कालेधन पर गठित एसआईटी ने सख्‍त रूख अपनाने का निर्देश दिया है। उसने मुखौटा कंपनियों के जरिये हो रहे हवाला कारोबार पर रोक के लिए कहा है। इस संबंध में कर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय को सुझाव दिया है कि एक ही पते से परिचालन कर रही कंपनियों पर पैनी नजर रखी जाए। इसके साथ ही उनकी ओर से दी जाने वाली सूचनाओं पर भी नजर रखना बेहद जरूरी है।


सख्ती से निरीक्षण किया जाएकालेधन पर गठित एसआईटी ने इस दिशा में सख्त रुख अपनाया है। उसने हाल ही में कालेधन पर अपनी तीसरी रिपोर्ट 'मुखौटा कंपनियों और लाभकारी स्वामित्व' पेश की है। जिसमें एसआईटी ने मुखौटा कंपनियों में शामिल लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का सुझाव भी दिया है। (मुखौटा कंपनियां वे इकाइयां होती है जिनकी स्थापना केवल धन को इधर-उधर भेजने के लिए की जाती है।) इस संबंध में  एसआईटी ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), केंद्रीय उत्पाद एवं  सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) और प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) को भी सलाह दी है। उसने इन निदेशालयों से आग्रह किया है कि वे ऐसी कंपनियों की ओर से दी जाने वाली हर जानकारी पर सक्रियता दिखाएं। वे जो भी सूचना देती हैं उनका बिल्कुल सख्ती से निरीक्षण किया जाए।20-20 से अधिक कंपनियां
अपनी तीसरी रिपोर्ट में एसआईटी ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) और प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) से आग्रह किया है उन्हें एलर्ट होना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही रिपोर्ट में ऐसे 2,627 लोगों का उल्लेख है किया है, जो 20 से अधिक कंपनियों में निदेशक पर पर तैनता हैं। इतना ही नहीं लगभग 345 ऐसे पते लिखे मिले हैं जहां पर एक एक पते से करीब 20-20 से अधिक कंपनियां चलाई जा रही हैं। इसके अलावा और भी ऐसी कई बड़ी खामियां पाई गई हैं जिनमें कंपनी कानून 1956 की धारा 275 के प्रावधानों के तहत लगभग उल्लंघन करते पाया गया है। इसमें करीब 77,696 कंपनियां शामिल हैं।

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Posted By: Shweta Mishra