने दार्जलिंग से चुनाव लड़ा था.जाती कार्ड का यूज

इधर, कांग्रेस और भाजपा की ओर से अब तक घोषित प्रत्याशियों में पैराशूटर और जातिवाद को तवज्जो दी है. कांग्रेस ने जहां अब तक कुल 25 में से 23 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है. वहीं भाजपा ने 21 प्रत्याशियों को टिकट दिया है. काग्रेस ने जहां पैराशूटर पूर्व क्रिकेटर अजहरूद्दीन को टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय सीट से टिकट दिया. वहीं भाजपा ने भी इसी सीट से हरियाणा के सुखवीर सिंह जौनपुरिया को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि दोनों का ही विरोध हो रहा है. कांग्रेस ने जहां सेलिब्रिटी के नाम पर अजहर को टिकट दिया. वहीं भाजपा ने जयपुर ग्रामीण सीट से ओलिंपियन राज्यवर्धन सिंह को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही सूची में जाति कार्ड भी खेला गया है. दोनों ही दलों ने जाटों को सबसे अधिक तवज्जो दी है. कांग्रेस ने छह और भाजपा ने पांच सीटों पर जाट प्रत्याशी उतारे है. भाजपा तीन और कांग्रेस ने चार राजपूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने भाजपा के मुकाबले ब्राह्मण उम्मीदवारों पर अधिक भरोसा जताया है. कांग्रेस तीन, वहीं भाजपा ने दो ब्राह्मण उम्मीदवार मैदान में उतारे है. भाजपा ने महंत चांदनाथ के रूप में यादव उम्मीदवार को टिकट दिया, वहीं कांग्रेस ने इस जाति के किसी भी नेता को टिकट नहीं दिया. भाजपा का मानना है कि महंत चांदनाथ का हरियाणा में भी प्रभाव है और इसका भाजपा को फायदा मिलेगा. चांदनाथ के हरियाणा में दो आश्रम है. मुस्लिमों को एक भी टिकट नहीं
तीन माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को उम्मीद से अधिक समर्थक देने वाले मुस्लिम समाज को इस बार लोकसभा चुनाव में पार्टी ने एक भी टिकट नहीं दिया, वहीं कांग्रेस ने एक टिकट दिया है. गौरतलब है कि विधान सभा चुनाव में भाजपा ने 16 मुस्लिमों को टिकट दिए थे, इनमें से 8 चुनाव जीते और कांग्रेस ने 8 टिकट दिए और एक भी नहीं जीता. इधर सीकर में भाजपा नेताओं ने आज सुमेधानन्द की उम्मीदवारी का विरोध किया. Hindi news from National news desk, inextlive

Posted By: Subhesh Sharma