लखनऊ पहुंची ब्लू व्हेल, छात्र का किया शिकार!
Lucknow: mayank.srivastava@inext.co.in
इंडिया में तेजी से पैर पसार रहे खतरनाक गेम ब्लू व्हेल ने राजधानी में एक आठवीं के स्टूडेंट को अपना शिकार बना लिया। गाजीपुर थाना क्षेत्र के इंदिरा नगर डी ब्लॉक में रहने वाले छात्र ने ब्लू गेम के चंगुल में फंस गुरुवार को फांसी लगाकर जान दे दी। परिजनों के अनुसार पिछले एक सप्ताह से वह मोबाइल फोन पर गेम खेल रहा था। साल भर पहले आया था लखनऊमूल रूप से हरदोई निवासी रूपेश कुमार सिंह पेशे से वकील हैं। परिवार में उनकी पत्नी अरुणा सिंह और बेटा आदित्य वर्धन सिंह (14) है। करीब साल भर पहले अरुणा आदित्य को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए उद्देश्य से हरदोई से लखनऊ लेकर आई थीं। वह इंदिरा नगर के डी ब्लॉक 1529 में अपने पिता उदय प्रकाश सिंह के साथ रह रही थीं। उदय प्रकाश का एक पब्लिकेशन हाउस है जिसमें अरुणा भी काम करती हैं। घर में उदय प्रकाश उनकी पत्नी सरला सिंह, अरुणा और उनका बेटा आदित्य रहते थे।
आदित्य के एग्जाम चल रहे थेआदित्य के नाना उदय प्रकाश सिंह ने बताया कि खुर्रम नगर रिंग रोड स्थित निर्मला कॉन्वेंट स्कूल में उसका एडमिशन कराया गया था। आदित्य कक्षा 8 का छात्र था। आदित्य के एग्जाम चल रहे थे और शुक्रवार को उसका पेपर था। वह बुधवार शाम को नॉर्मल अपने दोस्तों के साथ घर के बाहर खेलता रहा। सुबह रोज की तरह उदय प्रकाश और उनकी बेटी अरुणा अपने पब्लिकेशन ऑफिस चले गए और घर में आदित्य के साथ उसकी नानी सरला सिंह मौजूद थी।
नानी ने देखा फंदे से लटकते हुए गुरुवार की दोपहर करीब एक बजे आदित्य अपने कमरे में अकेले ही था। मोटर बंद करने के लिए नानी सरला ने उसे आवाज लगाई। कोई जवाब न मिलने पर सरला उसके कमरे में पहुंची तो उसे फंदे से लटकते देखा। सरला ने शोर मचाकर आस-पास रहने वाले लोगों को बुलाया। पड़ोस में रहने वाले गुड्डू और विष्णु मौके पर पहुंच गए और आदित्य को फंदे से उतार कर इलाज के लिए इंदिरा नगर के शेखर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। हफ्ते भर से गेम में बिजी थाआदित्य के नाना उदय प्रकाश सिंह ने बताया कि आदित्य एक सप्ताह से मोबाइल फोन पर गेम खेल रहा था। कई बार उसे मोबाइल पर गेम खेलते देख मना किया जाता था। ज्यादातर समय वह अकेले में गेम खेलता था। नाना उदय प्रकाश और रिश्तेदारों ने बताया कि आदित्य की जान खतरनाक गेम के चलते ही गई है। क्योंकि आदित्य पर न तो पढ़ाई का कोई प्रेशर था और न ही परिवार का कोई दबाव। वह पढ़ाई में अव्वल था।
आदित्य पर पढ़ाई और अन्य कोई प्रेशर नहीं था। वह पढ़ाई में अव्वल था। वह पिछले एक सप्ताह से मोबाइल फोन पर गेम खेल रहा था। उसी गेम ने आदित्य की जान ली है।- उदय प्रकाश सिंह, मृतक के नाना 8वीं कक्षा में पढऩे वाले बच्चे ने फांसी लगाकर सुसाइड किया था। परिवार वालों ने पोस्टमार्टम न कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। परिजनों का कहना था कि बच्चा कई दिन से मोबाइल फोन पर कोई गेम खेल रहा था।- गिरिजा शंकर त्रिपाठी, इंस्पेक्टर गाजीपुर कैसा है ब्लू वेल गेम खतरनाक कारनामों के लिए यंग लोगों को उकसाने वाला ऑनलाइन गेम ब्लू व्हेल चैलेंज पिछले काफी समय से भारत में चर्चित है। लगभग 50 दिन तक चलने वाले इस खेल में खिलाड़ी को 50 टास्क करने होते हैं। जिनमें से कई में खुद को नुकसान भी पहुंचाना होता है। इंस्ट्रक्टर को भेजना होता है वीडियोखेल के आखिर में खिलाड़ी को करना होता है सुसाइड। इस पूरे खेल के दौरान खिलाड़ी को अपने सभी कारनामों के विडियो बनाकर उसका इंस्ट्रक्टर को भेजने होते हैं। दुनियाभर में इस चैलेंज की वजह से लगभग 130 मौतें हो हो चुकी हैं। भारत में भी कई यंगस्टर्स इसके चलते अपनी जान गंवा चुके हैं।
