केजीएमयू शुरू होगी मालीक्यूलर टेस्ट

केजीएमयू में इंडियन सोसाइटी ऑफ हिमैटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ओर से कार्यशाला का आयोजन

LUCKNOW: ब्लड कैंसर के ट्रीटमेंट नई नई दवाएं मार्केट में आ रही हैं लेकिन सभी प्रकार के ब्लड कैंसर का इलाज एक जैसा नहीं होता। इसलिए कीमोथेरेपी के स्थान पर टारगेट थेरेपी से दवाएं शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालती हैं। ब्लड कैंसर अब लाइलाज नहीं है और इसे जड़ से ठीक किया जा सकता है। यह जानकारी शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में इंडियन सोसाइटी ऑफ हिमैटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ओर से आयोजित कार्यशाला में क्लीनिकल हिमैटोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। एके त्रिपाठी ने दी।

प्रो। एके त्रिपाठी ने बताया कि चार लोगों केअंदर कोई ब्लड से संबंधित बीमारी है तो उनके व्यवहार भी अलगहोंगे। अब इसका पूरा इलाज संभव है। इलाज में न तो अब किडनी और हड्डी प्रभावित नहीं होती है न ही बाल झड़ते हैं। इसमें मरीज को भर्ती करने की भी जरूरत नहीं होती। क्रोनिक माइलोजेनस ल्यूकेमिया के मरीज ज्यादातर 20 से 30 साल की उम्र के हैं। यही नहीं लगातार बढ़ रहे पेस्टीसाइड और इंसेक्टीसाइड के यूज के कारण एप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। यह डिजीज विटामिन बी 12 की कमी के कारण होता है। मरीजों के बढ़ने के कारण अब ऐसे मरीजों के लिए रोजाना ओपीडी संचालन का निर्णय लिया गया है।

पूरे शरीर में फैलता है कैंसर

इस बीमारी में खून की कोशिकाएं अप्रत्याशित रूप से बढ़ने लगती हैं और इनके आकार में भी चेंजेज आते हैं जिससे बॉडी की इम्युनिटी भी कमजोर हो जाती है। इसमें बार बार गला खराब होने की भी काफी शिकायत होती है। यह कैंसर उस समय अधिक खतरनाक हो जाता है जब कैंसर सेल्स अनियंत्रित होकर फैलने लगी हैं और अन्य स्वस्थ्य सेल्स को भी अपनी चपेट में ले लेती हैं।

Posted By: Inextlive