-खुद से आकर ब्लड डोनेट करने की अपील

-थैलेसीमिया के मरीजों को हो सकती है दिक्कत

खून का दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए खून केवल और केवल ब्लड डोनेशन से ही आ सकता है। राजधानी के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स समेत सभी हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में ब्लड की कमी हो गई है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को खून समय पर नहीं मिल पा रहा है। वहीं खून के लिए डोनर का इंतजाम करने के अलावा दूसरा चारा नहीं है। क्त्राइसिस में थैलेसीमिया मरीजों को भी दिक्कत झेलनी पड़ सकती है। यह देखते हुए सरकार ने भी लोगों से खुद पहल करने को कहा है, ताकि ब्लड बैंक में जरूरत का खून उपलब्ध हो सके। इतना ही नहीं, मरीजों की जान भी बचाई जा सके। थैलेसीमिया के मरीजों को हफ्ते में दो बार ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा सर्जरी वाले मरीज और डिलीवरी के समय महिलाओं को भी खून की जरूरत पड़ती है।

बिना डोनर ब्लड नहीं

बिना डोनर के खून देने पर फिलहाल रोक है। केवल इमरजेंसी वाले मरीजों को ही बिना डोनर के खून दिया जा रहा है। बाकी मरीजों को डोनर की व्यवस्था करने को कहा गया है। चूंकि लॉक डाउन की स्थिति में कहीं भी ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लगाया जा सकता। ऐसी स्थिति में ब्लड बैंक में भी लोग नहीं आ पा रहे हैं। अब तो खुद से आने वाले लोग ही जरूरतमदों के लिए सहारा बन सकते हैं।

कमी के कारण वेबसाइट अपडेट नहीं

राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में मॉडल ब्लड बैंक है, जहां एक समय में 800 यूनिट तक ब्लड अवेलेबल था। लेकिन आज स्थिति यह है कि नाममात्र का ही ब्लड बचा है। वहीं लगातार कई दिनों से यह कमी देखी जा रही है। यही वजह है कि ब्लड की उपलब्धता की जानकारी वेबसाइट पर भी अपडेट नहीं की जा रही है। हालांकि, सदर हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में कुछ यूनिट ब्लड अवेलेबल है। इसमें ओ निगेटिव और एबी निगेटिव ग्रुप का खून ही नहीं है। वहीं बी और ए निगेटिव का एक-एक यूनिट ही खून बचा है।

Posted By: Inextlive