रियलिटी चेक

- बच्चों को आयरन गोलियां खिलाने का था फरमान

- शासनादेश हवा-हवाई स्वास्थ विभाग नहीं बांट रहा गोलियां

- चाइल्ड हेल्थ ग्रेजुटी प्लान के तहत बच्चों को मिलनी थी दवाई

Meerut । स्टेट हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से एक साल पूर्व की शुरू की गई आशीर्वाद योजना धरातल पर धड़ाम रही। चाइल्ड हेल्थ ग्रेजुटी प्लान के अंतर्गत शुरू आशीर्वाद योजना के अंतर्गत न तो स्कूली बच्चों के स्वास्थ का चेकअप हो पाया और न ही दवाई ही मिल पाई।

यह है योजना

चाइल्ड हेल्थ ग्रेजुटी प्लान के तहत एनीमिया से पीडि़त बच्चों को आयरनफोलिक टैबलेट दी जानी थी। योजना के पहले चरण में प्राथमिक, जूनियर और हाई स्कूलों के बच्चों का को शामिल किया गया था। जबकि दूसरे चरण में सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल, वोकेशनल स्कूल्स, लेबर डिपार्टमेंट और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट द्वारा चलाए जा रहे स्कूल्स, अनाथालय, मदरसे और किशोर घरों में पढ़ने वाले बच्चों को कवर किया जाना था। वहीं योजना के तीसरे चरण में एक से छह साल तक के बच्चों को शामिल किया जाना था।

स्वास्थ का रखना था ख्याल

योजना के अंतर्गत इन बच्चों के स्वास्थ्य की जांच आंगनबाड़ी कार्यकताओं की मदद से स्कूलों में आयोजित की जानी थी। वहीं छह साल से ज्यादा की उम्र के बच्चों को पहचानने और स्वास्थ्य लाभ देने के लिए गांवों में मौजूद आशाओं की मदद ली जानी थी। कंस्ट्रक्शन साइट्स, ईट-भट्ठा, बंजारे व घुमक्कड़ प्रजातियों के लिए चिकित्सक व एक नर्सिग और एक पैरामेडिकल स्टाफ की टीमों को इन बच्चों के जांच की जिम्मेदारी दी गई थी।

इनको मिली थी जिम्मेदारी

योजना में 20 ब्लॉक के सभी बच्चों को कवर किया जाना था। योजना को सफल बनाने के लिए शिक्षकों, बीएसए, एबीएसए, डीआईओएस, डीसी सर्व शिक्षा अभियान और डायरेक्टर मिड डे मील सहित अन्य सरकारी विभागों को जिम्मेदारी दी गई थी। जबकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी की सहायता लेने का भी प्रावधान था। इसके चलते एक माह में दो बार बच्चों का हेल्थ चेकअप किया जाना था, जिसकी रिपोर्ट सीएमओ को दी जानी थी।

कहां गया बजट

योजना के अंतर्गत जिले में हर साल 10 लाख रुपए का बजट आना था। इस बजट से बच्चों को आयरन की दवाई खिलाई जानी थी। अब जबकि योजना केवल स्वास्थ विभाग की फाइलों तक ही सिमट कर रह गई। ऐसे में योजना को लेकर आए बजट के साथ क्या हुआ यह एक बड़ा सवाल है।

वर्जन

गांव में हेल्थ द्वारा किसी तरह का कोई कैंप नहीं लगाया गया। प्राइमरी स्कूलों में भी स्वास्थ विभाग की टीम ने बच्चों का कोई चेकअप नहीं किया।

राजेन्द्र पहलवार, ग्राम प्रधान पाली

योजना की कोई जानकारी नहीं है और न ही स्वास्थ विभाग इससे संबंधित को सूचना दी है। गांव के स्कूलों में विभाग की ओर से कोई दवाई वितरित नहीं की गई।

विलियम चौधरी, ग्राम प्रधान भीष्मनगर

बच्चों को दवाई वितरित करने स्वास्थ विभाग की कोई टीम गांव में नहीं पहुंची। स्कूलों में भी बच्चों को कोई किसी तरह की दवाई नहीं दी गई।

विनोद गुर्जर, पूर्व प्रधान निढ़ावली

योजना के अंतर्गत कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में सीएचसी और पीएचसी स्तर पर दवाई खिलाई जा रही है। शहर में भी स्कूलों आदि कैंपों का आयोजन किया जाता है।

डॉ। सुनील कुमार गुप्ता, एसआईसी

Posted By: Inextlive