- हादसे के हीरो बने गोताखोर राजेंद्र साहनी

- अथाह गंगा में अपनी बंसी से खोज निकाले शव

PATNA : इनके पास न तो एनडीआरएफ जैसी स्पीड बोट है, न ही लाइफ जैकेट। लेकिन नाव हादसे के बाद शवों को निकालने और कई को सकुशल बचाने का क्रेडिट इनके नाम है। ये हैं गोताखोर राजेंद्र साहनी। मछुआरों वाली साधारण आउटफिट में ऐसा जोश और दमखम कि ख् घंटे में ही ख्0 बॉडी निकालकर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के सैकड़ों लोगों की टीम को भौंचक कर दिया।

बिना लाइट जारी रखा ऑपरेशन

राजेंद्र बताते हैं कि वे रात में ठीक से सो भी नहीं पाए। देर रात तक बिना लाइट के ही सर्च ऑपरेशन करते रहे। जब एनडीआरएफ ने अपना ऑपरेशन रोक दिया तब भी उनकी टीम बॉडी खोजने में लगी रही।

शाम 7 बजे से एक्शन शुरू

हादसे के बाद जब लोग गमगीन हो गैर जिम्मेदार प्रशासन पर अफसोस जता रहे थे, तभी राजेंद्र क्9 साथियों के साथ नदी में एक्शन में उतर आए। अपनी साधारण स्टीमर और एक अनोखे बंसी के सहारे ही रेस्क्यू को अंजाम दिया। जब एनडीआरएफ के जवान शूट पहनकर पानी में खाक छान रहे थे, उस वक्त राजेंद्र ने पानी में उतरे बिना ही बॉडी को निकालने का कारनामा शुरू कर दिया। देखते ही देखते उनकी टीम ने एक- एक कर बॉडी को निकालना शुरू कर दिया।

फ्भ् साल में गंगा के बादशाह

बालू घाट निवासी राजेंद्र पेशे से मछुआरे हैं और फ्भ् साल के जिला प्रशासन के लिए गोताखोरी का काम करते हैं। उन्होंने अपने जीवन में अब तक सौ से भी अधिक लाशें गंगा से निकाली हैं। उन्होंने बताया कि कच्ची दरगाह घाट में जब घटना हुई थी उस समय भी ख्0 लाशें निकाली थी। फिर दमरीहाई घाट से क्भ् साल पहले क्भ् लाशें और नारियल घाट हादसे के समय भी ख्0 लाश निकाली थीं। इसके अलावा कई लाश गंगा से निकाल चुका हूं।

हादसे की वजह

उन्होंने बताया कि लोग डैमेज नाव में सवार हो गए। नाव का इंजन खराब होने लगा और वह पानी में डूबने लगा। डैमेज नाव पानी में नहीं उतरता तो शायद ऐसा हादसा देखने को नहीं मिलता।

Posted By: Inextlive