Ranchi :18 स्पीकर्स 18 व्यूज. सोच दुनिया को बदलने की. हौसला आसमान को छूने का. संडे को यह एनर्जेटिक एटमॉस्फियर था सेल ऑडिटोरियम में. मौका था आईआईएम रांची की ओर से आयोजित 'टेडेक्सÓ का. इस बार टेडेक्स का थीम था- बियॉन्ड कन्फॉर्मिटी. इसमें कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की. इनमें फेमस बॉलीवुड एक्ट्रेस दीया मिर्जा भी शामिल थीं जिन्होंने शराब की लत से छुटकारा दिलाने के तरीकों की पैरवी की. वहीं सिर्फ 12 साल की उम्र में बीएससी करनेवाले तथागत अवतार तुलसी ने एजूकेशन सिस्टम को बदलने की बात कही. इनके अलावा माकपा लीडर वृंदा करात व फेमस क्लासिकल सिंगर विजयालक्ष्मी सुब्रह्मïण्यम ने अपने व्यूज रखे.

 


 

Alcohol बीमारी है, इससे बचें

टेडेक्स में बतौर स्पीकर बॉलीवुड एक्ट्रेस दीया मिर्जा ने कहा- मैं जब नौ साल की थी, उस समय तक मुझे अल्कोहल के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। जब स्कूल में पढ़ती थी, उस समय भी नहीं बताया गया कि अल्कोहल क्या होता है और इससे क्या प्रॉŽलम होती है। कॉलेज में पढऩे के दौरान भी मुझे इसके बारे में कोई आइडिया नहीं था। पर, यह एक ऐसी बीमारी है, जिसे मैंने खुद झेला है। एक शख्स मेरे बहुत क्लोज थे। मैं उनकी बहुत रिस्पेक्ट करती थी। वह भी अल्कोहल के एडिक्ट थे और उस कारण उनको सोसाइटी में हमेशा इग्नोर किया जाता था। मुझे 14 साल की उम्र तक यह पता नहीं चल पाया कि उनको क्यों इग्नोर किया जाता है। बाद में जब मेरी एक दोस्त ने इस बारे में मुझे बताया, तो मुझे समझ में आया कि यह अल्कोहल एक डिजीज है, जिससे हर किसी को बचना चाहिए। मेरा मानना है कि स्कूल और कॉलेज लेवल से ही अगर इसको लेकर लोगों में अवेयरनेस स्प्रेड की जाए, तो अल्कोहल यूज करनेवालों की संख्या कम हो जाएगी।

मिलकर खत्म करें इस बीमारी को

दीया मिर्जा ने कहा- इंडिया में अल्कोहल यूज करनेवालों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। उसे रोकना बहुत जरूरी है। दूसरी कंट्रीज में अगर कोई अल्कोहल का एडिक्ट है और बाद में उसको छोड़ देता है, तो लोग उनको एप्रिशिएट करते हैं। लेकिन, इंडिया में ऐसे लोगों से नफरत की जाती है। हम सभी लोगों को मिलकर इसको दूर करना होगा। यह ऐसा एडिक्शन है, जिसे खत्म किया जा सकता है। बस, हम सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है।

पढ़ाई में उम्र को barrier न बनाएं

टेडेक्स में बतौर स्पीकर मौजूद महज 12 साल की उम्र में बीएससी करनेवाले तथागत अवतार तुलसी ने अपने एक्सपीरिएंसेज शेयर किए। उन्होंने कहा- जब मैं नौ साल का था, उस समय मैं बीएससी का मैथ्स बनाता था। जब मेरे बीएससी के एग्जाम में अपीयर होने की बात हुई, तो बहुत हंगामा हुआ। हर तरफ से मुझे रोका गया। सुप्रीम कोर्ट ने मुझे एग्जाम देने से रोका और कहा कि 14 साल की कम उम्र का बच्चा बीएससी एग्जाम नहीं दे सकता। लेकिन, किसी तरह यह सब हो गया। मेरा मानना है कि अगर कोई पढऩा चाहता है, तो उसके लिए उम्र का बैरियर नहीं होना चाहिए। अगर आपको नॉलेज है,तो उसे यूटीलाइज करना चाहिए। नॉलेज को उम्र के बेरियर से न बांधें।  जब मैं क्लास टू में था, तब वहां से क्लास सिक्स में गया और उसके बाद क्लास सिक्स से क्लास 10. उसके बाद वहां से बीएससी और फिर एमएससी किया। बहुत सारे लोगों ने मुझे कहा कि बंदर की तरह क्यों कर रहे हो। इस क्लास से उस क्लास में छलांग लगा रहे हो। लेकिन, मैंने किसी की परवाह नहीं की और बस अपने मन की करता रहा। अगर किसी एक चीज पर भी फोकस हो, तो उसमें सक्सेस मिल जाएगी। दुनिया के दूसरे देशों में ऐसा ही है कि अगर किसी में टैलेंट है, तो लोग उसको मिलकर आगे बढ़ाते हैं। उम्र को लेकर कोई भी नहीं रोकता है। इंडिया में भी वही सिस्टम लागू होना चाहिए। इससे जो छिपा हुआ टैलेंट है, वह बाहर निकलकर आएगा।

Society में सभी को बराबर दर्जा मिले

टेडेक्स में बतौर स्पीकर शिरकत करने आईं पॉलिटीशयन वृंदा करात ने कहा- हमलोग इंडिया में आज भी ईक्वल नहीं हैं। महिलाओं व पुरुषों के प्रति लोगों की अलग-अलग सोच है। अगर सोसाइटी में दोनों को बराबर दर्जा नहीं दिया जाएगा, तो बहुत खराब सिचुएशन होनेवाली है। अगर कोई महिला शादी नहीं करती है, तो सोसाइटी के लोग कहते हैं कि जरूर इस महिला में प्रॉŽलम होगी। लेकिन, अगर कोई पुरुष शादी नहीं करता है, तो लोग कहते हैं कि सोसाइटी के लिए इसने कुर्बानी दी। इस सोच को बदलना बहुत जरूरी है।

Music से सुकून मिलता है

स्पीकर क्लासिकल सिंगर विजयालक्ष्मी सुब्रह्मïण्यम ने म्यूजिक से जुडऩे बात कही। उन्होंने कहा- म्यूजिक में भाव को जानना बहुत जरूरी है। किस समय कौन से भाव से शांति मिलती है, यह सभी को जानना चाहिए। म्यूजिक एक मेडिटेशन है, जिससे पीस, रिलैक्सेशन, कॉन्सेंट्रेशन, पैशन, हैप्पीनेस हर कुछ मिलता है। म्यूजिक से हर किसी को जुडऩा चाहिए।


Posted By: Inextlive