भारतीय स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर बात कर लेते हैं बॉलीवुड की. वो कौन सी बातें हैं जिन्होंने बॉलीवुड को ग़ुलाम बनाया है और जिनसे इसे चाहिए आज़ादी. फ़िल्म समीक्षक नम्रता जोशी के मुताबिक़ बॉलीवुड को कुछ बातों से फ़ौरन आज़ादी चाहिए.


1. सौ करोड़ की रेसबॉलीवुड को सौ करोड़ के जुनून से आज़ाद होने की सख़्त ज़रूरत है. आजकल हर फ़िल्म से सौ करोड़ कमाने की उम्मीद की जा रही है.वहीं सच ये है कि तीन दिन में सौ करोड़ कमाने वाली फ़िल्मों को लोग 15 दिन में भूल जाते हैं.पिछले कुछ सालों पर नज़र डालें तो सिर्फ़ 'थ्री इडियट्स' ऐसी फ़िल्म थी जिसमे कमाई भी की और जिसे लोग आज भी याद रखते हैं.2. फूहड़ कॉमेडीकोई भी कुछ भी करने लगा है. इस बेतुकेपन से बॉलीवुड को चाहिए आज़ादी. हिमेश रेशमिया एक्टिंग करते हैं. सलमान ख़ान और आलिया भट्ट गाना गाते हैं.तकनीक इतनी उन्नत हो गई है कि बेसुरे लोगों की आवाज़ भी सुनने लायक तो बन ही जाती है.लेकिन हमें तकनीक के इस्तेमाल से बनाई आवाज़ें नहीं चाहिए.


हिमेश रेशमिया एक्टिंग से पहले देख लें कि रोल कैसा है उस हिसाब से फिर एक्टिंग करें और मुमकिन हो तो एक्टिंग ही ना करें.4. आइटम नंबरहिंदी फ़िल्मों के लिए हिंदी ना जानने वाली हीरोइनों से आज़ादी चाहिए. कटरीना कैफ़ जैसी हीरोइन हैं जिनसे हिंदी आती ही नहीं.

लेकिन चूंकि वो सुंदर हैं तो बस चले जा रही हैं. हिंदी बोलती भी हैं तो ऐसे अंग्रेज़ी लहज़े में कि बस भगवान बचाए.6. रीमेकमज़बूत महिला के किरदार का घिसा पिटा चित्रण. इससे बॉलीवुड को आज़ादी चाहिए.महिला को मज़बूत दिखाना है तो ज़रूरी तो नहीं कि वो गन ही चलाए, आक्रामक हो, लोगों को गालियां दें.चाहे वो 'रामलीला' की दीपिका पादुकोण हों या 'मटरु की बिजली का मंडोला' की अनुष्का. सारे किरदार एक जैसे लगते हैं.आप महिला सशक्तिकरण को दूसरे तरीके से भी दिखा सकते हो. मानसिक मज़बूती की बात कर सकते हो.

Posted By: Satyendra Kumar Singh