-चार साल की उम्र में आंखों की रौशनी गंवाने के बाद खुद को इंप्रूव करने का लिया संकल्प

-2009 में हिमालय की 16,500 फीट ऊंची चोटी पर पहुंचे जमशेदपुर के सूर्यकांत तिवारी

-ऑर्केस्ट्रा ग्रुप में तबला वादक के रूप में देश भर में दे रहे हैं प्रोग्राम

RANCHI: कहा जाता है कि हौसले बुलंद हों, तो कोई बीमारी किसी की सफलता में बाधक नहीं बन सकती। इसे सच कर दिखाया है जमशेदपुर के रहनेवाले ख्भ् वर्षीय सूर्यकांत तिवारी ने। चार साल की उम्र में बीमारी के कारण आंखों की रौशनी गंवा चुके सूर्यकांत तिवारी की पहचान आज हिमालय की क्म्,भ्00 फीट ऊंची चोटी फतह करने वाले पर्वतारोही के रूप में है। फिलहाल, सूर्यकांत तिवारी जमशेदपुर में ही एक ब्लाइंड ऑकेस्ट्रा ग्रुप के साथ जुडे़ हुए हैं, जिसके प्रोग्राम में वह तबला बजाते हैं। आज सूर्यकांत तिवारी की सिर्फ जमशेदपुर ही नहीं, बल्कि झारखंड सहित देश भर में मिसाल दी जा रही है।

बगैर छड़ी कहीं भी आ-जा सकते हैं

ख्009 में हिमालय फतह करने वाले सूर्यकांत तिवारी चार साल पहले ही पर्वतारोही बछेंद्री पाल के संपर्क में आए थे। फिर अपनी मेहनत व लगन से खुद को इंप्रूव कर दिखाया। आज वह किसी के मोहताज नहीं, बल्कि उनकी मिसाल दी जा रही है। सूर्यकांत तिवारी ने ब्लाइंड क्षेत्र में मूवेबल ट्रेनिंग कोर्स किया है। इसकी बदौलत वह आज देश भर में सैर कर सकते हैं। वह भी अकेले और बिना किसी सहारे के। इस काम के लिए उन्हें एक संस्था द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। इन्होंने अपने अंधेपन को मात देते हुए महज तीन साल के दौरान ही कंप्यूटर डिप्लोमा समेत कई कोर्सेज किए हैं।

बैंकिंग या रेलवे में जाना लक्ष्य

बकौल सूर्यकांत तिवारी जब वे चार साल के थे, तभी एक बीमारी में उनकी आंखों की रौशनी चली गई। परिजनों ने उनका ऑपरेशन चेन्नई के शंकर नेत्रालय में कराया, लेकिन पांच साल इलाज चलने के बाद भी उनकी आंखों की रौशनी वापस नहीं आई। तब इन्होंने खुद को बदलने का संकल्प लिया और आज अपने परिवार व समाज के सिरमौर बने हुए हैं। सूर्यकांत के मुताबिक, वह ग्रेजुएशन कंप्लीट कर बैंकिंग या रेलवे के क्षेत्र में जाना चाहता है, ताकि वह खुद में आत्मनिर्भर बन सकें।

Posted By: Inextlive