इलाहाबादी गांधीवादी हशमत के जीवन पर कुंभ नगरी में बनी थी फिल्म

अभिनेता परेश रावल के साथ ओमपुरी ने निभाई थी यादगार भूमिका

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ALLAHABAD: चरित्र अभिनेता के रूप में बालीवुड में कई दशकों तक अपनी अदाकारी का सिक्का चलाने वाले मशहूर अभिनेता ओम पुरी का जाना इलाहाबाद को अखर गया। अपने जीवन काल में इलाहाबाद से गहरा नाता रखने वाले लीजेंड्री एक्टर इलाहाबादियों के लिए कई यादें छोड़ गए। इसमें इलाहाबादी गांधीवादी हशमत उल्ला के जीवन पर आधारित अभिनेता परेश रावल के साथ अभिनीत फिल्म 'रोड टू संगम' सबसे ऊपर है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्मृति वाहन को तैयार करने में एक मुस्लिम गांधीवादी हशमत उल्ला भी भूमिका व समर्पण पर आधारित इस फिल्म को ओमपुरी व परेश रावल की अदाकारी ने अमरता प्रदान की।

हशमत के गांधीवाद ने जोड़ा नाता

इलाहाबाद संग्रहालय में आज भी सुरक्षित फोर्ड कम्पनी की वह कार गांधी स्मृति वाहन के रूप में जानी जाती है जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अस्थि कलश रखकर उसे संगम में प्रवाहित किया गया था। उसके बाद इसके बाद इस वाहन को नगर निगम में रख दिया गया था। यहां वर्षो तक खड़े रहने के कारण यह कंडम हो गया था। वर्षो बाद सरकार ने इसको इलाहाबाद की धरोहर के रूप में दुरुस्त कराने की कोशिश की। लेकिन फोर्ड कंपनी के इंजीनियरों के साथ ही रोडवेज विभाग के इंजीनियर्स ने भी इसे ठीक नहीं कर पाए। हीवेट रोड स्थित इलाहाबाद इंजीनियंरिंग व‌र्क्स के मालिक व गांधीवादी हशमत उल्ला ने वर्ष 2006 में इस वाहन को फिर से चालू हालत में लाने का बीड़ा उठाया।

प्रतापगढ़ के अपने शागिर्द के यहां से डायनमो व कीडगंज कबाड़ी मार्केट से कार्बोरेटर का इंतजाम किया और कड़ी मेहनत और लगन से दो माह में ही गांधी स्मृति वाहन को दोबारा चलाने के काबिल बना दिया। प्रखर गांधीवादी होने के नाते हशमत ने इसका कोई मेहनताना भी नहीं लिया। इसी के बाद से वह लाइम लाइट में आए।

फिल्म निर्देशक ने किया संपर्क

हशमत के इस योगदान का प्रसारण एक टीवी चैनल ने किया। उनका इंटरव्यू लिया। यह प्रसारण देखकर फिल्म निर्देशक अमित राय खासे प्रभावित हुए। उन्होंने कोलकाता से आकर हशमत से संपर्क किया और रोड टू संगम फिल्म की आधारशिला बनी। इसमें परेश रावल ने हशमत उल्ला का किरदार तो ओमपुरी ने एक मुस्लिम नेता की भूमिका निभाई।

इलाहाबाद इंजीनियरिंग व‌र्क्स में शूटिंग

प्रख्यात अभिनेता ओमपुरी के निधन की जानकारी मिलने पर हशमत उल्ला का परिवार पुरानी यादों में खो गया। डेढ़ साल पहले ही 18 जुलाई 2015 को हशमत का इंतकाल हुआ था। अब परिवार से करीबी रिश्ता रखने वाले ओमपुरी के जाने पर पूरा परिवार गमजदा है। फिल्म की यादें शेयर करते हुए हशमत के बेटे शफाक उल्ला ने बताया कि वर्ष 2008 में रोड टू संगम की शूटिंग संग्रहालय, संगम के साथ ही उनकी शॉप इलाहाबाद इंजीनियरिंग व‌र्क्स में हुई थी। शूटिंग के चलते दिसम्बर 2008 में उनकी शॉप में 20 दिनों तक कोई कार्य नहीं हुआ। सांप्रदायिक सौहार्द पर आधारित इस फिल्म की शूटिंग के दौरान सुबह दस से शाम छह बजे तक हीवेट रोड ब्लाक रहती थी। हशमत के तीसरे नम्बर के बेटे रिजवान ने बताया कि शूटिंग समाप्त होने के बाद निर्देशक अमित राय ने 20 दिन वर्कशाप में काम नहीं होने पर मुआवजे के तौर पर 20 लाख रुपए का चेक दिया। लेकिन पिताजी हशमत उल्ला ने लेने से इंकार कर दिया। कहा कि गांधीजी के विचार मेरे रग-रग में बसते हैं इसलिए नेक काम के लिए रुपया नहीं ले सकते।

Posted By: Inextlive