कैसे हुई शुरुआत - खेल की शुरुआत 2013 में रूस से हुई- सोशल नेटवर्किंग साइट के एक ग्र्रुप को जिसे डेथ गेम कहा जाता है- गेम की वजह से पहली मौत 2015 में रूस में हुई- रूस के एक स्टूडेंट फिलिप बुदेकिन ने गेम को बनाने का दावा किया।- फिलिप को 16 टीनेजर्स को खुदकुशी के लिए उसकाने के आरोप में उसे 3 साल की सजा सुनाई। क्या है ब्लू वेल का मतलबब्लू वेल का संबंध वेल्स के सुसाइड से है। गहरे पानी में रहने वाले स्तनधारी जीव जब बीच पर चले जाते हैं। वहां उनकी डिहाइड्रेशन के चलते वजन या हाई टाइड की वजह से मौत हो जाती है। ये गेम भी हैं खतरनाकघोस्ट पेपर चैलेंजइस खेल में दुनिया की सबसे तीखी मिर्च 'भूत जोलोकियाश’ का इस्तेमाल किया जाता है। इसे मुंह में रखना होता है। इसकी वजह से कई बार लोगों को अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
सिनमन-इलायची चैलेंजइसमें चम्मच भर इलायची बिना पानी के निगलनी होती है। इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत के चलते कई बार लोगों की मौत हो तक हो जाती है। चोकिंग चैलेंजलोग नशा करने की जगह खुद का गला दबाकर यूफोरिया या नशे के असर जैसा फील करने लगते हैं। इसमें गला दबाने से ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है जिससे व्यक्ति को कुछ देर के लिए यूफोरिया फील होता है। माना जाता है कि इसके चलते हर साल में 250 से 1000 जानें चली जाती हैं। आइस एंड सॉल्ट चैलेंजइसमें पहले अपने शरीर पर नमक डालना होता है और इसके तुरंत बाद उस जगह पर बर्फ रखनी होती है। इससे जलने जैसा महसूस होता है। इसको जीतने के लिए सबसे लंबे समय तक दर्द को बर्दाश्त करना होता है। कार सर्फिंग चैलेंजइसमें किसी सोफा, स्केटबोर्ड या किसी ऐसी चीज पर चलती गाड़ी की छत या हुड पर बैठना होता है। इसकी वजह से कई लोगों की मौतें हुई है। पेरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान अगर आपका बच्चा किसी गेम के जाल में फंस रहा है तो समय रहते बचा सकते हैं। पैरंट्स को कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। - बच्चों के दोस्त बनें। बच्चों की उम्र का बनकर उनकी जिंदगी का हिस्सा बनें।- उन्हें छोटी छोटी बात पर न टोकें। अगर आप टोकेंगे तो वे आपको अपने मन की बात नहीं बताएंगे।- उनसे बातचीत करें। उनके दोस्तों, शौक आदि के बारे में जानें, लेकिन ऐसे अंदाज में कि आप बातचीत कर रहे हैं, ना कि पूछताछ।- बच्चों को ना कहना सिखाएं। उन्हें बताएं कि उन्हें ऐसा कोई भी काम करने की जरूरत नहीं है, जो उन्हें असुरक्षित या असहज महसूस कराए। - उनके फैसलों का सम्मान करें। उनके डर को सुनें और उससे निकलने में उनकी मदद करें। - देखें कि बच्चा कितना समय इंटरनेट पर बिता रहा है, कैसे गेम खेलता है। कौन कौन से प्रोग्राम देखता है। - बच्चे के लिए गैजेट इस्तेमाल करने का टाइम तय करें। अगर लगता है कि बच्चा कुछ गलत देख रहा है तो उस साइट को ब्लॉक कर दें या एप को डिलीट कर दें। - खुद भी मोबाइल, इंटरनेट, टीवी आदि पर ज्यादा समय न बिताएं। गैजट के साथ और गैजट फ्री के तौर पर टाइम को बांटे, मसलन कब गैजट इस्तेमाल कर सकते हैं और कब नहीं, यह नियम बनाएं। - पैरंट्स खासकर पिता का बच्चों के साथ समय बिताना जरूरी है। बेहतर होगा कि दोनों साथ में खेलें।अगर बच्चों में कुछ अजीब लक्षण नजर आएं तो उसे डाटें नहीं। डॉक्टर की मदद लें इन लक्षण पर रखे विशेष ख्याल अगर बच्चा कोई खतरनाक गेम खेल रहा है या फिर किसी गलत काम में शामिल है तो कुछ लक्षणों के आधार पर आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं- बहुत गुस्सा करना- चिड़चिड़ा रहना- ज्यादा मूड स्विंग्स होना- कमरे में बंद रहना- खाना छोड़ देना- देर रात तक जागना- किसी से बात नहीं करना- गुमसुम रहना- बहुत जिद करना- हिंसक हो जाना- पढ़ाई से मन चुराना- स्कूल जाने से बचना- क्लास में टीचर को तंगNational News inextlive from India News Desk